गांव देहात का एक आदमी शहर में रहता है बस। ना शहरी हो पाया और ना गाम का रह पाया। बस यही परिचय है। जान पहचान के लिए गुरुकुल आफ पॉलिटिक्स पर मुझसे जुड सकते हैं।
कल भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इंटरव्यू में मैंने यह सवाल पूछा कि आप अपना इतना कम क्यों बोलते हैं उन्होंने कहा कि बोलना जरूरी नहीं है लेकिन यह सोचकर बोलना जरूरी है कि मैं क्या नहीं बोलूं. अनुभव बहुत बड़ी चीज होती है. राजनीति में इतने साल गुजारने के बाद भी अभय चौटाला को यह समझ नहीं
लोकसभा चुनाव में अंतिम समय में वर्धन यादव की टिकट राज बब्बर जी को दे दी थी लेकिन पार्टी प्रत्याशी की दिल से मदद करते रहे वर्धन यादव को पार्टी ने उनकी लॉयलटी का इनाम बादशाहपुर से टिकट देकर किया है।
@VardhanYaadav
सोशल मीडिया पर अक्सर मुझे ट्रॉल करने वाले अहीरों के बालक सबसे आगे रहते हैं लेकिन मैं उन्हें माफ करता रहता हूं क्योंकि बेचारे अबोध हैं। अगर ये मान रहे हैं कि हरियाणा में जाटों की सत्ता चली गई है तो तुम भी बच्चों ये मान लो कि बिहार और उत्तप्रदेश में यादवों की सत्ता कभी नहीं आएगी।
सफलता के कई बाप होते हैं, असफलता अनाथ होती है। जो लडें वो जानते हैं कि हार क्यों हुई और जीत किस तरह मिली। मूल हरियाणा वासियों का ये आखिरी चुनाव था और जीत भी हरियाणा वालों की ही हुई है। 2029 तक हरियाणा की डेमोग्राफी पूरी तरह बदल चुकी होगी।
पूरे देश का पता नहीं है। हरियाणा में चुनावी नतीजे इस बार बहुत अलग देखने को मिलेंगे। 20 साल के पत्रकारिता जीवन में पहली बार हरियाणवाी लोगों का ये रूप देख रहा हूं।
ठगी बाजार की सैर सरकार बीजेपी की बनी है, कांग्रेस हारी है लेकिन कोई उत्सव बीजेपी भी नहीं मना पा रही है। पहली बार देख रहा हूं कि जो जीत गए है वो भी डर में है और जो हारे वो सदमे में हैं कैसे हारे। कल तक बीजेपी के लोग अपनी 20 सीट भी नहीं बता रहे थे और वो अपने नए नए नायक खडे कर रहे
भव्य बिश्नोई क्यों हारा?
कामरेड इंद्रजीत जी ने इंटरव्यू में मुझे बताया कि एक बार चौधरी भजनलाल हिसार रेस्ट हाउस में बैठे थे तो एक किसान उनसे मिलने आया। उम्र में किसान बडा था इसलिए उसे देखने ही नमस्ते भी चौधरी भजनलाल ने ही की। पूछा कि किसलिए आना हुआ तो उन्होंने बताया कि भैंस लेकर
कैप्टन अभिमन्यु के सामने जिस दिन जस्सी पेटवाड को टिकट मिली थी उस दिन के माहौल और आज में दिन-रात का फर्क है. कैप्टन अभिमन्यु ने जैसे धरती पकड़ ली हो नारनौंद की. पुराने हिसार की सबसे रोमांचक मुकाबले की दो सीट है नारनौंद और तोशाम.
