आवश्यक नही कि,आप हमारी हर बात से सहमत हो,लेकिन सत्य को आप की सहमति,असहमति से कोई फर्क नही पड़ता,क्यो की सत्य इतना परिपूर्ण होता हैं कि उसे स्वीकारना ही पड़ता हैं।
फुटपाथ पर बिकने वाली 50 पैसे की चूरन चाट कर लिखी गई किताबो से, यह भाई साहब सभी हिंदू मंदिरों को बौद्ध सिद्ध कर के उस पर मालिकाना हक जताते फिर रहे हैं। इस आदमी को सैकड़ों बार बोल चुका हूं फुटपाथ की सस्ती मनोरंजन मस्तमौला किताबो को छोड़ कर कुछ ढंग का पढ़ो मगर यह सुनते ही नही।
तिरुपति बालाजी ही नहीं, बल्कि बद्रीनाथ, जगन्नाथ, अय्यप्पा, विठ्ठल, तिरुमला जैसे कई प्रमुख मंदिर, जिन पर आज ब्राह्मणवादी ताकतों का कब्जा है, वास्तव में बौद्धों के स्थल रहे हैं। जो लोग मुस्लिम आक्रमणों के बाद कब्जाए गए मंदिरों को वापस लेने की बात करते हैं, क्या वे बौद्धों से छीने
यह वह 15 महिलाएं हैं जिन्होंने भारत का संविधान बनाने वाली संविधान सभा में सम्मिलित थी। अनुसूचित जाति से भी है ओबीसी वर्ग से भी है अल्पसंख्यक समुदाय सिख तथा मुस्लिम आदि समुदाय से भी है लगभग सभी ग्रेजुएट हैं। कुछ लोग कहते हैं संविधान बनने के बाद इनको अधिकार मिला। जबकि इन्होंने खुद
बाराबर पहाड़ी गुफाओं के प्राचीन रॉक नक्काशीदार लिंगम भारत में सबसे पुरानी जीवित रॉक-कट गुफाएं हैं, जो मौर्य काल 322-185 ईसा पूर्व की हैं। यह गुफ़ा बिहार राज्य के जहानाबाद जिले में गया से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुफाएँ हैं। यह संयुक्त रूप से हिन्दू(शैव),जैन, बौद्ध स्कल्पचर्स
@vilas1818
फूट डालो राज करो यही नीति रही है अंग्रेजो द्वारा छोड़े गए भारतीय जूठन की ... जिनका खुद को कोई इतिहास नही होता वह लोग दूसरो के इतिहास में या तो अपना बाप ढूढते है या इतिहास को मिटाने की कोशिश यहां यह दोनो कार्य कर रहा है। कल तक जो क्षत्रिय इनके लिए विदेशी थे आज यह उनको बाप बनाए
चौथी से पांचवी शताब्दी के मध्य गुप्तकाल में भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण का अंकन साथ ही ऊपर ब्राम्ही लिपि में वाल्मीकि रामायण से संस्कृत श्लोक का उल्लेख ..
तो जो लोग कहते हैं की रामायण महाभारत मुगलों और अंग्रेजो के काल में लिखी गई उन लोगो के लिए गटर के पानी में भिगोया हुआ
इटली में खुदाई से मिली दर्जनों मूर्तियों ने साबित कर दिया कि ग्रीक देवता की नकल है बुद्ध , बुध की पहली मूर्ति भी कनिष्क काल में बनी थी। इटली सियेना प्रान्त टस्कनी क्षेत्र में खुदाई में दो हजार साल पुरानी ग्रीक देवताओं की मूर्तियाँ मिली।
सिएना यूनिवर्सिटी फॉर फारेनर्स के प्रो.
नव बौद्ध यह दुष्प्रचार फैला रहे है की वेदों का अध्ययन अध्यापन 9 शताब्दी में, देवनागरी लिपि के अस्तित्व में आने के बाद सुरु हुआ। उससे पहले वेदों का नमो निशान नहीं था। कारण की इनका मानना हैं की ब्राम्ही लिपि में संस्कृत नही लिखी जा सकती 😂😂
और ऐसा वही नवबौध बोलता है जिसको भाषा
90 लोग पहली नजर में इस प्रतिमा को बुद्ध की कहेंगे, लेकिन यह बुद्ध नही हैं यह है भगवान लकुलीश जिन्हे श्रीवत्स और उर्धावलिंग के साथ दर्शाया गया हैं। इस प्रतिमा से यह दोनो लक्षण छीनी हथौड़ी की मदत से कोई हटा दे यह प्रतिमा भी बुद्ध की हो जायेगी .. तो क्या समझे ?
