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गूँज

@goonjabhivyakti

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यथार्थवादी मूल्यों को सहेजने का प्रयास करता हुआ साहित्यिक समूह, 8 साझा संग्रह - कस्तूरी पगडंडियां गुलमोहर तुहिन गूँज 100कदम कारवाँ शतरंग का प्रकाशन @Tweetmukesh

DELHI
Joined August 2013
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@goonjabhivyakti
गूँज
2 years
बेटियां हिस्सा नही मांगती पिता से बेटियां खुद को पिता का हिस्सा मानती हैं - कविता जयन्त श्रीवास्तव
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गूँज
2 years
स्त्री तो खुद डूब जाने को तैयार रहती है, समंदर अगर उनकी पसंद का हो...। - अमृता प्रीतम
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गूँज
2 years
जीवन के शुष्क मरूस्थल में नर्म बूंदों की बौछार है कविता...। - पल्लवी प्रकाश .
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गूँज
2 years
वो कैसे ही जान पायेंगे ? प्रतिभाएं मेरी जिसने कभी पढ़ी ही नही ,कविताएं मेरी - क़िताब-ए-ज़िन्दगी @kitabaizindagi
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गूँज
4 years
मदद न मिलने का दर्द, हर मददगार जानता है। - प्रीति 'अज्ञात' @preetiagyaat
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गूँज
2 years
बेटियाँ रोपी जाती हैं जड़ समेत उखाड़ के किसी दूसरी जमीन पर ।। - कृष्णा विश्वकर्मा
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गूँज
6 months
पागल जैसी बात न कर अश्कों की बरसात न कर जो कहना है वो ही कह उल्टी-सीधी बात न कर इक - दूजे को तरसें हम पैदा वो हालात न कर तू ख़ुद पर शर्मिन्दा हो मुझ से ऐसी घात न कर प्यार है ये शतरंज नहीं प्यार में शह और मात न कर - किरण यादव @kiranYa24674497
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गूँज
2 years
वो मस्जिद भी जाएगा, वो मन्दिर भी जाएगा, वो भूखा है साहब, उसे मजहब कहा समझ आएगा । - गुलशेर अहमद । @Ahmads_voice (किताब : रेलवे स्टेशन की कुर्सी)
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गूँज
2 years
मुझे परियों से क्या लेना मुझे चाहिए एक औरत जो रात बेरात पूछ सके खाना खाया कि नहीं ! - कृष्ण कल्पित
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गूँज
3 years
तुम्हारे अभद्र व्यवहार का भद्र विरोध है कविता! - ज्योति कृष्ण वर्मा
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गूँज
1 year
काली आँखें काले बाल काला तिल जब सौंदर्य शास्त्र ने इतनी काली चीज़ें गिना रखी हैं त्वचा का कालापन क्यों नहीं - अजंता देव
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गूँज
2 years
मुझे नहीं पता स्त्रियों को कितनी बार छला पुरुषों ने, मुझे पता है जब भी स्त्रियों ने बढ़ाए पाँव पुरुषों की ओर पुरुषों ने झुक कर पायल बांधें हैं। - अभिषेक पाण्डेय
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गूँज
1 year
मैं सोडियम हूँ लक्षण है शांत और सफ़ेद दिखना हवा-पानी लगने पर ज्वलनशील हो जाना इन दिनों हवा-पानी लग गया है मुझे तुम लोहा हो लक्षण है कठोर और मज़बूत दिखना हवा-पानी तुम्हें नुक़सान पहुँचा देती है तुम रक्त में बहा करो रहा करो । - माधुरी
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गूँज
9 months
सिसक-सिसक गेहूँ कहें, फफक-फफक कर धान । खेतों में फसलें नहीं, उगने लगे मकान ।। - डॉ कुँअर बेचैन
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गूँज
4 years
किताबों को सीने पर रखते हुए मैं महसूस करती हूँ कि, अगर पीड़ाओं का बोझ शब्द नहीं उठाते तो, तो दुनिया में नमक का भार कितना होता ? - हर्षिता पंचारिया @harshitapancha6
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गूँज
1 year
दर्द का आख़िरी पड़ाव मौन होता है ~ मधुलिका
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गूँज
2 years