थोडा देसी चुनावी डॉयलाग
भाजपा नेता कहते हैं वो तीसरी बार चंडीगढ़ जाएँगे। हां वे भी जावैंगे, हाम भी जावांगे। 8 तारीख को भाजपा वाले अपने गूदड़े उठाण जावैंगे, कांग्रेस आले अपने गूदड़े बिछाण जावैंगे।
-चौधरी बीरेंद्र सिंह
अब सैलजा जी को बीजेपी में चले जाना चाहिए काेई बुराई नहीं है बहती गंगा में हाथ धो लेने से। तंवर साहब की यही सजा है, उनको कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बना देना चाहिए।
कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया जी जुनूनी आदमी हैं और वे हरियाणा कांग्रेस में कल्चर बदलना चाहते थे लेकिन हरियाणा के कांग्रेसियों ने उनका मोर बना दिया है। वो अच्छे इंसान हैं लेकिन अफसोस की बात है कि उनके होमवर्क पर पहले दिन से ही कांटा लग गया और टिकटें नेता बांट रहे हैं।
आदमपुर सीट पर सबकी निगाहें हैं, कहा जाता है कि यहां कांग्रेस भी कुलदीप बिश्नोई की सहूलियत के हिसाब से टिकट ��ेती है। लोगों में चर्चाएं हैं कि अगर टिकट प्रदीप बैनीवाल को टिकट मिली तो आदमपुर का गढ इस बार टूट जाएगा और अगर चंद्रप्रकाश को टिकट मिली तो 20 हजार वोटों पर मामला सिमट जाएगा
तजुर्बे से बता रहा हूं जिस पार्टी का मुख्यमंत्री अपनी सीट बदल ले वह पार्टी सत्ता में नहीं लौट सकती. 67 नाम की जो लिस्ट बीजेपी ने जारी की है उसमें से अधिकतम 15 लोग ही जीतेंगे, बची सीटों में से अगर 10 भी जीत जाएंगे तो हरियाणा में बीजेपी का प्रदर्शन 25 रहेगा.
चुनाव आते जाते रहते हैं। हम यहां रहेंगे लेकिन कुछ गलतियां ऐसी होती है जिनकी कभी भरपाई नहीं होती है और करने के बाद लगता है ये हमने क्या कर दिया?
अभय चौटाला
भव्य बिश्नोई
कैप्टन अभिमन्यु
ओमप्रकाश धनखड
याद रखने के शुक्रिया प्यारों! राजयोग का आनंद लें, फिलहाल तो यही कह सकता हूंं औरों का पता नहीं पर मैं हरियाणा स्थाई विपक्ष के रूप में आप लोगों के सामने हमेशा चुनौति बनकर खडा रहूंगा, अंतिम व्यक्ति तक। खैर एक गजल मुझे पसंद है वो आराम से सुनें। 🙏😍
हम को किस के ग़म ने मारा ये
हरियाणा में बीजेपी न केवल अपना बल्कि 35 से ज्यादा दूसरों का भी चुनाव भी लड रही है। ये सारा चुनाव इसी गणित पर टिका है कि कांग्रेस के वोट तीसरा पक्ष कितने काट पाता है। जहां भी त्रिकोणीय मुकाबले बनाने में बीजेपी सफल होगी वो सीट बीजेपी के पक्ष में जाने की गुंजाइश ज्यादा बनती है।
आप श्वेता ढुल की राजनीति के विरोधी हो सकते हैं? आप इस बात के भी लिए भी उनकी आलोचना कर सकते हैं उन्होंने रणदीप सुरजेवाला जी जैसे दोगले राजनेता के नेतृत्व में काम किया और टिकट के लिए उनपर भरोसा किया? इसके बावजूद ये सच है कि हरियाणा में अगर किसी ने सरकार के सबसे बडे मुद्दे पर्ची
इन सारे कंडीडेट में मेरी पसंद का एक ही कंडीडेट है और वो हैं भिवानी से कामरेड ओमप्रकाश जी। मेरी फ्रेंडलिस्ट में जितने मित्र हैं अगर उनका कोई संपर्क भिवानी में है तो वो कामरेड ओमप्रकाश जी को वोट देने और मांगने की कृपा करें। मित्रों अगर हम अच्छे लोगों को वोट देना शुरू करेंगे तो
तुरंत प्रभाव से उदयभान जी को राहुल गांधी की गाडी से उतरकर अपना होडल संभाल लेना चाहिए और नायब जी को मोदी की राम राम करके लाडवा पहुंचना चाहिए। कदै सारा गाम बस जा अर इनकी झोपडी में कोई तिल्ली दिखा गया तो दिक्कत बण जाएगी।
दीपक बावरिया जी स्वस्थ होकर घर लौट आए हैं डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी है कि समय पर दवाई लेते रहे और रात को सोते समय विशेष ध्यान रखें कि आपका मुंह हरियाणा की तरफ नहीं होना चाहिए.