अरे वाह यह तो लेटेस्ट न्यूज हैं .. खुघट उठाने पर बुद्ध निकले और जब मूर्ति की पूरी तस्वीर ली गई तो बुद्ध कुछ ऐसे दिखे 🤣🤣 स्त्रियोचित चिन्हों के साथ 😎😎 हमें नही पता था नवबौधो के बुद्ध के शारीरिक लक्षण ऐसे थे।
देख लो हिंदुओ आंखें फाड़ के देख लो यह असली बुद्ध की मूर्ति हैं।
मान्यता अनुसार
सबसे बड़ी #शक्तिपीठ मां मुंडेश्वरी देवी मंदिर में स्थापित मूर्ति का जब घूंघट उठाया गया,
तो
वह अनाड़ियों (अनार्य) के #मार्गदाता भगवान गौतम बुद्ध निकले।
—-राजीव पटेल
@Profdilipmandal
इतिहास में कही भी ब्रह्मण को तीर्थका नही बोला गया यह तीर्थांकर के साम्य शब्द है .. दूसरी बात जब 12 शताब्दी का समकालीन चीनी यात्री धर्म स्वामी स्पष्ट लिखता है की नालंदा को तुरको ने जलाया तो ये मोहतरमा समकालीन प्रमाण जिसमे तबाकत ए नसीरी भी है को छोड़ कर क्या गप्प फैला रही हैं।
बौद्ध कहते है की बौद्ध भिक्षुक नागसेन ने मिलिंद को डिबेट में हरा कर बुद्धिस्ट बना दिया था। मगर एक बात का उत्तर कभी नही देते की नागसेन तो पाली बोलता था और मिलिंद को पाली आती नही थी तो इन दोनो में डिबेट कौन सी भाषा में हुआ था ?
कही ऐसा तो नहीं की नव बौद्धों ने फेकमफकी के चक्कर
@Therajatmourya
कौन सा चूरन चाट के इतिहासकार बने हो की बोल रहे हो बुद्ध के समय क्षत्रिय नही थे। अरे यह जानने के लिए बाबा साहब को ही पढ़ लेते , बुद्ध और उनका धर्म तो पढ़ा है आप ने उसमे खत्तीय को क्षत्रिय ही लिखा है बाबा साहेब ने। और हां आप की जानकारी के लिए बता दे पाली में खेती करने वालो के लिए
ये कौन से बुद्ध हैं ? इतने हाथ और इतने सर के साथ किसी का अस्तित्व कैसे स्वीकार किया जा सकता हैं?
बस पूछ रहे है इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण क्या हैं ? कोई बता सकता है तो बताए
@ChandanSharmaG
उत्तर प्रदेश में जातिवाद इस चुनाव पर अपने चरम पर था। हर वर्ग इस बार अपनी अपनी जातिय महत्वकांक्षा में बेसुध था। जाति मिटाओ का आंदोलन चलाने वाले दोगले भी इस बार चुनाव में जाति समीकरण पर काम कर रहे थे। और सबसे बड़ी बात इस बार धर्म से ऊपर जाति को महत्व दिया गया हैं। गुलाम भले आज
अब कुछ लोग इस मूर्ति को देखेगे और कहेंगे की यह बुद्ध है। क्यों की इस मूर्ति के कान लंबे है ? लेकिन यह बुद्ध नही कार्तिकेय हैं,और उनके साथ उनका वाहन मोर भी है और उनका आयुध भी। अब समझो जिधर खोदो उधर बुद्ध ही क्यों निकलते है��� क्यों की जो बुद्ध की मूर्ति नही है उसे भी बुद्ध बता कर।
अभी देखना ढेर सारे ग्वार इस श्री विष्णु प्रतिमा में गरुण का हेयर स्टाईल देख कर इसमें अपना बाप खोजने आ जायेगे 😂😂 इनके अनुसार हर घुघराले बालों पर इनके बाप का कापी राईट था, और हर घुघराले बालों वाली प्रतिमा में इनको इनका बाप नजर आता है।
खैर हमे क्या मुझे भी अपना बाप बोल सकते हो