बाबूजी के बाहर जाने पर मां कभी किवाड़ तुरंत बन्द नहीं करती खुली छोड़ देती हैं सांकल ���भी कभी बाबूजी कुछ दूर जाकर लौट आते हैं कहते हुए कि कुछ भूल गया हूं और मुस्कुरा देते हैं दोनों मां ने सिखाया किवाड़ की खुली सांकल किसी के लौटने की एक उम्मीद होती है! • प्रियांशी @priyanshi599
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गूँज
7 months
माँ के अलावा एक लड़की ने भी दिया मुझे नया जन्म ― उस प्रसव के बारे में किसी को कुछ नहीं पता! - मनमीत
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गूँज
4 years
जो जितने प्रेम में होता है उतना ही चुप हो जाता है। - अनुराधा सिंह
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गूँज
4 years
● ऐ कवि कविता नहीं, अपने समय की चिंता लिखो। सब लिखते हैं गहरा समंदर, तुम डुबे को तिनका लिखो। • आंख में शोला दिखा नहीं है तुमने अभी सच लिखा नहीं है। राजमहल पर सब लिखते हैं, किसी गाँव का रस्ता लिखो। ऐ कवि कविता नहीं, अपने समय की चिंता लिखो। - नीलोत्पल मृणाल @authornilotpal
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गूँज
5 months
पहाड़ झुक गया था नदी के प्रेम में, नदी बह गयी थी सागर के प्रेम में, सागर भर गया था धरती की गोद में, धरती ढक गयी थी आसमान के प्रेम में, पहाड़, नदी, सागर, धरती और आसमान बन गए थे आधार स्त्री और पुरूष प्रेम के।। - देव लाल गुर्जर @DevLalGurjar97
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गूँज
2 years
वह मेरी प्रथम प्रेम कविता थी जब मैंने तुम्हें देखा और तू पतंग बन गयी! - आयुष झा मकर संक्रान्ति की शुभकामनाएं 😊
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गूँज
3 years
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ मुझे तोड़ लेना बनमाली उस पथ पर देना तुम फेंक मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक।
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गूँज
4 years
पिता पर मेरी आधी कविताओं के केंद्र में पति रहे यह बात हमारे बच्चे जानते हैं पर पति पर मेरी सारी कविताओं के केंद्र में पिता रहे यह बात कोई नहीं जानता मेरे सिवा! -सुदर्शन शर्मा
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गूँज
4 years
इधर बुझेगा तो कहीं और जलेगा जाकर ये जो सूरज है न औरत का जिगर रखता है - ध्रुव गुप्त
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गूँज
2 years
स्पर्श ~~~ मैंने नवजात शिशु को देखा शिशु देर तक मेरी अँगुली पकड़े रहा मैं एक अलौकिक आत्मीय ऊर्जा से भर गया पहली बार मुझे अहसास हुआ हम कविता को छू भी सकते हैं। ● जसवीर त्यागी
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गूँज
3 years
मेरे होठों पर तुम्हारा ठहराव, उस कविता की भांति है जिसे पढ़कर मैंने 'प्रेम' लिखना सीखा था.. - राहुल कुमार सिंह
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गूँज
1 year
मैंने कभी मछली नहीं खाई सुना है मछली का काँटा गले में फंस जाये तब न उगला जाता है न निगला ठीक वैसा ही होता होगा प्रेम धंस जाता होगा अंदर कहीं न उगल पाते होंगे न निगल पाते होंगे वह लोग ... उसे... - रश्मि मालवीया
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गूँज
1 year
दिवस कमजोर का मनाया जाता है, जैसे महिला दिवस, अध्यापक दिवस, मजदूर दिवस कभी थानेदार दिवस नहीं मनाया जाता। ~ हरिशंकर परसाई
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गूँज
3 years
अपनी क्षणिकाएं भेजिए ।
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गूँज
2 years
इतवार की कहानी याद है नई नहीं सब पुरानी याद है - किताब-ए-ज़िन्दगी । @kitabaizindagi
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गूँज
2 years
कभी आना हुआ इधर तो देखना यहाँ मैं नहीं तुम रहते हो - शिवानी कोहली @wX7Hwzrxq8rvbmr
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गूँज
3 years
एक स्त्री बहुत मायने रखती है पुरुष की जिंदगी में , क्योंकि - हर पुरुष को रोने के लिए स्त्री का मजबूत कंधा चाहिए ।। - बलजीत गढ़वाल 'भारती '
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गूँज
4 years
