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Guru Siyag's Siddha Yoga (GSSY) : A Silent Revolution ! आध्यात्मिक विज्ञान Spritual science आपमें अभी से परिवर्तन आना शुरू हो जाएग

Amsterdam, The Netherlands
Joined May 2020
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MahaRana (Kavita)
5 months
कुछ लोगों का कहना है जब कुण्डलिनी जाग्रत हो जाती है तब तुम्हारे पागल होने का खतरा हो सकता है या तुम्हारा शरीर भयानक व्याधियों का शिकार हो सकता है। ये भय निराधार हैं; कुण्डलिनी के उदर में कोई व्याधियाँ नहीं हैं। इसके विपरीत, कुण्डलिनी रोगों का भक्षण करती है और शुद्ध अमृत का
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6 months
*रामायण तो सब ने देखी है* पुरी रामायण में जीवन जीने का रहस्य बताया गया है अगर कोई इस शक्ति का रहस्य जान ले तो भगवान के दर्शन हो जाते है इस शक्ति का नाम *कुंडलिनी* है ये शक्ति को आज तक ,योगी , साधु संत ही जगा कर अपने आप को मोक्ष पाया है आम इंसान घर परिवार वाले इस मोक्ष रूपी
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5 months
प्राणवायु अग्निसे प्रेरित होकर नादको उत्पन्न करता है। यह नाद नाभिमें अति सूक्ष्म, हृदयमें सूक्ष्म, कण्ठमें पुष्ट, मस्तकमें अपुष्ट और वदनमें कृत्रिमरूपसे आकार धारण करता है। कहते हैं कि 'न' कार प्राण है और 'द' कार वह्नि है और प्राण तथा वह्निके संयोगसे उत्पन्न होनेके कारण ही इसको
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5 months
हमारे ऋषियों ने गहन शोध के बाद इस सिद्धान्त को स्वीकार किया कि जो ब्रह्माण्ड में है, वही सब पिण्ड में है। इस प्रकार मूलाधार चक्र से आज्ञाचक्र तक का जगत् माया का और आज्ञाचक्र से लेकर सहस्रार तक का जगत् परब्रह्म का है, यह सिद्धान्त प्रतिपादित किया। वैदिक मनोविज्ञान (अध्यात्म
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5 months
दीक्षा कालमें गुरुशक्ति ही शिष्य में प्रवेश करती है। जैसे बीज के रूप में वृक्ष ही है, वैसे श्रीगुरु के रूप में शक्ति ही है जो शिष्य में प्रविष्ट होती है और नाना प्रकार की योगक्रियाओं को कराती है। जब साधक अपने प्यारे गुरु का पुण्यस्मरण करते हुए तन्मयता के भाव में ध्यान के लिये आसन
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5 months
“मैं वैदिक सिद्धान्त “वसुदैव कुटुम्बकम” में विश्वास करता हूँ, इसलिये मैं विदेशों के लाखों लोगों, खासतौर से पश्चिम के लोगों तक पहुँचकर उन्हें यह अद्वितीय आध्यात्मिक मदद देने के लिये उत्सुक हूँ। जैसा स्वामी विवेकानन्द ने कहा था पश्चिम के लोग विज्ञान तथा तकनीकी ज्ञान की प्रगति के
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5 months
नादब्रह्म - मोहनकी मुरली नादात्मकं नादबीजं प्रयतं प्रणवस्थितम् । वन्दे तं सच्चिदानन्दं माधवं मुरलीधरम् ।। नादरूपं परं ज्योतिर्नादरूपी परो हरिः ॥ 'नाद ही परम ज्योति है और नाद ही स्वयं परमेश्वर हरि है।' नाद अनादि है। जबसे सृष्टि है, तभीसे नाद है। महाप्रलयके बाद सृष्टिके आदिमें
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5 months
वैदिक मनोवैज्ञानिक (अध्यात्म विज्ञान) के अनुसार मनुष्य का शरीर सात प्रकार के कोशों (शैलों) से संघटित हैं, जिनके खोलों (कोशों) में आत्मा अन्तर्निहित है। वे हैं- (1) अन्नमय कोश (2) प्राणमय कोश (3) मनोमय कोश (4) विज्ञान मय कोश ( 5 ) आनन्दमय कोश ( 6 ) चित्मय कोश (7) सत्मय कोश। हमारे
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4 months
