आज रेजोल्यूशन लीजिए कि आप एक गोडसेवादी को गांधीवादी बनाएंगे. गांधी की याद को सिर्फ दो अक्टूबर तक महदूद नहीं करेंगे. अभागों के हक़ की बात करेंगे.
गांधी जयंती मुबारक!
जो सरकारें नेहरू की आलोचना करती हैं, याद रखें कि उनके कार्यकाल से अधिक वर्ष तो नेहरू ने जेल में बिता दिए थे।
इज़्ज़त, शोहरत, पैसा, बंगला, गाड़ी, बैंक बैलेंस, सब हो आपके पास। लेकिन आप क्रांति व आंदोलन को अपना रास्ता चुन लें। तब आप नेहरू हो जाते हैं।
तुम्हें याद हो कि न याद हो...
सुभाष चन्द्र बोस ने ही गांधी को "राष्ट्रपिता" कहा था, और गांधी ने सुभाष को "अपना बाग़ी बेटा" और "देशभक्तों के बीच का राजकुमार" कहा था!😊
प्रिय व आदरणीय अजित अंजुम सर से बातचीत. कई विषयों पर. पढ़ाई-लिखाई, गांधी-नेहरू, वरुणा-असि, साहित्य-राजनीति व प्रेम और कुछ कविताएँ.
40 मिनट का यह वीडियो आपको जब समय मिले तब देखें, मुझे बहुत खुशी होगी. ❤️😊
लिंक-
अब्दुल गफ़्फ़ार खान का सीना 56 इंच से भी ज्यादा चौड़ा रहा होगा, लेकिन उनका विश्वास अहिंसा में था, उनके दिल में सबके लिए प्यार था. आज के नेताओं को उनसे सीखना चाहिए.
जन्मदिन मुबारक बादशाह खान, हमारे सीमांत गांधी!❤️
1917 में चंपारण के नील फैक्टरी मैनेजरों के नेता इरविन ने गांधी को ज़हर खिलाकर मारने की तैयारी की. रसोइया बतख मियाँ अंसारी ज़हर मिला खाना ले गए पर गांधी को देखते ही रोने लगे,और जहर नहीं दिए.
इस प्रकार एक मुसलमान ने गांधी की जान बचा ली. और 31 साल बाद एक हिन्दू ने गांधी को मार दिया.
अजित अंजुम सर के साथ कुछ तस्वीरें। सर की जन-पक्षधर पत्रकारिता से तो हमेशा से मुतासिर हूँ। बनारस के असि घाट पर हमारी जो बातचीत हुई, उसे आप
@ajitanjum
सर के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं।
वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
- ग़ालिब
गांधी से हमें सीखना है कि आंदोलन के हथियार कैसे तय किए जाएँ! बम एक बार में फूटकर खत्म हो जाएगा, पिस्तौल अपनी क़ूवत के मुताबिक़ खत्म हो जाएगी.
इसके बरक्स गांधी ने आज ही नमक को हथियार बनाया. नमक ज़ालिम की आँखों में भभाएगा, आँख की किरकिरी बन जाएगा.
गांधी ने नमक को ही बम बना दिया.
जब मोहनदास और कस्तूरबा की शादी हुई, तब दोनों 13-14 साल के थे. मोहनदास चाहते थे कि कस्तूरबा हर काम उनसे पूछकर करें, उनसे पूछे बिना कहीं न जाएँ. लेकिन कस्तूरबा आज़ादी से रहती थीं, स्वछंद रहती थीं.
कस्तूरबा ने मोहनदास को आदमी और औरत की समानता समझाई.
आज कस्तूरबा गांधी का जन्मदिन है.
कलेक्टर: आपके अख़बार में काबिले-एतराज़ बातें छपती हैं।
माखनलाल: काबिले-एतराज़ बातें छापने के लिए ही हमने अख़बार निकाला है।
कलेक्टर: आप सरकार की आलोचना करते हैं।
माखनलाल: सरकार की आलोचना करने के लिए ही हमने अख़बार निकाला है।
कलेक्टर: मैं आपका अख़बार बंद करवा सकता हूँ।
एक बच्चा जिसकी समझ उम्र से कहीं ज्यादा बड़ी है।
बनारस का प्यारा बच्चा
@TheAyushVoice
है। जिस उम्र में स्कूली बच्चे कोर्स की किताबों तले दबे होते हैं,इसने गांधी को समझ लिया। कामना है कि हर बालिका इसकी तरह विदुषी हो, हर बालक नीति निधान रहे। आयुष को सुनिए, जुड़िए,निराश नहीं करेगा❣️
- हेल्लो सुभाष, जन्मदिन की बधाई!