सम्राट अशोक के समकालीन भगवान बुद्ध की कोई भी तस्वीर या मूर्ति प्राप्त नहीं हुई है। अभी तक केवल यही चित्र प्राप्त हुआ है। सम्राट अशोक के अनुसार यह बुद्ध का प्रतीक है। इस हाथी के नीचे ब्राम्ही लिपि प्राकृत भाषा में लिखा है गजतम , विद्वानों ने इसका अर्थ किया है गजोत्तम । अर्थात जो
यह मूर्ति एक शिलापट्ट पर बनी है जिसमे भगवान कर्तिकेय अग्निदेव के साथ खड़े हुये है ,
अग्निदेव अग्नि लिए हुये अभय मुद्रा मे खड़े है, यह मूर्ति मथुरा के राष्ट्रीय संग्रहालय मे संरक्षित है , यह मथुरा के कटरा केशवदेव से प्राप्त हुई थी , इसका काल प्रथम शती ईस्वी है , यह संभवत:
जब बौद्ध धर्म के बौद्ध भिक्षु इतना बड़ा झूठ बोल सकते हैं तो सामान्य अनुयाई क्या ही नही बोलते होगे। इनको देखे स्वय को भिक्षु की उपाधि से सम्मानित कर रखा हैं। मगर एक पोस्ट में ही, जिसमे यह सम्राट अशोक का इतिहास बता रहे हैं। उसमे लिखते हैं की तक्षशिला का विश्व विद्यालय अशोक ने
बाबा साहेब बोल कर गए है की भारत के सभी प्राचीन विश्वविद्यालय मुसलमान आक्रमण कारियो ने जलाए लेकिन आज अपने आप को अंबेडकरवादी और बौद्ध बताने वाले नकली लोग कह रहे है नालंदा ब्राह्मणों ने जला दिया ?
#नालंदा_विश्वविद्यालय
कट्टर हिंदू , ब्रह्मण, राजपूत, जाट, कुशवाहा, यादव, सिंह वाली 🆔 जो ट्विटर पर 24 घंटे सक्रिय थी, और जो अपनी अपनी जाति की सुरक्षा और हक अधिकार के लिए जी जान से लड़ रही थी, लगता हैं, वह सभी 🆔 अब चीर निद्रा में चली गई है। अब वह दुबारा अगले चुनाव में राजनीतिक पार्टियों के आईटी विभाग
बेचारे ब्रह्मणवाद के नाम पर हिंदुओ को गाली देने वाले अब कहा मुंह दिखाएंगे 😂😂
नास्तिकों का moye moye😂
समणे ब्राह्मणे वापि, अञ्ञे वापि वनिब्बके।
अक्कोसति परिभासति, नत्थिको होति रोसको॥
— भगवान बुद्ध
श्रमण ब्राह्मण और अन्य याचकों की निंदा करने वाला उनको अपशब्द कहने वाला
@SudhanshuBVM
लेकिन आर्टिकल 25 2 B में बाबा साहेब आंबेडकर तो तुमको हिंदू लिख कर गए हैं 🤣😂🤣 आखिर ऐसी क्या मजबूरी है तुम्हारी संविधान विरोधी आतंकियों जो तुम लोग संविधान के खिलाफ बात कर रहे हो।
@AshokBuaddha
महोदय इस विषय पर कभी अपने धार्मिक ग्रंथों को क्यों नहीं पढ़ते त्रिपिटक सुत्तपिटक के दीघनिकाय अंगजसुत्त में बुद्ध ने वशिष्ठ से क्या कहा है ? चावल खाने से पुरुष को पुरुष लिंग स्त्री को स्त्री लिंग मिला 🤣🤣 खुद्दक निकाय के जातक 536 कुणाल में क्या लिखा है स्त्रियों के विषय में खुद
@icsinsystems
अबे मूर्ख अशोक ने अपने समय में कौन सी मुद्रा चलाई थी जरा दिखाना ईधर और अशोक का किला कहा से खोज लाया जरा इसका प्रमाण तो सलग्न कर ना अशोक की कोई मुद्रा मिली ना मिला मुहर ना मिला कोई किला और तू गला फाड़ रहा है
@vilas1818
विलास खराट यह 100 % झूठ बोल रहा हैं। मैं इस विषय पर विलास खरात को ओपन प्लेटफार्म पर डिबेट करने का चैलेंज देता हूं अगर दम है तो मेरे साथ डिबेट में आए और अपनी बात साबित कर दे ... बाकी इस व्यक्ति के इस झूठे आरोप का खंडन इस वीडियो में किया जा चुका है अगर विलास डिबेट में नही आना
भारत में दलित और आदिवासी होना बहुत मुश्किल भरा काम है.