थोडी देर में हरियाणा में कांग्रेस में टिकटों को लेकर एक बैठक होगी जिसमें दीपक बाबरिया मेदांता से और राहुल गांधी अमेरिका से वीसी जुडेंगे। इसके बाद देर रात तक संभव है सूची जारी हो।
कांग्रेस को काफी साल बाद
@rssurjewala
जी के बाद एक ढंग की प्रवक्ता
@SupriyaShrinate
मिली हैं जो तर्कपूर्ण ढंग से बात रख सकती हैं। पार्टी चाहे कोई भी हो तथ्यों के साथ बातचीत रखी जाए तो सुनने वालों को भी ठीक लगता है और देश को भी इससे फायदा होता है।
आज के दिन किसी का बेटा बीजेपी में सांसद हो और मां कहे मैं निर्दलीय लडूंगी मुझे इसमें राजनीति दिखाई देती है। वो भी एक कारोबारी परिवार जिसे पता है कि 2029 तक मोदी जी तो है हीं। ऐसा लगता है कोई सॉलिड प्लानिंग है बीजेपी की कुछ सीटों पर। +1
एक नेता ऐसा भी..... विधायक बनने के बाद भी वेतन नहीं मिलेगा
हरियाणा में एक प्रत्याशी ऐसे भी हैं अगर वो चुनाव जीते तब भी उन्हें कोई वेतन नहीं मिलेगा? भिवानी विधानसभा से सीपीआईएम के प्रत्याशी कामरेड ओमप्रकाश की पार्टी का नियम ये है कि अगर वो निर्वाचित हुए तो सरकार से मिलने वाला तमाम
बहुत सारे लोग दीपक बावरिया का मजाक बना रहे हैं लेकिन कांग्रेस में केवल एक यही बंदा है जो अभी तक इस बात पर अड़ा हुआ है की कांग्रेस पार्टी को अच्छे लोगों को ही टिकट देनी चाहिए और लिस्ट पर साइन करने से इनकार कर दिया है. टिकट पचड़े से पीछा छुड़ाकर राहुल गांधी भले ही अमेरिका भाग गए
इनेलो के साथी मुझसे नाराज हो जाएंगे लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट बता रही हैं मीनू बैनीवाल बीजेपी से ही उम्मीद्वार होते तो ये अभय चौटाला के लिए ये अच्छा ही था। अब हाल ये हैं कि अभय सिंह चौटाला और भरथ सिंह बैनीवाल में सीधा कांटें का मुकाबला है और कुछ भी हो सकता है। पडोस के रानियां में
सरकार जन से बनती है और जनमत फिलहाल बीजेपी के साथ हैं। जीत को झुठलाने के बहुत तरीके हो सकते हैं लेकिन सच वो होता है जिसे अधिकांश लोग मान लें। प्रदेश में तीसरी बार सरकार बनने निसंदेह भाजपा से सहानुभूति रखने वाला हर साथी आज बहुत खुश होगा, उन सभी को हार्दिक बधाई। अब मौका है हार जीत
राव इंद्रजीत सिंह को जानने वाले बताते हैं कि आज तक चुनाव में कभी वो अपने निवार्चन क्षेत्र में नहीं रूके हैं लेकिन एक साधारण से आदमी ठाकुर अतर लाल ने धरती पकडकर राव साहब को धरती सूंघा रखी है। वहां के लोग बता रहे हैं कि बेटी के साथ साये की तरह रह रहे राव इंद्रजीत हार को रह रहकर हार
हरियाणा मे प्रत्याशी केवल विरोधियों से नहीं लड रहे है बल्कि उमस और गर्मी से भी उनका मुकाबला हो रहा है। सारे परीने से तरबतर हैं लेकिन मजबूरी है सहनी पडेगी ये गर्मी। एक महीने की ये मेहनत अगले चार साल 11 महीने 24 घंटे ठंडी हवा प्रदान करने का अवसर दे सकती है।
टिकट कटने के बाद बीजेपी में जो भगदड़ आप देख रहे हैं उससे ज्यादा भगदड़ कांग्रेस में मचेगी. पर सच यह है कि जिसकी टिकट कटेगी उसके पड़ोसी भी जश्न मनाएंगे.