- प्रणाम बापू, 124 साल का हो गया आज.
- अरे वाह, तुम्हें लोग अलग-अलग विचारधाराओं से जोड़ते हैं सुभाष, तुम आख़िर हो क्या?
- मैं तो निरा गांधीवादी हूँ बापू, बस थोड़ा-सा अधिक क्रांतिकारी!😊
चंद्रशेखर आज़ाद को नमन. आज खुद को जनेऊ,धोती, मूछ में बंटता देखकर वह दुःखी होते. जबरदस्ती भगत सिंह को भगवा पगड़ी पहनाना और आज़ाद के जनेऊ पर फूले न समाना,यह हमारी बौनी सोच का नतीजा है. हमें यह खुलकर कहना होगा कि आज़ाद एक समाजवादी थे जो हर कोड़े पर "महात्मा गांधी की जय" कहा करते थे.
"ये हमारा वतन है, हमारे बाप दादा यहीं दफ़न हुए और हमारे बच्चे भी यहीं दफ़न होंगे"
@jist_news
के कैमरे के सामने एक बुज़ुर्ग रोकर अपने मन की बात कह रहे हैं.
इंडियन यूथ कॉंग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बी.वी. जी से मुलाक़ात की तस्वीरें.
उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी एवं श्री राजीव गांधी के भाषणों और लेखों की कई पुस्तकें भेंट कीं.
@srinivasiyc
यह तस्वीर वायरल हो रही है। इसमें अचंभे जैसा कुछ नहीं दिखा। ज़रा-सा भी नहीं। भारतीय समाज को तो आदत होनी चाहिए ऐसे दृश्यों की। इसमें नया क्या है? कुछ नहीं।
इस तस्वीर में जिसे कुछ भी अचंभा दिखे वह या तो बहुत बड़े घर का है, या फिर उसने...
आज के दिन 1942 में गांधीजी बनारस में थे. BHU में जिस जगह पर बैठकर उन्होंने उस दिन प्रार्थना की थी, उसे "गांधी चबूतरा" कहते हैं.
इतने विशेष दिन पर BHU प्रशासन द्वारा यहाँ पर कोई माल्यार्पण तक नहीं किया गया.
लेकिन NSUI BHU ने मिलकर संगोष्ठी की, और मैंने सर्वधर्म प्रार्थना करवाई.
इस तस्वीर को देखकर याद आया. मेरे बाबा कविताएँ लिखते हैं. एक बार एक पार्टी के नेता ने बाबा से कहा कि दीजिये मैं आपकी कविताओं को किताब के रूप में छपवा देता हूँ.
बाबा का जवाब था- "आप रहने दीजिए, आप किताब के हर पन्ने पर कमल छाप देंगे."
आज़ादी एक निरंतर प्रक्रिया है. सभी के लिए इसके अलग मायने हैं. हम सभी को आज़ादी का यह दिन मुबारक हो. एक वीडियो सीरीज़ की शुरुआत करने की चाहत है जिसमें गांधी, भगत सिंह,बोस,नेहरू,पटेल, अंबेडकर, मौलाना आज़ाद आदि के बारे में बात होगी. आप सभी का साथ चाहिए होगा. मुझे भरोसा है कि मिलेगा.
चंद लोग ही होते हैं जिन्हें असल पत्रकार कहा जा सकता है. निस्संदेह विनोद दुआ जी उनमें से एक हैं. उनका जाना बहुत बड़ी क्षति है. उनकी बेबाक़ी को हम जीवित रख पाएं, यही उन्हें हमारी श्रद्धांजलि होगी.