दलित और आदिवासी होना यानी आप हर वक़्त खतरों से घिरे हुए हैं.
सवर्ण होना बढ़ा आसान है. सवर्ण जाति से होने के बहुत सारे फायदे और सामाजिक विशेषाधिकार है जो उन्हें जन्म के आधार पर मुफ्त में मिला है.
दलित और आदिवासियों पर साल
@RULLER_OF_INDIA
😂😂😂 ये फर्जी बुद्धिस्ट ऑनलाइन E-commerce वेबसाइट की मूर्ति दिखा कर बोल रहा है की यह मूर्ति इसके बौद्ध धर्म की सुरस्वती की है ...
जबकि जिस वेबसाइट पर यह मूर्ति सेल में लगी है। वहा पर साफ साफ लिखा है की यह हिंदुओ की देवी सरस्वती की मूर्ति हैं।
😂😂 बेटा चोरी के लिए भी
@icsinsystems
अनपढ़ पहले तो तुम्हारा टेबल ही गलत हैं , और जानकारी में 28 बुद्धो के नाम लिख देने से तुम्हारा धर्म सबसे प्राचीन हो गया, यह नया नया जुमला तुमने कहा से सीखा 😂 इनमे से एक भी बुद्ध के समकालीन न कोई प्रमाण है न इनके माता पिता जन्म स्थान इत्यादि का ही कोई पुरातत्विक प्रमाण हैं । एक
सच्चे सनातनी है तो शेयर अवश्य कर देना ....
नमस्कार दोस्तों .. मनुस्मृति को लेकर भारत में काफी विवाद बना हुआ हैं। अब इस विवाद पर सम्पूर्ण समाधान आप के बीच आने वाला हैं की क्या सच में Dr Ambedkar ने मनुस्मृति को जलाया था ? क्या मनुस्मृति का सम्बंध महर्षि मनु से हैं ? मनुस्मृति
पेड़ की छांव में छाता कौन उठवाता हैं, इसी तस्वीर में अगर कोई ब्राह्मण होता तो अब तक मासूम OBC SC ST के शोषण की कहानी छाप कर यही छाते वाले खूब चिल्लाते,,
लेकिन यहां तो छांव में छाता उठवा कर वैज्ञानिक बनाया जाता रहा हैं तो किसी को कोई दिक्कत नही। सयाद इसी को अंधभक्ति कहते हैं।
@icsinsystems
अरे अनपढ यह मूर्ति 11 शताब्दी की बनी है जो महिषासुर मर्दिनी को कापी कर के तुम लोगों ने बनाई है, 11 शताब्दी की बोधिसत्व की मूर्ति से पूर्व के यह शिल्प देखो पहला चित्र 100 BC/AD nagar, Rajasthan, दूसरा चित्र Gupta coin, तीसरा चित्र Los Angeles museum , 200 AD तो मुन्ना थोड़ा
हमारे पूर्वज बहुत समझदार थे वह जानते थे आने वाले समय में इतिहास चोर पैदा होंगे इन लिए उन्होंने भगवान शिव के पदचिन्ह ने नीचे रुद्र महालय लिख कर शिव चरण की पुष्टि कर दी अन्यथा आज इतिहास चोर इस पद चिन्ह को भी अपने बाप की टांग बता रहे होते।
ॐ नमः शिवाय ...