“तिनके से भी लिखी जा सकती है कविता” चिड़िया ने सिखायी ये बात अपना घोंसला बाँधते हुए ! - देवेश तनय
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गूँज
4 years
पुरुष स्त्री को सराय समझ कर रात गुजार देता है! स्त्री पुरूष को घर समझ कर जिंदगी काट देती है! ___________ जसवीर त्यागी
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गूँज
4 years
प्रेमिकाएँ पत्नियाँ होना चाहती रहीं और पत्नियाँ प्रेमिकाएँ.. कोई पुरुष किसी स्त्री को शायद पूरा मिला ही नहीं । - पायल राठौर @456_payal
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गूँज
2 years
जो लड़के-लड़कियां भोर में जगकर अपने काम पर लग जाते हैं, ध्रुव तारे हैं वो अपने कुल के । ~ प्रह्लाद पाठक @PathakNagarwar
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गूँज
5 months
माना कि अब सादगी का, दौर नहीं... मगर सादगी के अलावा, ख़ूबसूरती कहीं और नहीं...! - शोभा खरे
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गूँज
3 years
हम उस समाज में जीते है जहां घर से भागे लड़को का इंतजार होता है और घर से भागी लड़कियों का श्राद्ध ! - गुलशन झा
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गूँज
2 years
एक समंदर है जो मेरे काबू में है , और एक कतरा है जो मुझसे सम्हाला नहीं जाता... एक उम्र है जो बितानी है उसके बगैर और एक लम्हा है जो मुझसे गुजारा नहीं जाता - गुलज़ार
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गूँज
3 years
उन ख्वाहिशों का क्या करूँ जो तुमसे जुड़ते ही मन्नत में बदल जाते हैं। - आकांक्षा बरनवाल
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गूँज
1 year
प्रेम में! किसी को जाने देना भी प्रेम ही है, प्रेम में पहाड़... नदी को समंदर तक जाने का रास्ता देता है, वो भी उसके प्रेम में है, पर उसे रोकता नहीं... अपने हिस्से की बारिश भी नदी को सौंप देता है ! - अर्पण जमवाल / @JamwalArpan
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गूँज
3 years
"औरत की कमाई खाता है साला!" यह वाक्य- पुरुषों के लिए गाली नहीं महिलाओं की समर्थता का मज़ाक है यह जानते हुए कि कमाई का कोई लिंग नहीं होता! - आदित्य रहबर @Adityarahbar120
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गूँज
2 years
होंठ चूमना तो लाजमी है इस दौर में लेकिन जो माथा चूमें वही इश्क है..!! - शिवा वर्मा @SHIVAJI_03
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@goonjabhivyakti
���ूँज
3 years
मेरी अंतिम इच्छा यहीं होगी तुम लिखना एक काव्य रचना मेरी मृत्यु पर मेरे अनकहे बोल मेरी मुस्कुराहट मेरा प्रेम मैं विदा होते समय लें जाना चाहूंगी एक कविता अपने साथ जो अंतिम भेंट होगी सिर्फ मेरे लिए - श्वेता पाण्डेय
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गूँज
3 years
कम पढ़ाना सब्ज़ी कटवाना आटा गुंथवाना चूल्हा जलवाना घर में बिठाना चुप रहना सिखाना एक लड़की को 'औरत' बनाने में हम सबका भरपूर योगदान है! - आयुष चतुर्वेदी @TheAyushVoice
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गूँज
2 years
नदियों पर बांध मत बनाओ कोई एक सागर प्रतीक्षा में होगा !! - रश्मि मालवीया
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@goonjabhivyakti
गूँज
1 year
जब मैं कहती हूं, सुनो ना ! और तुम, सारी व्यस्तताओं को, ख़ारिज कर,कहते हो। हां कहो ना! ये हमारे मध्य होने वाले, संवादों में से, सबसे प्रेमिल संवाद है !!! ~ अर्पण जमवाल / @JamwalArpan
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गूँज
3 years
लड़कियाँ उस तराजू को तोड़ देंगी एक दिन... जो तय करती है कैसी लगी लड़की... - वं द ना
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गूँज
4 years
(1) मेरे घर में स्त्री-पुरुष का कोई भेद नहीं है मैं हमेशा ही किचन में मदद करता हूँ इसमें जो "मदद" शब्द है न यही भेदभाव है। (2) जातियाँ अब कहाँ रहीं ? मैं नहीं मानता जातिवाद को। मैं तो उनके घर खाता-पीता भी हूँ यहाँ जो "उनके घर" शब्द है न यही भेदभाव है। - अशोक कुमार