Kalki Avatar Sadguru Shri Ramlal Ji Siyag Siddhyoga: ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः तो एक विज्ञान है बहुत अजीब विज्ञान है, अध्यात्म विज्ञान सबसे पूर्ण विज्ञान है। सिकंदर के गुरु थे, अरस्तु, उन्होंने कहा है कि विज्ञान एक अपूर्ण दर्शन है, दर्शन एक पूर्ण विज्ञान है। तो मैं जो कर रहा हूं, वो
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5 months
गुरु सियाग सिद्ध योग की विशिष्टता- ·जीएसएसवाई व्यवसायी अपनी पसंद की जीवनशैली अपना सकते हैं। जीएसएसवाई के लिए अभ्यासकर्ताओं को किसी भी तरह से अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है। · जीएसएसवाई कोई आहार प्रतिबंध नहीं लगाता है। · गुरु सियाग ने कोई नैतिक आचार संहिता
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5 months
निरन्तर जाप एवं ध्यान के दौरान लगने वाली खेचरी मुद्रा में साधक की जीभ स्वतः उलटकर तालू से चिपक जाती है, जिसके कारण सहस्त्रार से निरन्तर टपकने वाला दिव्य रस (अमृत) साधक के शरीर में पहुचकर साधक की रोग प्रतिरोधक शक्ति को अद्भुत रूप से बढा देता है, जिससे साधक को असाध्य रोगों जैसे
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4 months
Kalki Avatar Sadguru Shri Ramlal Ji Siyag Siddhyoga: ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः अब इसको देखिए फॉलो करने की कोशिश कीजिए, अरविन्द ने कहा है कि transformation के लिए, दो शर्तें हैं, हमारे धर्म में देखिए, दो रास्ते हैं, मुक्ति के, एक तो मंदिर मार्गी लोग, पूजा करते हैं, मंदिर जाते
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5 months
आप श्रद्धापूर्वक गुरुमंत्र का जप करेंगे तो आपके हृदय में विरहाग्नि पैदा होगी, परमात्म-प्राप्ति की भूख पैदा होगी। जैसे, उपवास के दौरान सहन की गयी भूख आपके शरीर की बीमारियों को हर लेती है, वैसे भगवान को पाने की भूख आपके मन व बुद्धि के दोषों को, शोक व पापों को हर लेगी। कभी भगवान के
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4 months
Kalki Avatar Sadguru Shri Ramlal Ji Siyag Siddhyoga: ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः सबसे बड़ी परेशानी उनको यह है कि एक तो मैं बिना दवाई के ठीक कर रहा हूं दूसरा वैदिक दर्शन को प्रमाणित कर रहा हूं, जो विश्व दर्शन है। अब वहां ism आ जाता है आगे आ जाता है, ईसाई नाराज, यहूदी नाराज , मुसलमान तो
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4 months
अहं ब्रह्मास्मि। "मैं ब्रह्म हूँ" यहाँ "अहम्" उत्तम पुरुष वह त्रिगुणात्मक महत्तत्त्वकी विकृति है और न उसके साथ चेतन तत्त्वके सम्मिश्रणको समान जीव है; संपूर्ण शुद्ध परमात्मतत्त्वका निर्देश चल रहा है, जो हमारा साक्षात व्यापक रूप से हो रहा है, जो असम्प्रज्ञात समाधि और कैवल्यकी
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5 months
जो लोग गुरुकृपा के बिना कुण्डलिनी जाग्रत कर लेते हैं, उन्हें कुछ अनुभव तो अवश्य होते हैं, परन्तु सिद्धगुरु का मार्गदर्शन न मिलने के कारण वे भ्रमित हो जाते हैं। उनका पूर्व ज्ञान उन्हें सीमित कर देता जो कि इन नए अनुभवों को समझाने के लिए पर्याप्त नहीं है, इसीलि वे बहुत-से अनुभवों की
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5 months
मनुष्य को ईश्वर का स्वरूप क्यों माना है? एक चीज तो आपको मालूम है-पाँच तत्त्वों से शरीर बना-आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। और सारा ब्रह्माण्ड आप के अन्दर है। जो ब्रह्माण्ड में है, वही पिण्ड में है। जो पिण्ड में है, वह बह्माण्ड में है तो जब सारा ब्रह्माण्ड आप में है तो फिर आकाश