दशरथ कथा का चित्रण शुंग कालीन भरहुत स्तूप में है। जब शुंगकालीन शिल्प पर दशरथ जातक के संदर्भ से श्री राम है तो कैसे पुष्यमित्र शुंग ही श्री राम हो गए? क्या जातक लिखते या इस चित्रण को करते समय बौद्धों को नहीं पता था कि पुष्यमित्र शुंग ही राम थे? मतलब कुछ भी 😜
कुछ अनपढ लोग यह मूर्ति शेयर कर रहे है और बोल रहे है इस मूर्ति को देख कर ब्रम्हा विष्णु और भगवान शिव की मूर्तियां बनाई गई हैं | जबकि यह मूर्ति भारतीय नहीं बल्कि कम्बोडिया की एक E कॉमर्स वेबसाइट पर सेल मे बिकने वाली मूर्ति हैं. मूर्ति की यह शैली खमेर कला के अन्तर्गत आती हैं. इसका
बोध गया का विशाल बौद्ध मंदिर 300 ई० के आस पास एक ब्राह्मण अमरदेव ने बनवाया था। बौद्ध मत के तीनो संप्रदाय भी ब्रह्मणों ने ही स्थापित किए। अब सवाल यह है ये सब कर के ब्राह्मणों को मिला क्या ?
@Therajatmourya
चमत्कार ना मानने वाले अब चमत्कार से नालंदा जल गई यह बता रहे है वह भी लामा की किताब से जो 15 शताब्दी में लिखी गई 🤣🤣🤣 का मौर्य की आज कल सस्ता माल फूकने लगे है क्या ? नकली मौर्यों की यही आदत है झूठ बोलो बार बार झूठ बोलो
@BhanuNand
अगर सच में स्वामी प्रसाद जी ने ऐसा कहा हैं तो ....
स्वामी प्रसाद जी को मैं इस टॉपिक पर ओपन डिबेट का आमंत्रण देता हूं, अगर इन्होंने अपनी कही बात में से एक भी बात मेरे सामने डिबेट में प्रमाण और तथ्य के सानिथ्य में सिद्ध कर दिया तो मैं अपने पूरे परिवार के बौद्ध धम्म अपना लूंगा साथ
इन सिक्कों पर श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी सहित तीन आकृतियां है। यदि पुष्यमित्र शुंग श्री राम थे तो शुंग काल में श्री राम के चित्रण कैसे आ गये? यहां एक प्रश्न यह भी उठता है कि पुष्यमित्र को कब श्री राम बनाया गया?
भगवान विष्णु अपने चतुर्भुज रूप में गरुण देव पर विराजमान हैं। इसमें गरुण देव के बाल और कान को देख कर आप को कुछ याद आया। तो क्या समझे सिर्फ घुघराले बाल और लम्बे कान देख कर हर मूर्ति को बुद्ध मूर्ति नही कहा जा सकता। लेकिन दिमागी पैदल इसमें भी बुद्ध खोज लेगे।
कुषाण काल की पांडुलिपि अभिधम्म टीका में चारो वर्णों का उल्लेख ... और कुछ लोग कहते हैं की बौद्ध काल में वर्ण व्यवस्था थी ही नहीं। मतलब बुद्ध ने कहा था जानो तब मानो तो यह लोग जानते कुछ नही मगर मानते सब कुछ है, जो इनके एजेंडे में फिट बैठे !
@AchAnkurArya
@ajeetbharti
@factKbt
ब्रम्हा जी और माता दुर्गा के चार सर और 10 हाथ पर तो नव बौद्ध लोग बहुत तर्क वितर्क करते हैं। अब जरा ये बुद्ध के हाथ और सर गिन कर यह बताओ चार सर और दस हाथ अगर किसी के नहीं हो सकते तो यह इतने सारे हाथ और सर भगवान बुद्ध के कैसे हो सकते हैं?
कुछ लोग इस मूर्ति में भी भगवान बुद्ध को खोज लेंगे.. लेकिन यह बुद्ध नही है यह है भगवान लकुलिश जो महादेव के अवतार है। गले में रुद्राक्ष, बाजू में रुद्राक्ष साथ में ऊर्धाव लिंग भी दर्शाया गया है .. जो बुद्ध की प्रतिमा से इसे पृथक करता है। लेकिन अगर छीनी हथौड़ी से इसे हटा दे तो ?
