जो बच्चे अछूत का दाग लेके पैदा होते हैं
उस दाग को धुलने के लिए हिन्दू समाज ने कोई निरमा नहीं बनाया, द्विज जो इनके स्पर्श से अपवित्र हो जाते हैं वे स्नान अथवा गौमूत्र या गंगा जल छिडक लें तो पुनः शुद्ध हो सकते हैं, लेकिन इस दुनिया में अछूतों के लिए न तो गंगाजल पावन है न गौ मूत्र.!!
तुम उनकी बात मानते हो जो तुम्हें इंसान तक नहीं मानता,
ऐसी मूर्खता हमने दुनिया के किसी देश के लोगों में नहीं देखी,
तुम्हारी इस मूर्खता के कारण आने वाली सौ दो सौ साल नहीं, हज़ारों साल तक तुम्हारी गुलामी खत्म होने वाली नहीं है..!!
धर्म में "भक्ति" मुक्ति का मार्ग हो सकता है, मगर राजनीति में भक्ति, व्यक्ति पूजा नही होनी चाहिए, भक्ति, व्यक्ति पूजा लोकतंत्र के लिए खतरा है, यह तानाशाही को जन्म देती है.!!
- अम्बेडकर साहब
आप किसी भी पार्टी के नेता से एक सवाल कर लो तो उसके भक्त आपको गाली जरूर देंगे.!!
जिस धर्म में किसी “जाति” को “श्रेष्ठ” और किसी जाति को “नीच” समझें वह “धर्म” नहीं “अधर्म” है, और “गुलाम” बनाए रखने का “षड्यंत्र” है, ऐसे धर्म को तुरंत त्याग देना चाहिए..!!
न तो हिन्दुओं के बच्चे मंदिर बन जाने से कलेक्टर बनने लगे और न ही मुस्लिमों के बच्चे मस्जिद न बनने से कंगाल होकर सड़कों पर आ गए, मन्दिर मस्जिद आपके बच्चों के स्वर्णिम भविष्य की गारंटी नहीं लेंगे, इनमें वो कुव्वत भी नहीं है, ये कुव्वत हमारे स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय में है....!!
जो पहले OBC को शूद्र कहते थे, आज वही लोग OBC को हिंदू कहते हैं, दोनों का मतलब एक ही है, कमजोर हैं तो कहेगे आप द्वारिकाधीश और हम सुदामा हैं, और ताकतवर होगे तो कहेगे हमने ही यदुकुल का नाश किया था..!!
दुनिया भर का बवंडर न बताओ, ये बताओ जब वो तुम्हारे बडे बुजुर्गो को प्रणाम नही करते तो तुम उनके बडे बुजुर्गो को प्रणाम क्यो करते हो. ?
पहले मानसिक गुलामी छोडो फिर उनको दोष देना..!!
जो सवर्ण पत्रकार हैं, जो लिबरल हैं वो हिंदू, मुस्लिम की लड़ाई में मुस्लिम के साथ हो सकते हैं, लेकिन आरक्षण और पिछड़े के हक-अधिकार की लड़ाई में साथ नहीं आ सकते हैं..!!
- शंभू कुमार सिंह
बहुजन समाज के साथियों को इनसे दूरी बनाकर रखना चाहिए, इनको फालो न करें.!!
मेरे हिस्से सम्पति पर सवर्णों ने आधिपत्य जमा लिया है, जब हम भागीदारी की बात करते हैं, हिस्सेदारी की बात करते हैं तो उनको मिर्ची लग जाती है, वो सुदामा कोटा लेकर भी हमारे प्रतिनिधित्व को गाली देते रहते हैं, वे भेदभाव जाति देखकर करते हैं, लेकिन आरक्षण उनको आर्थिक आधार पर चाहिये.!!
यह दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट है, सभी देवदासियां दलित समाज की हैं, दक्षिण भारत मे जहां मंदिर संस्कृति मजबूत हुई वहां पुरोहितों ने पूरे अय्याशी के इंतजाम किए थे वो आज भी जारी है, यदि देवदासी प्रथा इतनी ही अच्छी है तो पुजारियों ने ये अवसर अपनी बहन, बेटियों को क्यों नहीं दिया?
बड़ी ख़बर -
BJP के पूर्व मंत्री ने सीएम योगी को बताया बेकार और नकारा, मायावती को बताया बेहतर मुख्यमंत्री।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और बीजेपी विधायक के पिता राम सरन वर्मा ने अपनी ही सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
उन्होने कहा कि मायावती के कार्यकाल में रिश्वतखोरी नहीं होती थी।
एक आदमी गणेश जी के पैर छूने गया,
और बगल में खड़े व्यक्ति ने उसे तुरंत लात मार दी,
इसी संस्कृति ने 5000 साल तक देश की 85% आबादी को जानवरों से भी बदतर समझा, शायद इसीलिए बाबा साहब अम्बेडकर ने बौद्ध धम्म अपना लिया.?
पहले डिजिटल इंडिया के नाम पर लोगो को कैश लेस करो, जब लोगो को ऑनलाइन ट्रांजेक्शन की आदत लग जाए फिर 2000 से कम के ट्रांजेक्शन पर "18% GST" लगा दो,
भक्तों तुम भी बच नहीं सकते, तुम्हारे भी अच्छे दिन आने वाले हैं..!!
इं��ान बनने के लिए धर्म, पुजारियों, बाबाओं, धर्माचार्यों, शंकराचार्यो, मंदिरों के भगवान या देवी-देवताओं के आशीर्वाद की जरूरत नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों, आदर्शों, सिद्धांतों और संवेदनाओं को अपने जीवन में अंगीकार करने की जरूरत होती है..!!
जब तक दुनिया में “विषमतावादी” धर्म रहेंगे तब तक किसी भी देश में “समानता” वाले विचार आ ही नहीं सकते क्योंकि “धर्म” ही “भेदभाव” और “अंधविश्वास” का कारण है...!!
हमारे दान, दक्षिणा पर पलने वाले पाखंडीयों कुछ काम काज कर लिया करोगे, अकबर के दरबार में मुजरा करके उनके टुकड़ों पर पलने से लेकर आज तक मुफ्त खोरी कर रहे हो, आज से दान, दक्षिणा बंद..!!