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5 months
सद्गुरु अपनी सारी शक्ति एक क्षण में अपने शिष्य को दे सकते हैं। यही बात परम भगवद्भक्त संत तुकारामजी इस प्रकार कहते हैं: "सद्गुरु के बिना रास्ता नहीं मिलता, इसलिए सब काम छोड़कर पहले उनके चरण पकड़ लो। वे तुरंत शरणागत को अपने जैसा बना लेते हैं। इसमें उन्हें जरा भी देर नहीं लगती।"
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5 months
“पहले पांच चरण भौतिक क्षेत्र में आते हैं जबकि अंतिम तीन-धारणा, ध्यान और समाधि सूक्ष्म क्षेत्र में आते हैं। जब तक अभ्यासकर्ता सफलतापूर्वक धारणा चरण से गुज़र नहीं जाता, वह अगले चरण - ध्यान - में नहीं जा सकता। आप केवल अपने आप को ध्यान की स्थिति में होने की कल्पना करके ध्यान की
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5 months
मानव शरीर आत्मा का भौतिक घर हमारे ऋषियों ने गहन शोध के बाद इस सिद्धान्त को स्वीकार किया कि जो ब्रह्माण्ड में है, वही सब कुछ पिण्ड (शरीर) में है। इस प्रकार मूलाधार चक्र से आज्ञा चक्र तक का जगत माया का और आज्ञा चक्र से लेकर सहस्त्रार तक का जगत परब्रह्म का है। वैदिक ग्रन्थों में
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6 months
सामर्थ सदगुरू राम लाल जी सियाग कहते है कि “मैं, एक भगवे वस्त्रधारी “आई पंथी” नाथ का शिष्य हूँ। मेरे मुक्तिदाता सद्गुरुदेव, बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी के दिशा-निर्देशों के अनुसार सम्पूर्ण विश्व के लोगों को “शक्तिपात दीक्षा” देने हेतु विश्व में निकला हूँ“ वास्तव में अगर आप ईश्वर
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5 months
नाम जप की महिमा एक बार तुलसी दास जी से किसी ने पूछा - ‘कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिये बैठ जाते है, क्या उसका भा कोई फल मिलता है’? तुलसी दास जी ने मुस्करा कर कहा - तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज। भौम पड़ा जामे सभी उल्टा सीधा बीज।। अर्थात् - भूमि
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4 months
तत्र ध्यानजन्मनाशयम् ॥6॥ सूत्रार्य-उन विभिन्न चित्तों में से जो चित्त समाधि द्वारा उत्पन्न होता है, वह वासनाशून्य होता है। बाख्या-विभिन्न व्यक्तियों में हम जो विभिन्न प्रकार के मन देखते हैं, उनमें वही मन सबसे ऊँचा है, जिसे समाधि-अवस्था प्राप्त हुई है। जो व्यक्ति औषधि, मन्त्र या
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4 months
स्वन्युपनिमंत्रणे सङ्गस्मयाकरणं पुनर्निष्टप्रसङ्गात् ॥ देवताओं द्वारा प्रलोभित किए जाने पर भी उसमें आसक्त होना या आनन्द का अनुभव करना उचित नहीं है, क्योंकि उससे पुनः अनिष्ट होना सम्भव है। व्याख्या-और भी बहुत-से विघ्न हैं। देवता आदि योगी को प्रलोभित करने आते हैं। वे नहीं चाहते
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5 months
गुरु-कार्य आजकल गुरु शब्द बड़े व्यापक अर्थ में प्रयुक्त होने लगा है अर्थात् गुरु शिष्य का पर्यायवाची हो गया है। भौतिक विज्ञान, कला, संगीत, ज्योतिष तथा अन्य सभी प्रकार की शिक्षाएं लौकिक हैं किन्तु गुरु तो आध्यात्मिक उन्नति देने वाला है। आध्यात्मिकता में भी परोक्ष ज्ञान से बौद्धिक
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MahaRana (Kavita)
5 months
