न दिल की चाहतों में हूँ,न आशिक़ ए शुमार में हूँ मैँ
गुज़री अधूरी हिकायत हूँ,आशिक़ ए मिस्मार में हूँ मैं
कल आंखों का तारा था,दुलारा था,सबसे प्यारा था
आज न ख़्वाबों में,न यादों में,न तेरे अब्सार में हूँ मैं
हिकायत-कहानी मिस्मार-बर्बाद अब्सार-आंखें
~अशोक मसरूफ़
#मसरूफ़ #बज़्म