श्याम मीरा सिंह Vs पोपट जर्नी
नमस्कार दोस्तों नालन्दा को किसने जलाया यह विषय अब भी प्रासंगिक बना हुआ हैं .. और कुछ लोग इसके जलाए जाने के कारणों में अब ब्राह्मणों का नाम उछाल रहे हैं। इस संदर्भ में कल हमने एक डिबेट सुनी श्याम मीरा सिंह जी की और पोपट जर्नी उर्फ ( Science journey)
@SurajKrBauddh
मैने सुना है आप वकील हैं तो थोड़ा यह बताईए कि हिंदू की अवधारणा में जो आर्टिकल 25 2 B लिखा गया हैं , जो हिंदू कोड बिल बना है उसके अंतर्गत आप कहा आते हैं।
इनमे आप को हिंदू ही कहा गया है। बौद्ध जैन सिक्ख हिंदू ही हैं। तो फिर यह पूछना हिंदू राष्ट्र में आप कहा आते हैं यह प्रश्न ही
इस बच्चे को देख कर कुछ लोग कह रहे है पढ़ने लिखने की उम्र में इस बच्चे को धर्म का चूरन दे कर इसका बचपना छीन लिया गया हैं।
और ऐसा कहने वाले वही दोगले है जिनके खुद के बच्चे अफ़ीम और गांजे का चूरन ले कर सड़को और गांव शहरो में हुड़दंग करते हुवे पाए जाते हैं। छोटी उम्र के बच्चे
वाल्मीकि रामायण में रावण तांत्रिक था उसके झंडे पर नर मुंड का अंकन था जो तांत्रिक चिन्ह माना जाता हैं। वह श्रुति परंपरा का त्याग कर बाम मार्ग का अनुसरण करने वाला व्यक्ति था। तुलसी दास ने रामचरितमानस में रावण को बाम मार्गी कहा हैं।
'तजि श्रुति पंथ बाम मग चलही "
तो क्या समझे
@icsinsystems
भाई उतराधिकारी साम्राज्य या राज्य का होता है, बुद्ध के पास दोनो नही था ! अब क्या भिक्षु संघ में भी उतराधिकारी बनाते ... तुम में दिमाग नाम की चीज है या बेंच दिए हो
शाक्यो कोलियों में पानी को लेकर झगड़ा हो गया दोनो एक दूसरे को गलियां देने लगे। बात बुद्ध को पता चली, बुद्ध काम निपटा कर झगड़ा छुड़ाने गए, दोनो सेनाओं के बीच हवा में ही लैंड हो कर कला धुवां छोड़ने लगे, बुद्ध रश्मि छोड़ने लगे | लेकिन यह चमत्कार नही है बुद्ध का विज्ञान हैं 🤣
@vilas1818
यहां पर आ का सारा विज्ञान तेल लेने चला जाता है .. अब बताइए एक आदमी पत्थर पर खड़ा होगा तो उसके पांव के चिन्ह कैसे छप जायेगे .. जबकि बुद्ध कोई भगवान नही थे ना दिव्य थे ना दिव्यता को मानते थे। इन थोथो का कोई भरोसा नहीं जिस बात के लिए दूसरो को ट्रोल करते है फिर वही चीज खुद में दिखा
@Therajatmourya
महा मोग्गलान ब्रह्मण ही थे। अनपढ़ कही के और यह बात किसी ब्रह्मण ग्रंथ में नहीं बल्कि बौद्ध ग्रंथ में ही दर्ज हैं। और तुम्हारे जैसा मूर्ख आज तक नही देखा जो गांव के नाम पर किसी की जाति तय कर देता हो। तुम्हारे गांव का नाम फिर मौर्य पुरम होगा इसी लिए तुमने हम मौर्यो की टाइटल ही कापी
@ceaser0o7
गधे 13 वी शताब्दी की मूर्ति दिखा कर वह भी जो भारत की नही है चौड़ा हो रहा है ,, lol भारत में इसे सैकड़ों साल पुरानी भगवान विष्णु की मूर्तिया प्राप्त हैं। कुछ पढ़ता लिखता नही है बस कापी पेस्ट कापी पेस्ट ।।।
… अगर अब तक आप ने यह वीडियो नही देखा है तो अवश्य देखे .. इस वीडियो में भगवान गौतम बुद्ध के प्राचीन प्रमाणों जिस को आधार बना कर नए नवेले बौद्ध Youtuber ढींगे हाकते हैं और हिंदू धर्म का मजाक बनाते हैं। उनके सभी प्राचीन दावों की विस्तार से समीक्षा की गई हैं।