Rest in Power, Vinod Dua Ji.🙏
@VinodDua7
जब वो कहें कि नेहरू भगत सिंह से चिढ़ते थे तो उनसे पूछियेगा कि फिर भगत सिंह ने क्यों कहा था कि नेहरू युगांतरकारी और विद्रोही हैं, और क्यों कहा कि युवाओं को नेहरू से प्रेरणा लेनी चाहिए?
किसी सोचने-समझने वाले व्यक्ति को आप यह तर्क देंगे तो वह मान जाएगा. थेथरों की अलग बात है!
"I am a socialist, not because it is a perfect system, but because I believe that half a loaf is better than no bread."
"मैं समाजवादी हूँ, इसलिए नहीं कि मैं इसे पूर्ण रूप से निर्दोष व्यवस्था समझता हूँ, बल्कि इसलिए कि आधी रोटी अच्छी है, कुछ नहीं से।"
- स्वामी विवेकानंद
...उन्हें दिखाने के लिए मुझे कुछ-न-कुछ कार्रवाई करनी पड़ेगी. इसलिए सतर्क रहो.)
कवि, पत्रकार, सत्याग्रही श्री माखनलाल चतुर्वेदी को उनके जन्मदिवस पर सादर नमन।🙏
आज जब असली पत्रकारिता कितने गहरे गड्ढे में समा चुकी है, तब आप जैसे निडर और बेबाक लोग हमेशा याद आएँगे।
नीतीश कुमार ने एक बात कही। हो-हल्ला हुआ। उन्होंने माफ़ी मांगी। समाज को अंदर से खूब मज़ा आया। बाहर से सख़्त बना रहा। यह वही समाज है जिसकी प्राइवेट कन्वर्सेशन का अस्सी प्रतिशत हिस्सा सेक्स होता है। गंदी से गंदी भाषा में। पर बाहर यह समाज सबकुछ अकादमिक और व्यवस्थित चाहता है।
कल किसान आंदोलन को छः महीने पूरे हुए. और आज जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि है.
नेहरू ने अपनी वसीयत में लिखा कि–
"मेरी राख का ज़्यादा हिस्सा हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखरा दिया जाए, वो खेत जहाँ हजारों मेहनतकश इंसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर ज़र्रा वतन की...
"ज़मीं पर जिनका मातम है, फ़लक पर धूम है उनकी..."
महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर उन्हें नमन, सलाम, प्रणाम। और यह उम्मीद कि हम उसी गांधीवादी तेवर के साथ काम करें, ज़ुल्म से लड़ें।
इतिहास के साथ दिक्कत यह है कि यहाँ सबके अपने-अपने हीरो हैं. एक को दूसरे से जोड़कर दूसरे को बड़ा बनाने की कोशिश भी होती है.
परन्तु कोई कितने भी तर्क दे, इतना इतिहास का ज्ञान तो हमें होना ही चाहिए कि गांधी और सावरकर के रास्ते अलग थे. हिन्द-स्वराज और हिन्दू-स्वराज में अंतर तो है ही!
बालमित्रों सावधान!
बालमित्र बनने के चक्कर में घर वाले डपट देंगे तो फालतू में बेज्जती खराब हो जाएगी. यह खबर महिलामित्र को पता चलेगी तो और खिल्ली उड़ेगी. तुम्हारी इज़्ज़त तुम्हारे हाथ में है.
बचकर रहो. चेता रहा हूँ.
तुम्हारा किशोरमित्र.
नेहरू चाहते थे कि हर वयस्क को वोट देने का अधिकार मिले, इस बात पर बहुत लोगों ने उनका विरोध किया. RSS की पत्रिका ऑर्गनाइजर ने चेतावनी दी कि- नेहरू को आजीवन अपनी इस गलती का पछतावा करते हुए जीना पड़ेगा.
लेकिन नेहरू तो ठहरे आन्दोलनजीवी,तो उन्होंने अपना फैसला लिया.
#NehruWasAStatesman
ये कैसे कम्पनी-बहादुर आये हैं। कहीं कोई शहर बिक रहा है। कहीं रियासत बिक रही है। कहीं फ़ौजों की टुकड़ियाँ बेची जा रही हैं, ख़रीदी जा रही हैं। ये कैसे सौदागर आये हैं इस मुल्क में। सारा मुल्क पंसारी की दुकान बन गया है! मालूम न था कि इतना कुछ है घर में बेचने के लिए।
आज़ादी मुबारक मेरे मुल्क़ और उसकी अवाम!