- कबीर ते नर अन्ध हैं, गुरु को कहते और। हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ।। गुरु बड़े गोविन्द ते हरि सुमरे से वार है, मन में देखु विचार। गुरु सुमरे से पार । यह तन विष की बेलडी, गुरु अमृत की खान। सीस दिये जो गुरु मिलै, तो भी सस्ता जान।। समदृष्टि सत्गुरु किया मेटा भरम
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4 months
Kalki Avatar Sadguru Shri Ramlal Ji Siyag Siddhyoga: ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः ऋग्वेद हमारा सबसे पुराना वेद है, जब वो शरीर की रचना की व्याख्या करता है, तो कहता है, सात प्रकार के cells से यह शरीर बना है। पहले वो matter से स्टार्ट करता है, अन्न से बनने वाले कोश, अन्नमय कोश, प्राणमय
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4 months
सनातन धर्म का उत्थान अब इस देश का, इस धर्म का, इस संस्कृति का उत्थान शुरू हो गया है। हमारे पतर के काल को ऋषि-मुनि नहीं रोक सके, क्योंकि कालचक्र अबाध गति से चलता है। अब इस दर्शन का उत्थान चक्र शुरू हो गया है, संसार की कोई शक्ति इसके उत्थार को नहीं रोक सकती है, किसी में वो सामथ्यं
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MahaRana (Kavita)
4 months
सत्त्वत्पुरुषयोः शुद्धिसामये कैवल्यमिति ॥ जब सत्त्व (बुद्धि) और पुरुष इन दोनों के समान भाव से शुद्धि हो जाती है, तब कैवल्य की प्राप्ति होती है। व्याख्या-कैवल्य ही हमारा लक्ष्य है। इस लक्ष्यस्थल पर पहुँचने पर आत्मा जान लेती है कि वह सर्वदा ही अकेली थी, उसे सुखी करने के लिए अन्य
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5 months
गुरु-परम्परा ईश्वर-स्वरूप दयालु गुरु के बिना तेरा तीनों लोकों में अपना कोई नहीं है। संसार के सभी सम्बन्ध स्वार्थ अथवा मोह पर आधारित अपना कोई शिष्य सम्बन्ध केवल शिष्य के कल्याण के लिए ही है। अत: गुरु ही वास्तव में अपने कहे जा सकते हैं। इसलिए गुरु-धन को अमूल्य रत्न की संज्ञा देना
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5 months
कुंडलिनी की अंतरा-यात्रा सुषुम्ना के भीतर छः चक्र या आध्यात्मिक केन्द्र हैं जो कुण्डलिनी के, सहस्रार तक के ऊर्ध्वगमन के मार्ग को अवरुद्ध करते हैं। जैसे-जैसे शक्ति का अन्तर-विकास होता है. इन सभी चक्रों का बेधन होता जाता है। शास्त्रों में इन विभिन्न चक्रों के विभिन्न स्थानों का
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MahaRana (Kavita)
4 months
समर्थ सद्गुरु की करुणा से ही वह आदिशक्ति कुंडलिनी जाग्रत होती है। संत कबीरदासजी ने उसी शक्ति का वर्णन करते हुए कहा है कि- कबीरा धारा अगम की, सद्गुरु दई लाखाय। उलटा ताहि पढ़िये सदा स्वामी संगाय।। संत मत के अनुसार एक धारा अगम लोक से नीचे की ओर चली, वह सभी लोकों की रचना ���रती हुई
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MahaRana (Kavita)
4 months
Kalki Avatar Sadguru Shri Ramlal Ji Siyag Siddhyoga: ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः पतंजलि ऋषि ने भी कहा है कि ये वृत्ति, जात्यांतरण की बात कही है। ये जातियां जब तक नहीं बदलेंगी, सीधा तमोगुण से आप सतोगुण में नहीं जा सकते हैं, यह step by step आपका विकास होगा, अब हो रहा है विकास हो रहा है,
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MahaRana (Kavita)
3 months
सच्चे गुरू के यहां भीड़ नहीं हो सकती , उस ज्ञान अग्नि शिखा के पास तो केवल वही ठहर सकता है , जो पतंगा की भांति समां में जल मिटने के लिए व्याकुल हो उठा हो । सच्चे गुरू के प्रेम सामीप्य में खिंचने का मतलब है , गुरू ज्ञानअग्नि में शिष्य के अहंकार ( मैं बुद्धि ) का जल मिटना । गुरू