यो तो बन्या MLA 😀
कैशियस क्ले ने ओहियो नदी में अपना ओलंपिक मैडल यह कहकर फेंक दिया था कि मुझे नहीं चाहिए वो मैडल जो रंगभेद खत्म ना मिटा सके। विनेश फौगाट आज उसी दर्जे की खिलाडी है।
मुख्यमंत्री मन���हर लाल जी भी पूरे डिजिटल हो गए हैं। लोकडाउन में वो दो दर्जन बार तो लाइव आए ही होंगे। आप उनके वीडियो के नीचे कमेंट पढना। सौ में 99 कमेंट होते हैं-क्लर्क का रिजल्ट कब आएगा। एक होता है रामपाल महाराज को रिहा करो। 😀
एक बच्चा किसी अमीर दंपत्ति को पडा हुआ मिला। निसंतान थे इसलिए खुद ही अपना लिया। पाला पोसा बडा किया, काराेबार अच्छा था लेकिन ये कभी नहीं बताया कि हम तेरे असली माता पिता नहीं हैं। एक पडोसी ने एक दिन उसके कान भर दिए कि ये तेरे असली मां बाप नहीं हैं। बेचारे के दिल में बैठ गई, खाना
निर्दलीय विधायक का एक ही दिल होता है और वो है पैसा!!!! राजनीति में इसे जैकपॉट कहा जाता है जब किसी पार्टी को समर्थन की जरूरत पड जाए और ये कमी निर्दलीय पूरी करता हो तो कीमत हजार गुणा मिलेगी। सरकार पूर्ण बहुमत से बन रही हो तो पांच साल निर्दलीय ऐसे घूमता है जैसे शादियों में फूफा।
दीपेंद्र हुड्डा के रणनीतिकारों का मानना है कि वह डेढ़ लाख वोटो से जीतेंगे। अरविंद शर्मा की कोर टीम का मानना है कि 50000 वोटो से जीत रहे हैं। वोटिंग परसेंटेज गिरने से किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है, 4 जून को ही स्थिति क्लियर हो��ी।
चौधरी देवीलाल कहा करते थे कि मैनिफेस्टो का पहला पन्ना फाड दो उसके बाद सारी पार्टियों के बराबर ही दिखेंगे। 2024 के चुनाव में हरियाणा में कांग्रेस की गारंटी और बीजेपी के संकल्प एक दूसरे के कॉपी पेस्ट ही लगते हैं लेकिन तीन चीज कांग्रेस की उसे बीजेपी से आगे कर देती हैं। छह हजार रुपये
हरियाणा के चुनावी समीकरण को समझने के लिए मैंने कल रोहतक में Gurukul of politics नाम से यूट्यूब चलाने वाले धर्मेंद्र कंवारी और डॉ सतीश त्यागी से लंबी बात की है . सतीश त्यागी जी ने हरियाणा की राजनीति को चार दशकों से देखा है और 'पॉलिटिक्स ऑफ चौधर' के नाम से एक शानदार किताब भी लिखी