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गूँज
3 years
मोहब्बत भ्रष्टाचार की तरह कभी खत्म नहीं होती, बस बाबुओं का तबादला होता रहता है। - नूतन पाठक
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गूँज
1 year
छोटे शहर की लड़कियों का सपना होता है सदेव अपने प्रेमी की आखिरी प्रेमिका बनना - अमीषा कश्यप
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गूँज
3 years
गर किसी का "लौट आना" फ़रवरी है तो लौटने की पगडंडी है दिसंबर! - आयुष झा
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गूँज
3 years
दीये का सबसे घनिष्ट मित्र है अँधेरा जब मिलता है बड़ी शिद्दत से मिलता है! - ज्योतिकृष्ण वर्मा
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गूँज
3 years
दिसंबर और जनवरी पास होकर भी जितने दूर है , हमारे बीच भी अब - उतनी ही दूरी है । - बलजीत गढ़वाल 'भारती '
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गूँज
9 months
न नींद अच्छी लगी न जगना जरूरी लगा आँखों में ख्वाब का पलना जरूरी लगा जिसने कहा जैसा हम वैसे ही चल दिए हर आकार में हमको ढलना जरूरी लगा पाषाण दिल रखकर जहाँ में क्या करेंगे हिम सा हरदम पिघलना जरूरी लगा सोचती थी छोड़ दूं क्या बचप��ा अपना पर एक बार फिर मचलना जरूरी लगा शिल्पी पचौरी
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गूँज
3 years
एक स्त्री तुम्हें उपहार देती है देह और यौवन ही नहीं अपनी चुप्पी और रातें भी वह देती है तुम्हें उपहार में प्रसव पीड़ा और थकान अपनी उदासी और अनिद्रा भी एक स्त्री का यह भी तो है उपहार कि वह ख़ुद में बनी रहने देती है तुम्हारी याद तुम्हारे चले जाने के बाद भी - समृद्धि । @samridhi85
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गूँज
2 months
दर्द एक संकेत है, कि आप जिंदा हैं और प्रार्थना एक संकेत है कि आप अकेले नहीं हैं - अज्ञात
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गूँज
3 years
"अधिकार न जता पाना या हठ न कर पाना" - या तो प्रेम की विफलता है या मन की दुर्बलता । - सुप्रिया पुरोहित
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गूँज
1 year
पिता कब तक पिता रहेंगे कब दोस्त बनेंगे और फिर कब बच्चा हो जाएँगे, यह संतान पर निर्भर है। कितनी बड़ी उपलब्धि है, समय रहते यह जान लेना कि पिता से मिलते हुए झुककर पैर छूना उचित है या बाहें खोल कर गले लगाना। ~आलोक (गीत) । @alokgeet
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गूँज
2 years
मेरे पास मंहगे तोहफ़े नहीं होते अक्सर मैंने उसे मुस्कान भेजी है! ~ राजविंदर कौर
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गूँज
3 years
तुम्हारे पाँवों के नीचे कोई जमीन नहीं कमल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं। - दुष्यंत कुमार । जन्मदिन 💐
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गूँज
4 years
चाँद अगर पूरा चमके तो उस के दाग़ खटकते हैं एक न एक बुराई तय है सारे इज़्ज़त-दारों में - आलोक श्रीवा��्तव @AalokTweet
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गूँज
1 year
उसने उसे भरी आँखों से निहारा माथे को चूमा खींच कर सीने से लगा लिया फिर भारी मन से दूर कर कहा जाओ... चली जाओ बसंत के आगमन के लिए जरूरी है पतझड़ सा निष्ठुर हो जाना ... ! - चित्रा पंवार
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गूँज
2 years
लहरों से मुझे बेइंतहा मोहब्बत है वो जब गिरकर उठती हैं तो सच मानों मुझमें ज़िंदगी भर देती हैं। - अंजू त्रिपाठी
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गूँज
3 years
मेरी कविता की लड़की से कहना चाहता हूँ तुम दुनिया की सबसे अच्छी लड़की हो जैसे ही कहने को होता हूँ वह कहती है ‘मेरी तो कुड़माई हो गई जा किसी और को कविता में ला’ ___________ हरप्रीत कौर
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गूँज
1 year
लड़कियां किताबें होती है बोलती नहीं है लेकिन अफसानों से भरी होती है। 📚 - प्रेरणा सारवान
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गूँज