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MahaRana (Kavita)
3 months
चित्रशक्ति विलास तुम्हारे अन्तर में, ध्यान की ज्योतिर्मयी नगरी में कौन प्रवेश कर सकता है? वह तो भगवती चितिशक्ति की महान तेजोमय भूमि है। वहाँ एक चिति, चितिमय देव और श्री गुरु के अतिरिक्त और कोई नहीं जा सकता। तुम्हारी नारीभाव की जो समझ है, उसी ने तुम्हें ऐसी भ्रान्ति करवाई। नंगी
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MahaRana (Kavita)
5 months
"जब एक महान् जन समुदाय धूल में से उठ खड़ा होता है तो कौनसा मंत्र है अथवा उसे पुनर्जीवित करने वाली कौनसी शक्ति है ? भारत में दो महामंत्र है-एक तो "वन्दे मातरम्" का मंत्र है, जो मातृभूमि के प्रति जनता के जाग्रत प्रेम की सार्वभौम पुकार है और दूसरा अधिक गुप्त और रहस्यपूर्ण है जो अभी
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MahaRana (Kavita)
5 months
" केवल गुरू जो कहें,,,,बस वो करें " और बौद्धिक प्रयास केवल नाम जप में ,,,,,,,,, फिर जो होना है ,,,,, गुरूकृपा से स्वत: होता चला जाएगा ,,,, साधक की जीवन शैली आचार विचार रहन सहन खानपान इत्यादि में स्वतः बदलाव आने लगेगा ,,,,,, जो छूटना है ,,,,वो छूटता चला जाएगा ,,, बिना ,,किसी
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MahaRana (Kavita)
3 months
सर्वज्ञलोक यह नीलेश्वरी महान पवित्र तीर्थरूप है। ज्ञानेश्वर महाराज कहते हैं: दोलांची पाहा दोला ज़राचा शेव्त। नीळ बिन्दु नित लखलखित॥ अर्थात्, आँख की भी आँख, शून्य से भी उस पार, नीलबिन्दु है, जिसका स्वरूप चमचमाता यानी कान्तिपूर्ण महातेजयुक्त है। ऐसा चमचमाता परम नीलेश्वरी का रूप
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MahaRana (Kavita)
4 months
सुख-दुःख की अनुभूति ही जीवन है। "मुझे किसी भी घटना के घटने का निश्चित समय नहीं बताया जाता था। केवल आगे घटने वाली घटना का सही दृश्य टेलीविजन की तरह दिखा दिया जाता था। ऐसी घटनाएं, पूर्व जन्म तथा इस जन्म, दोनों से संबंधित होती थी। जिज्ञासावश मैंने उन घटनाओं का समय जानने के लिए
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MahaRana (Kavita)
5 months
Part 1st गुह्य शब्द अमर शब्द कलियुगी मानव तक कैसे आया ?ऐसी किवदंती है की भगवान शंकर से माता पार्वतीअमर कथा सुनने का हमेशा ही हठ करती थी ।लेकिन अमर कथा सुनाने से पहले भगवान हमेशा ही माता के ऊपर माया का प्रभाव डालकर अमर कथा को विस्तार रूप से सुनाते थे ।जिससे माता पार्वती को नींद आ
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MahaRana (Kavita)
5 months
सिद्धयोग जिस प्रकार एक बीज में सम्पूर्ण वृक्ष शक्तिरूप में निहित होता है, उसी प्रकार कुण्डलिनी में सभी प्रकार के योग निहित हैं और जब गुरुकृपा से यह जाग्रत हो जाती है तो तुम्हारे भीतर सभी योग स्वतः ही कराती है। शक्तिपात प्राप्त होने पर जो प्रक्रिया आरम्भ होती है, उसे 'सिद्धयोग'
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MahaRana (Kavita)
4 months
साधारणतया गुरुजनों का परिचय पाना, उन्हें समझना, महाकठिन है। किसी ने थोड़ा चमत्कार दिखाया तो हम उसे गुरु मान लेते हैं, थोड़ा प्रवचन सुनाया तो उसे गुरु मान लेते हैं, किसी ने मन्त्र दिया या तन्त्र की विधि बतलायी तो उसे गुरु मान लेते हैं। इस तरह अनेक जनों में गुरुभाव करके
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MahaRana (Kavita)
4 months