अगर श्वेता ढुल की कलायत से टिकट कट रही थी, जयप्रकाश के बेटे को ही टिकट मिलना जरूरी था तो क्योें रणदीप सुरजेवाला ने कैथल से श्वेता ढुल के लिए टिकट नहीं मांगी। क्या उनके बेटे का चुनाव लडना जरूरी था। हरियाणा की एक बहादुर बहन रणदीप सुरजेवाला जैसे नेता की वजह से चुनावी मैदान से दूर
हरियाणा में आज के दिन इनेलो इन चार सीटों पर बहुत अच्छी टक्कर दे रही है। रानियां, ऐलनाबाद, नरवाना और यमुनागर। उसका सबसे अच्छा स्काेर चार रह सकता है नहीं तो दो सीट कम से कम आने की उम्मीद है। इनेलो वाले साथी कोई सीट छूट रही हो तो बता सकते हैं।
हरियाणा के मतदाताओं के अलग ही स्वैग और डॉयलाग डिलिवरी है जो अक्सर हरियाणा के बाहर के पत्रकारों को कंफ्यूज कर देता है। जैसे
तेसर कर देवांगे
इसके माथे गधी बंधरी सै
इसकी नाड म्ह सरिया है
इसका घी तोल देंगे इबकै
ये तो न्यू हांडे सै पीपी म्ह तेल घालै
एक आध आप भी बता दें
हरियाणा में भाजपा के पितृपुरुष पंडित रामबिलास शर्मा की विदाई का चुनाव भी कई बार विधायक और मंत्री बनना, बापू आसाराम से आशीर्वाद प्राप्त करने के बावजूद मुख्यमंत्री नहीं बन पाने का मलाल उनको ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणवी समाज को रहेगा।
एक आदमी अपने पडोसी के घर घोडी मांगने गया। पडोसी बोल्या भाई घोडी तो बेच दी हामन्ने। ये सुनकर पडोसी जाने लगा तो बोल्या सुण भाई... जै ना बेची होंदी तो तन्नै तो फेर भी ना देऊं अर। 😀
बलराज कुंडू की फ्री बस सर्विस: समाधान क्या है?
जियो ने फ्री सिम दिए अब पैसे ले रहा है आप रोए क्या? तो बलराज कुंडू की फ्री बस सर्विस को बंद करने पर इतना हंगामा क्यों है? आप जो सुविधा ले रहे थे कायदे से आपको उसका भुगतान करना चाहिए था। खैर, मामला बहन बेटियों का है ���र ये सबकी सांझी
पुराने रोहतक के कांग्रेसी केवल टिकट मिलने की लड़ाई लड़ते हैं टिकट मिलने के बाद वह जीत का जिम्मा हुड्डा साहब के कंधों पर डाल देते हैं कि अगर आपको सीएम बनना है तो हमें जितवा दो.