शपथ लो कि कुछ बातें कभी नहीं भूलोगे. मत भूलना कभी चंद्रशेखर आज़ाद और मौलाना आज़ाद को. मत भूलना नौरोजी से लेकर गांधी, नेहरू, और अंबेडकर को. भगत सिंह को, सरदार पटेल को, सुभाष चन्द्र बोस को हमेशा नमन करना. मत भूलना हमारी आज़ादी का संघर्ष.
अब अंग्रेजों के सिक्के पर भी गांधी होंगे. तुम गांधी की मूर्तियाँ तोड़ोगे, गांधी सिक्का और नोट बनकर तुम्हारी जेब में घुस जाएंगे. कहाँ-कहाँ से फेंकोगे गांधी को?
बेशक़ सिक्के पर छपने से गांधी ज़िंदा नहीं होंगे, लेकिन मूर्ति तोड़ने से मरेंगे भी नहीं!
ज़िंदाबाद।
इस हिम्मत भरी तस्वीर पर हमें सिर्फ़ गर्व नहीं करना है बल्कि उतना ही गुस्सा होना है उस व्यवस्था के ख़िलाफ़ जो ऐसी तस्वीरें खिंचाने को मजबूर करती है.
पिता की मृत्यु पर मिली अंतरिम ज़मानत ख़त्म होने के बाद एक्टिविस्ट नताशा नरवाल की तिहाड़ जेल जाते हुए यह तस्वीर.
More power to you!
मुसलमानों के बुद्धिजीवी लोगों के दायरे में इस नौजवान लेखक-संपादक ने हलचल मचा दी. नई पीढ़ी के दिमाग़ में उनके शब्दों से एक उबाल पैदा हुआ. ब्रिटिश सरकार के नुमाइंदों ने ‘अल-हिलाल’ को पसंद नहीं किया. प्रेस एक्ट के मातहत उससे ज़मानत मांगी गई और आख़िर 1914 में प्रेस जब्त कर लिया गया.
हाफ़िज़ जुनैद और अंकित सक्सेना जो मज़हब और मोहब्बत की वजह से मार दिए गए, उनकी स्मृति में शुरू हुआ पुरस्कार मिलना मेरे लिए कितनी बड़ी बात है बता नहीं सकता. खान अब्दुल गफ़्फ़ार खान की खुदाई खिदमतगार से सम्मान मिलना कितनी सुंदर बात है.
राम मनोहर लोहिया अपना जन्मदिन इसलिए नहीं मनाते थे क्योंकि उसी दिन भगत सिंह को फांसी दी गयी थी. वो आज का ही दिन था.
दोनों को पढ़ना बहुत ज़रूरी है वरना बिना पढ़े हम भगत सिंह को भगवा पगड़ी में लपेटकर हिंदूवादी बनाते रहेंगे और लोहिया की अंध-मुख़ालिफ़त करके उन्हें जनसंघी.
सादर नमन.
ग़ुलामी में भी खुद को आज़ाद मानना कितनी शानदार बात है। अपनी पहचान ही "आज़ाद" बना लेना,उससे भी ज़्यादा शानदार बात है।
चंद्रशेखर आज़ाद को जयंती पर नमन। बचपन से उनकी तस्वीरें देखकर लगता था कि बड़े दबंग आदमी रहे होंगे,थे भी। जनेऊ,मूंछ और धोती में खुद को बंटता देखकर आज दुखी भी होते।
आज़ादी के आंदोलन में हिन्दू-मुस्लिम साथ थे, मिलकर कहते थे अंग्रेजों भारत छोड़ो. और 79 साल बाद अतिवादी हिन्दू दिल्ली में मुसलमानों के ख़िलाफ़ भद्दे नारे लगा रहे हैं.
1942 के आंदोलन ने युवा नेताओं को उभरता हुआ देखा, और आज का युवा अपने मुँह पर सत्ता-ब्रांड का फेविकोल लगाया हुआ है.