आप वेद, वेदान्त, शास्त्र, मन्त्र इत्यादि साधन से साध्य हैं। हे माँ कुण्डलिनी! आप आनन्द-शक्ति हैं। आप योग हैं। योगाङ्ग हैं। समाधि का अर्थ हैं। आपका नाम निर्विकल्पा है। आप इस मानव देह की परम-आश्रया हैं। हे चितिमयी माता कुण्डलिनी ! आप श्री परमगुरुओं की शुद्धात्मा गुरु हैं।
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MahaRana (Kavita)
2 years
कल्कि अवतार सद्गुरु श्री रामलाल जी सियाग की दिव्य वाणी में संजीवनी मंत्र की शक्तिपात दीक्षा हेतु वीडियो को देखें। Watch this video for shaktipat initiation in divine voice of Kalki Avatar Sadguru Shri Ramlal Ji Siyag Chant Sanjeevani Mantra without moving lips and tongue.
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5 months
गुरु-परम्परा आन्तरिक आध्यात्मिक शक्ति के जागने पर एक प्रकार से साधन का सारा उत्तरदायित्व आन्तरिक गुरु पर ही चला जाता है। जीवन के हर का सार साधक आदेश प्राप्त करने लगता है। यह तो साधक की क्षमता के ऊपर है कि वह उन आदेशों को कहां तक ग्रहण करता है, ग्रहण करने की क्षमता के कई अंग हैं
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MahaRana (Kavita)
6 months
कलयुग केवल नाम आधारा ! सूमिर सूमिर नर उतरहि पारा" ! ! हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है? से परम दयालु सद्गुरु भगवान् ने हमें मंत्र ह दीक्षा देकर कृतार्थ कर दिया तथा दिखाय दिया कि "मनुष्य स्वयं परमात्मा है, बस इस आराधना से अपने आप को ले जान जाओगे कि आप क्या हैं? तथा कहाँ जा रहे हैं?
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
4 months
वेद पुराण शास्त्र उपनिषद आदि में करोड़ो मन्त्र है,उन मंत्रो में सर्वश्रेष्ट मंत्र गुरु मंत्र कहा गया है बह मंत्र जो शिष्य को सदगुरु से मिला हो सभी प्रकार के मंत्र जप में अजपा जप उत्तम माना है। अजपा-जप का तात्पर्य उसकी कोई गणना नहीं करता,उठते ,बैठते,खाते, चलते,कार्य करते निरंतर
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
5 months
बाबा श्री गंगानाथ जी का जीवन परिचय बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी (ब्रह्मलीन ) बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी की समाधि जामसर, बीकानेर बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी आईपंथी नाथ सम्प्रदाय के संन्यासी योगी थे। उनका जन्म पाली जिले के सिरमा ग्राम में हुआ। वे बाल्यकाल से ही ईश्वर की भक्ति में
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
4 months
चित्रशक्ति विलास एक दिन जब उसकी परीक्षा समीप थी, ध्यान में मन्त्र देवता प्रकट हुए और उन्होंने कहा, "तुम्हें एक मोटर दुर्घटना में चोट लगनेवाली है जिससे तुम परीक्षा में बैठ नहीं सकोगे।" जब उस बालक ने यह वृत्तान्त अपने माता-पिता को बतलाया तो वे हँसने लगे और बोले- "तुम्हें पढ़ना
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
4 months
परमात्मप्राप्ति का उपाय परमेश्वर सर्वव्यापक, पूर्ण और नित्य है। सबके अन्दर-बाहर व्याप्त होते हुए भी. सबके अन्तर्यामी, अन्तरात्मरू�� में हृदय मन्दिर में निवास करने पर भी उससे कुछ व्यक्तियों का ही परिचय है। कई भूले जन ऐसा समझते हैं कि परमेश्वर हृदय में तो है ही नहीं, भूमण्डल में भी
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@ranak72
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3 years
#Yoga_Automatic India has been giving spiritual knowledge as a gift to the people of the world. It has been for this divine knowledge that India had for long remained in occupation of the seat of Guruhoodship of the world.