बवानीखेडा से दो बार विधायक बने और अब मंत्री बनने के बाद बिशबंर बाल्मीकि का टिकट बीजेपी ने काट दिया है। टिकट कटने के बाद वो लोगों की छाती पर सिर रखकर ऐसे रो रहा है जैसे किसी खूबसूरत लडकी को अधेड के साथ शादी करके जबरदस्ती ससुराल भेजा जा रहा हो। बेहद निष्क्रिय विधायक रहे ये भी।
विजेंद्र और लोक निंदा
मैं उन दिनों भिवानी में भास्कर का ब्यूरो चीफ होता था। एयरपोर्ट पर तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा से मिलने बॉक्सर विजेंद्र के पिता आए हुए थे। हुड्डा साहब ने वहां मौजूद सारे कांग्रेसियों को दरकिनार कर उनके पिता के साथ बहुत आत्मीयता से बात की। ये धाक। +1
चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा यूं तो मिलनसार नेता हैं लेकिन टिकटार्थियों के सामने जो चुप्पी उन्होंने ओढी है उसकी गजब चर्चाएं हैं। टिकट की चाह में लोग लाइन में लगकर दर्शन कर रहे हैं, मजाल है किसी से कोई बात भी की हो। एक दम मौन व्रत। दर्शनों के बाद टिकटार्थी सिर्फ अंदाजे लगाते रहे 1
इलेक्शन में ये बातें चुनाव लडने वाले हर कंडीडेट के बारे में कही सुनी जाती हैं।
1. उसका इलेक्शन तो बैठ लिया।
2. वो तो बाहर के लोगों से घिरा हुआ है।
3. वो पैसे नहीं खर्च कर रहा।
4 उसकी मैनेजमेंट बहुत खराब है।
5 उसके साथ रहने वाले ही नीचे नीचे उसकी गोभी खोद रहे हैं।
6 उसके समझ
हरियाणा में टिकट वितरण बहुत मायने रखता है। अगर कांग्रेस में कोटा सिस्टम से टिकट बांटी गई तो बना बनाया खेल बिगड सकता है और भाजपा में मनोहर जी ने टिकट बांटी तो 20 से ज्यादा शीट बीजेपी की नहीं आएंगी।
टीम दीपेंदर हुडा भाजपा के तीन नेताओं पर आग बबूला है और उन्हें 15 करोड मानहानि का नोटिस दिया है। भाजपा नेता अरुण यादव, जवाहर यादव और बबीता फोगाट ने एक पोस्ट करते हुए कहा था कि टीम दीपेंद्र के लोग ऑक्सीजन की कालाबाजारी कर रहे हैं।
भिवानी की राजनीति में किरण चौधरी और धर्मवीर सिंह एक दूसरे के धुरविरोधी रहे लेकिन जरूरत के समय एक दूसरे के हमेशा काम आते रहे। तीसर�� कभी धडा पनपने ही नहीं दिया गया। अब स्थिति अलग है, अब दोनों ही धडे भाजपा नाम के घडे में समाहित हो चुके हैं। पहली बार ऐसा होगा जब ये धडे गुपचुप नहीं
हरियाणा में कांग्रेस की टिकटों की मारमारी का हाल ये है कि कुछ टिकटार्थी तो उन नेताओं के पास भी टिकट मांगने जा रहे हैं जिनको खुद टिकट के लाले पडे हुए हैं, वहीं भाजपा परिवारवाद को अपनाते हुए नेताओं के बच्चों को थोक में टिकट देने जा रही है।
हैरानी भरी बात है लेकिन सच है। विनेश के जुलाना से नाम की घोषणा के साथ ही ऐसा लग रहा था वो हरियाणा में सबसे ज्यादा वोट से चुनाव जीत रही है लेकिन अब विनेश का ही चुनाव खतरे के निशान पर पहुंच गया है। चुनाव लडने के कुछ नियम होते हैं वो खेल और भावनाओं से परे होते हैं, विनेश के
बल्लभगढ में हैं दादा-पौती
राजनीति भी अजीब संयोग का खेल है। बल्लभगढ से कांग्रेस ने राहुल गांधी की टीम का हिस्सा पराग शर्मा को टिकट मिली है और उनके सामने चुनाव लड रहे हैं दो बार के विधायक मूलचंद शर्मा। दोनों रिश्ते में दादा पोती लगते हैं और एक ही गांव के हैं। 1987 में विधायक बने थे
बीजेपी समर्थकों को बात अच्छी नहीं लगी तो कांग्रेस से पैसे ले लिए