4 months
पारिजात के फूलों जैसा बनो, ताकि लोग आपको तोड़ने के बजाय आपको चुनना पसंद करें। ◆ संजय कुमार
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गूँज
2 years
प्रेम को बंधन-मुक्त रखा जाए तो, वह खुलकर सांस ले सकेगा दायरों में बांधकर असिमित प्रेम प्राप्त करने की कल्पना ही व्यर्थ है - पूनमपांडे
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गूँज
1 year
एक शेर रट ख़ुद को ग़ालिब मीर बताने वाले लड़के बिन चावल बिन दूध, बात की खीर बनाने वाले लड़के और हक मे उठे तो कलमों को शमशीर बनाने वाले लड़के उस दौर का जादू, क्या जाने, ये रील बनाने वाले लड़के । - नीलोत्पल मृणाल | @authornilotpal
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गूँज
4 years
प्रश्न- आग का आदिम प्रश्न है - रोटियाँ सेंक रही हैं स्त्रियाँ या स्त्रियों को सेंक रही हैं रोटियाँ ? - देवेश तनय
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गूँज
1 year
पगडंडियों को प्यार था घास से घास को ओस से ओस को नंगे पैरों से एक दिन उन पैरों ने जूते पहने पगडंडियों को कोलतार पिलाया गया कोलतार ने घास को निगल लिया आगोश में ले लिया और अगली सुबह ओस की बूंदें अपना पता भूल गयीं - स्मिता सिन्हा
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गूँज
3 years
जो गमलों में खिलते फूलते कहाँ कहाँ सज जाते हैं हम जंगल के फूल है बाबू खिले वहीं झर जाते है ~नीलोत्पल मृणाल @authornilotpal
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गूँज
1 year
छेद छतरी में होने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ता लेकिन छेद कश्ती में हो तो जिंदगी डूब जाती है। - रानी सिंह
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गूँज
3 years
स्त्रियाँ अपमान का घूँट पीकर हँसना छोड़ दें तो इस संसार में सम्बन्ध और सम्बन्धी दोनों नहीं बेचेंगे। ◆ प्रज्ञा मिश्र । @shatdalradio
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@goonjabhivyakti
गूँज
3 years
समय के सबसे अंतिम छोर पर, यदि तुम्हारा प्रश्न यही रहा, क्या तुम मुझसे अब भी प्रेम करते हो? तो मेरा हृदय, ठीक वैसे ही स्पंदित होगा, जैसे पहली बार हुआ था। ● विजय बागची
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गूँज
3 years
वस्त्र दोनों ने त्यागें वेश्या सिर्फ स्त्री कहलायी..!! - सोनू जॉनसन
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@goonjabhivyakti
गूँज
3 years
कुछ दिनों के लिए पतंगें उड़ाना स्थगित कर दो अधूरी छोड़ दो अपनी पसंदीदा किताब बरसात पर नई कविता लिखने के लिए अगले बरस का इंतजार करो आओ , अभी मिलकर उस जादूगर को खोजें जो संसार की सारी बंदूकों को फूलों में बदल दे और सैनिकों को प्रेमियों में.... ***** @456_payal
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गूँज
4 years
घर ---- अपने घर से मीलों दूर इस अजनबी शहर में कभी -कभी आधी रात को - दस बाय बारह का यह कमरा रेल के डिब्बे में तब्दील हो जाता है और दौड़ने लगता है घर की तरफ । - मणि मोहन
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गूँज
3 years
ये फूलों का बड़प्पन है कि वे काँटो को साथ रखते हैं! - ज्योतिकृष्ण वर्मा
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@goonjabhivyakti
गूँज
3 years
जहां पत्तियां नहीं झरतीं वहां बसंत नहीं आता । - नरेश सक्सेना
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@goonjabhivyakti
गूँज
1 year
एक उम्र के बाद उदासी मजबूरी नहीं, आदत बन जाती है मैं उम्र के उसी पड़ाव पर हूँ तुम आओ और झुठला दो इसे! ~ आदित्य रहबर @Adityarahbar120
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@goonjabhivyakti
गूँज
2 months
जो जाना चाहते थे, मैंने उन्हें जाने दिया⁣ एक प्रेम भरी मुस्कान के साथ⁣ जो ठहरना चाहते थे⁣ मैंने उन्हें जगह दी और उनके पास बैठ गया⁣ ⁣ जब सुख मिला⁣ मैंने सब में बाँट दिया⁣ जब दुःख आया⁣ सबने मुझसे बाँट लिया⁣ ⁣ सरल होते जाना⁣ मनुष्य होने की ओर पहला कदम है हेमन्त ��रिहार
