छाती मै घा कर दे, कड़वा बोल लुगाई का,
बड़े-बङ्या नै पाट्या कोन्या, तोल लुगाई का
निगाहं प्रीतम की खींची रहै, सूरत चरण मै जचीं रहै
जै बुरे कर्म तै बची रहै, तो के मोल लुगाई का
कदे हरा दे कदे जीता दे, कदे भुला दे कदे चेता दे
भर दे कदे रि���ा दे, खाली डोल लुगाई का
पंडित नंदलाल