कांग्रेसियों को पसंद नहीं आई तो बीजेपी से पैसे ले लिए
इनेलो वाले को पंसद नहीं आई तो कांग्रेस से पैसे ले लिए
पैसा ना हो गया तूडी हो गया जैसे उडता फिर रहा है
सिर्फ जजपा इकलौती ऐसी पार्टी है चाहे कुछ कहते रहो बिल्कुल
इस बार पर बहुत वाद विवाद होते रहते हैं, आज भी मैं देख रहा था लोग इस बारे में आपस में उलझे हुए हैं। लेकिन सच यही है कि चौधरी भजनलाल जी मांझू गौत्र के जाट थे। बिश्नोई उनका पंथ था। पहली बार जब वो मुख्यमंत्री बने तो रोहतक की बार में वकीलों को अपनी जमीन के कागज दिखाए थे कि देखो मैं तो
भारत की सरकार को 90 लोग चलाते हैं। इन 90 में केवल तीन ओबीसी हैं। अगर देश 100 रुपये खर्च करता है तो इसमें केवल एक रुपया कहां खर्च होगा इसका ही फैसला करना देश के दलित समुदाय कर पाता है।
राहुल गांधी
रामबिलास जी हरियाणा की राजनीति में पिछले पचास साल से सक्रिय थे। हरियाणा के ब्राहमण समाज की वो एकमात्र उम्मीद थे कि कभी ना कभी वो मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने इसकी कोशिश भी जारी रखी लेकिन उनकी टिकट कटने के साथ ही इस समाज के इस सपने को भी दफन कर दिया गया है क्योंकि वर्तमान दौर
बवानीखेड़ा से कांग्रेस एक बड़ा झटका देते हुए पूर्व मुख्य सांसद संसदीय सचिव रामकिशन फौजी की जगह युवा नेता प्रदीप नरवाल को और इसी तरह पूर्व विधायक और चौधरी बंसीलाल के दामाद सोमवीर शयोरान के बेटे समीर को बाढ़डा से चुनावी मैदान में उतरने जा रही है.
नेताओं में एक बात कॉमन है, चढती हुई बेल को नहीं काटा करते। नेता पुत्रों को टिकट मिलती है तो एक दूसरे के बीच टांग नहीं अडाते। कलायत से जयप्रकाश जी के बेटे को टिकट मिली, कैथल से रणदीप जी के बेटे को टिकट मिली, दोनों खुश हैं। भव्य बिश्नोई के सामने हुड्डा साहब ने डमी प्रत्याशी उतार
दुष्यंत चौटाला के साथ जो रहा है वो कोई ताज्जुब वाली बात नहीं है। गठबंधन भारतीय राजनीति का सच है लेकिन लोगों के सेंटीमेंट्स के साथ खिलवाड कभी नहीं करनी चाहिए। जिन्होंने उनको सिर आंखों पर बैठाया था आज वो उनको अपनी आंखों से देखना नहीं चाहते और सिर से तो पटक ही दिया है।
टिकट वितरण के बाद लग रहा है कि बावरिया जी में कांग्रेस का मेनिफेस्टो बनाने की भी हिम्मत नहीं रही है, कांग्रेस बिना घोषणा पत्र चुनाव में चली जाए तो कोई बड़ी बात नहीं. बाद में यह भी नहीं कहना पड़ेगा कि हमने यह वादा किया था.
राजनीति पर बात करने के लिए एक छोटी सी कोशिश की थी और देखते ही देखते यह कोशिश लखपति परिवार में बदल गई है। गुरुकुल का पॉलिटिक्स से जुड़े हर साथी का अभिनंदन है।
असली मजा मुझे आजकर
@BJP4Haryana
के हेंडल को पढकर आ रहा है, दस साल राज करने के बावजूद बीजेपी हरियाणा की नब्ज नहीं पकड पाई। पहले तो अपनी एक लाइन पकडो की आपको असल में विरोध करना किसका है और फिर किसी छिछोरे से अडंग धडंग लिखवाना बंद करो भाई और तीसरा दस साल के कामों पर फोकस करो।
चुनावों में ऐसे लोग खूब मिलते हैं, भाई साहब मेरी बात लिख लो.... स्क्रीनशॉट लेकर रख लो। चुनाव के बाद ये लोग मुझे कभी दिखाई नहीं देते हैं। 75 पार, 400 पार, दस में दस... याद भी नहीं है कितने धुरंधरों को पतली गली से निकलते देखा है मैंने।