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
5 months
यह भारतीय दर्शन की विश्व को अभूतपूर्व एवं अद्वितीय देन है। अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र, जोधपुर के संस्थापक व संरक्षक, प्रवृत्तिमार्गी परम श्रद्धेय समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग अपने सद्गुरुदेव बाबा श्री गंगाईनाथजी योगी ब्रह्मलीन (जामसर) के आदेशानुसार इस दिव्य ज्ञान का
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
4 months
ध्यानमूलं गुरोमूर्ति, पूजामूलं गुरोः पदम। मंत्रमूलं गुरोर्वक्यम्, मुक्तिमूलं गुरोः कृपा।। जिस जल को गुरु ने स्पर्श किया हो, उसी को सबसे बड़ा तीर्थ मानता है। श्री गुरु के उच्छिष्ट प्रसाद के आगे जो समाधि-सुख को भी तुच्छ मानता है। उनके चलने पर जो पद-रज-कण उड़ा करते हैं, उन्हें
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
5 months
व्यक्तिप्रधान युग मानवजाति का मौलिक प्रयास है। परम सत्य को खोज निकालने के लिए, आत्मा को सत्य से साक्षात्कार करने के लिए जिस अनुभूति और जीवन के अनुभव की जरूरत है, उस अनुभव की शुरूआत हो चुकी है। आगामी मानव जाति दिव्य जीवन धारण करेगी, उस विषय पर श्री अरविन्द ने सविस्तार वर्णन किया
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4 months
सुषुम्णा नाड़ी-ऊपर वर्णन कर चुके हैं कि सुषुम्णा नाड़ी सर्वश्रेष्ठ है, जो मेरुदण्डके भीतर सूक्ष्म नलीके सदृश चली गयी है। सुषुम्णाके अन्तर्गत सूक्ष्म नाड़ियाँ - सुषुम्णाके भीतर एक वज्र-नाड़ी है, वज्रके अंदर चित्रणी है और चित्रणीके मध्यमें ब्रह्म-नाड़ी है। ये सब नाड़ियाँ मकड़ीके
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5 months
भगवान श्रीकृष्ण ने गीता के १०वें अध्याय के २५वें श्लोक में जपयज्ञ को अपनी विभूति बताते हुए कहा है : यज्ञानां जपयज्ञोऽस्मि । 'जपयज्ञ' सबके लिए सुगम है। इस समय के लिए तो बड़े ही काम का है। यह यज्ञ है भी ऐसा कि इसमें कोई खर्च नहीं, कोई कठोर नियम नहीं, कोई कठिनाई नहीं और चाहे जब यह
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4 months
गुरु-शिष्य परंपरा में जिस सिद्धयोग अर्थात महायोग का वर्णन है, उसकेआदि गुरु कैलाशवासी भगवान परशिव हैं। शिव से यह ज्ञान अमर कथाद्वारा महायोगी श्री मत्स्येन्द्र नाथ जी को मिला। उनके परम शिष्य महायोगी श्री गोरखनाथजी ने इस सिद्धयोग से संसार का जो कल्याण किया है, वह सर्वविदित है। यह
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4 months
श्री गुरुदेव से प्रार्थना जब तक घट में प्राण, स्वकर्म-निष्ठा दो, तेरा अखण्ड स्मरण करूँ। स्वकष्टमय जीवन बने, गुरुनाथ! आपका ही हरदम ध्यान धरू ॥ इतना तो अवश्य कर दो, गुरुदेव ! मैं सदा आप में समाया रहूँ। पूरब पश्चिम से उत्तर-दक्षिण तक, नित्य सर्वत्र आपका दर्शन करूँ ॥ ६ ॥ आप ही अलख
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4 months