वह गुरु कैसा जो शिष्य को निडर न बना सके! गोखले जैसा गुरु पाकर गांधी राष्ट्रपिता हो जाते हैं. गांधी जैसा गुरु पाकर नेहरू प्रधानमंत्री हो जाते हैं. तो दूसरी तरफ सावरकर जैसा गुरु पाकर गोडसे एक हत्यारा बन जाता है. एक अच्छा गुरु अपने शिष्य को हीरा बना सकता है और एक बुरा गुरु हत्यारा!
अम्बेडकर से सबको रश्क है. उन्होंने भारतीय वामपंथ को "Bunch of Brahmin Boys" कहा इसलिए कुछ कम्युनिस्ट्स/लेफ्टिस्ट्स उनसे चिढ़ गए. उन्होंने गांधी के ख़िलाफ़ लिखा इसलिए कुछ गांधीवादी उनसे चिढ़ गए. उन्होंने हिन्दू धर्म से लेकर इस्लाम तक की बुराइयों पर लिखा...
रॉबर्ट फ्रॉस्ट की कविता की तर्ज़ पर कहें तो गांधी ने भी "दि रोड नॉट टेकन" को चुना था.
हम सभी आचरण में थोड़े से गांधी जैसे हो सकें, गांधीवादी हो सकें, इसी उम्मीद के साथ बाबा गांधी की जयंती मुबारक!
वह व्यक्ति जिसने थोड़ी-बहुत पढ़ाई की हो किंतु जीवन में कोई कथा/कविता/उपन्यास को हाथ भी न लगाया हो या कि साहित्य से जिसका राब्ता न रहा हो. यदि उस व्यक्ति से भी पूछा जाए कि भारत के किसी अच्छे लेखक का नाम बताइए तो सहसा उसके मुँह से 'प्रेमचंद' का नाम ही निकलेगा.
गाँव आया हूँ. शहर मुझे फूटी आँख नहीं सुहाता. घर के सामने जलालू मियाँ का मकान है. कुछ बच्चे दादी से नज़र झड़वाने आए हैं. आज गुलाब साव और उनकी पत्नी चमेली की शादी की पचासवीं सालगिरह है.गाना बज रहा.
गाँव में सांप्रदायिकता है तो स्नेह भी है. एसी पर थूकता गाँव अपनी नीम संभाले हुए है.
बहुत बार देखी है, आज फिर देख रहा हूँ. Gandhi (1982) ज़रूर देखिये यह फ़िल्म. इसके बारे में सबकुछ नहीं लिख रहा क्योंकि यहां ज़्यादा नहीं लिखा जा सकता.
यूट्यूब पर है. जो 4 घण्टे सोता है, गलत करता है. आप पूरी नींद लीजिये, 8 घण्टा सोइए. लेकिन यह फ़िल्म देखकर.
ज़िंदाबाद!
जेएनयू में छात्रों को पीटा जा रहा है।मध्यप्रदेश व देश में रामनवमी पर हिंसा हो रही है।मस्जिदों पर जबरन भगवा झंडे लहराए जा रहे हैं।जो राम का नाम न ले उसे भगा देने की बात हो रही है।इसी बीच हम जोतिबा फुले और कस्तूरबा गांधी की जयंती भी मना रहे हैं।
भारत सचमुच विविधताओं से भरा देश है।
वो जिसकी सोच उसके समकालीनों और हमारे समकालीनों से आगे थी। वो जिसके जैसा लोग बनना चाहते हैं, लेकिन बन नहीं पाते, कुढ़ते हैं और ख़त्म हो जाते हैं। वो जिसको महिलाएँ चाहती थीं, तो चाहती थीं! वो जो अपनी पत्नी के लिए गुलाब रखता था और बेटी को करता था प्यार।
शक्ति का संतुलन बहुत ज़रूरी है संसार में, आग के लिए पानी का डर बने रहना चाहिए। वे लाख थेथरपन कर लें लेकिन मंदिर वग़ैरह एक हारा कॉन्सेप्ट साबित हुआ। शहरी-वहरी लोग लंबा फंस जाते हैं लेकिन गंवई-गरीब का सरोकार अलग है। वह खेल समझ गया है। अयोध्या में आप हार गए।