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गूँज
2 years
समय और इतिहास प्रमाण हैं.... जो जितना बड़ा प्रेमी हुआ... प्रेम उसके प्रति उतना ही अधिक क्रूर रहा.... _______________ पायल @456_payal
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@goonjabhivyakti
गूँज
4 months
मैं सो जाऊं तो इन आँखों पर अपने होंठ रख देना यकीन आ जायेगा पलकों तले भी दिल धड़कता है। - बशीर बद्र
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गूँज
1 year
खामोशी के कई रंग दिखे उनमें सब से बुरा था उम्मीदों का मर जाना। - जुली सहाय
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@goonjabhivyakti
गूँज
3 years
कल मानसून की पहली बरसात हुई और आज यह दरवाज़ा ख़ुशी से फूल गया है खिड़की दरवाज़े महज़ लकड़ी नहीं हैं विस्थापित जंगल होते हैं - हेमंत देवलेकर
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@goonjabhivyakti
गूँज
3 years
मैं तो तुमसे बातें करती हूं लोगों को लगता है मैं कविता लिखती हूँ। जिस दिन अपनी ही लिखी कविता बहुत पसंद आ जाए , लगता है तुमने मेरा माथा चूम लिया । रात को डायरी खुली रखती हूं, क्या पता कब तुमसे बात करने का मन बन जाए। - पुष्पिंदरा चगति भंडारी
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@goonjabhivyakti
गूँज
2 years
कौन कहता है तू जुदा है मुझसे... तू मुझमें... मुझसे भी ज्यादा है!! - शिल्पी अग्रवाल @ShilpiA03894748
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गूँज
9 months
साथ छूटता भी कैसे दुःख लोहा था और देह चुम्बक! - चित्रा पंवार
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गूँज
6 months
'अलविदा 2023' पुराने कैलेंडर  ठीक उसी तरह उतरे हैं खूंटी से जैसे वियोग पर आँखों से आँसू सच...!! कितना मिलता-जुलता है दुःख बीते वर्ष और रीते प्रेम का । - कुलदीप सिंह भाटी
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गूँज
7 months
दिसम्बर की सर्द सर्दी कोहरे को चीरता विश्वास हां माँ ! तुम्हारे हाथ का बुना नर्म स्वेटर अब भी है मेरे पास । - रागिनी श्रीवास्तव
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गूँज
2 years
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गूँज
6 months
[ पुल ] उदासी और उल्लास के बीच बनता है एक पुल जिसे लोग अक्सर शनिवार कहते हैं ~ देवेश तनय
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गूँज
1 year
प्रेम को पा कर‌ सब सुंदर है , प्रेम को खोकर भी ... जो प्रेम के प्रत्युत्तर में प्रेम पा लेंगे... वे जीवनभर प्रेम को संभालेंगे... और जो प्रेम के प्रत्युत्तर में नहीं पा सकेंगे प्रेम... उन्हें स्वयं प्रेम संभालेगा... _______________ पायल | @456_payal
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गूँज
3 years
बदलते वक़्त की नज़ाकत देखी है, एक माँ के आंखों में ही हिफ़ाज़त देखी है। - नेहा यादव । @poetessneha22
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गूँज
1 year
मैं चाहूंगा मेरे प्राण मुक्त होने से ठीक पहले तुम समीप रहो ज़ब मेरी आँखे जड़ बन जाये तुम उनमे देखना व मेरी पलकों को ढाप देना मैं तुम्हारी छवि लिये जाना चाहता हूँ ताकि मैं उस ईश्वर से कह सकूं की हृदय में ही नहीं वरण आख़री बिंदु पर आँखो में भी मैंने तुम्हे ही रखा! - अजय तुलस्यान
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@goonjabhivyakti
गूँज
4 years
कुछ देर के लिए मैं कवि था फटी-पुरानी कविताओं की मरम्मत करता हुआ सोचता हुआ कविता की जरूरत किसे है - मंगलेश डबराल
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@goonjabhivyakti
गूँज
11 months
तुम जल्दी जगे हो और हम रात के जगे हैं फ़र्क़ है हमारी सुबहों में @Monique_essence
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@goonjabhivyakti
गूँज
3 years
परिंदों के दाह संस्कार नहीं होते, घोंसले में इंतजार करते बच्चों को कौन बताता होगा कि उनका ईश्वर नहीं रहा.. - निः शेष प्रेम । @IshuFl
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