@icsinsystems
बेटा हर मूर्ति में बाप मत खोजा करो यह बुद्ध नही भगवान विष्णु है ,, साफ साफ दिखा रहा है मूर्ति चतुर्भुज भगवान विष्णु की है .. मूर्ति खंडित है उसके बाद भी स्थापत्य कला के माध्यम से जाना जा सकत�� हैं की यह भगवान विष्णु हैं।
कभी तो दिमाग का इतेमाल कर लिया कर या बौद्ध बनने के बाद तेरे
स्त्रियों को बराबरी का दर्जा देने की पहल गौतम बुद्ध ने की थी।उनके द्वारा स्थापित भिक्षुणी संघ में अनेक स्त्रियाँ थीं,जिनमें कई भिक्षुणियां अर्हत पद प्राप्त थीं। थेरी गाथाओं में स्त्रियाँ खुलकर नारी-स्वातंत्र्य की चर्चा करती हैं।उन्हीं में से एक भिक्षुणी सुमंगला अपने अनुभवों को1/2
रोडी अर्थात रोडिया श्रीलंका के सिंहली लोगों के बीच एक अछूत बौद्ध जाति समूह है। उनकी स्थिति भारत की तथाकथित अछूत जातियों के समान ही थी। बौद्धों में रोड़ी जाति की उत्पत्ति पर विभिन्न मत हैं। महावम्स क्रॉनिकल के अनुसार, रोडिया कैदी के रूप में लाए गए 24,000 दक्षिण भारतीय दलित थे|
@icsinsystems
क्या मुर्ख बना रहा है लोगों को 11 शताब्दी की मूर्ति दिखा कर बकवास कर रहा है जबकि भगवान नरसिंह की मूर्ति तो इससे बहुत प्राचीन हैं लो देख लो कौन कापी पेस्ट किया हैं। ..
मथुरा के राष्ट्रीय संग्रहालय मे स्थित वैकुंठ श्री विष्णु जी का Sculpture, संभवत गुप्त या कनिष्क कालीन है , बुद्ध की मूर्तियों के समकालीन, बुद्ध की कोई मूर्ति भी कनिष्क से पूर्व की नहीं है। यहां तक अशोक को पता ही नहीं था बुद्ध कैसे थे शायद इसलिए उन्होंने स्वेत हाथियों के चित्र
@AKELA_PERSON
लगता है इसके बाप ने इसको सिर्फ झूठ बोलना सिखाया हैं 🤣🤣 मतलब 15 शताब्दी में बनी चीन के मिंग राजवंश की संभावित बुद्ध प्रतिमा को यह कह रहा है की इसी प्रतिमा से नकल कर के हिंदू देवता कार्तिकेय बने है। जबकि मिंग राजवंश से बहुत पहले ही भारत में सिक्को पर फलको और मूर्तियों में
कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां :~
कालिदास के रघुवंश में भी शव को भूमि में स्थापित करने की परम्परा का वर्णन मिलता है, उस ग्रंथ के अनुसार अज ने रघु के मृत शरीर का अग्नि संस्कार न करके सीधे भूमि में शव को स्थापित किया था।
जिसके सन्दर्भ में आप रघुवंश का यह श्लोक देख सकते है।
भगवान गौतम बुद्ध के जन्म- मृत्यु का कोई समकालीन प्रमाण नही मिलता हैं। यही कारण है की 1956 में दुनिया भर के बौद्ध विद्वानों ने मिल कर एक डेटिंग तय की 563 ई० पूर्व ! मगर सवाल यह हैं की अगर वह ऐतिहासिक पात्र हैं तो जन्म तिथि को लेकर इतना कंफ्यूजन क्यों ,सोच कर बताईए?
@AchAnkurArya
यह सब बाते हमे दुनिया की आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाली स्त्री जाति को गाली देने वाले उनके विषय में इस तरह की घटिया बात करने वालो से सीखने को जरूर नही है। हम क्या माने और क्या नही माने ... जिससे पैदा होते हो उन्हे ही इस तरह अपमानित करते हो धरती पर इससे बड़ा क्या अपराध हो