GSY: क्षिती जल पावक गगन समीरा,पंचरचित यह अधम शरीरा।। मानस.तेषु भूतानि युज्यन्ते महाभूतेषु पंचसु।ते शब��दस्पर्शरुपेषु सरगन्धक्रीयासु च।।” पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश ये पाँच तत्व हैं जिनसे शरीर बनता है। इन पाँचों तत्वों में से जो ज्यादा स्थूल है वह पृथ्वी तत्व है। इसमें शेष
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5 months
गुरु के दिये नाम में इतनी सामर्थ्य है कि वह जन्म जनमांतर के संचित कर्मों को खत्म कर सकता है। *परंतु गुरुदेव का नाम कार्य कैसे करता है?* जब मनुष्य गुरुदेव के दिये गए नाम का बार बार जप करता है, तो भगवन नाम अवचेतन मन में जाता है और वहाँ पर संचित कर्मों को नष्ट करता है । जैसे जैसे
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4 months
विशेष वक्तव्य - इस सूत्रमें ईश्वरको कालकी सीमासे परे गुरुओंका गुरु बतलाया गया है। राजा, प्रजा, स्वामी, सेवक आदि भावनाओंमें भेदभाव तथा स्वार्थसिद्धिकी सम्भावना रहती है। माता-पिताका भी पुत्रके प्रति मोह हो सकता है; किंतु गुरु-शिष्यका सम्बन्ध केवल आध्यात्मिक है, जिसमें केवल
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3 years
#Yoga_Automatic only remaining three elements sat + Chit + Ananda = Sachchidananda, remain to be developed now therefore India alone will fulfil this assignment received from God.
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5 months
सनातन धर्म का उत्थान अब इस देश का, इस धर्म का, इस संस्कृति का उत्थान शुरू हो गया है। हमारे पतर के काल को ऋषि-मुनि नहीं रोक सके, क्योंकि कालचक्र अबाध गति से चलता है। अब इस दर्शन का उत्थान चक्र शुरू हो गया है, संसार की कोई शक्ति इसके उत्थार को नहीं रोक सकती है, किसी में वो सामथ्यं
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4 months
कपिलमुनिप्रणीत तत्त्वसमास (प्राचीन सांख्य दर्शन) का वर्णन। अथातस्तत्त्वसमासः ॥ ॥ अब (दुःखोंकी निवृत्तिका साधन तत्त्वोंका यथार्थ ज्ञान है) अतः तत्त्वोंको संक्षिप्तसे वर्णन करते हैं। व्याख्या - संसार में प्रत्येक जीव की यह प्रबल इच्छा पाई जाती है कि 'मैं सुखी हूँ, दुःखी कभी
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3 months
ध्यान में बैठते ही, नित्यप्रति प्रथम, शरीर में प्राणवायु का वेग से संचार होता, तदनन्तर रक्त और श्वेतज्योतियाँ दिखायी देतीं। ध्यान होते-होते अब लोक-लोकान्तर भी दिखने लगे थे। अन्य देवता तथा शिवलिंग भी बार- बार देखता था। श्वेतज्योति के उदित होने पर ध्यान सूक्ष्मशरीर में होने लगा और
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3 months
यह भारतीय दर्शन की विश्व को अभूतपूर्व एवं अद्वितीय देन है। अध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र, जोधपुर के संस्थापक व संरक्षक, प्रवृत्तिमार्गी परम श्रद्धेय समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलालजी सियाग अपने सद्गुरुदेव बाबा श्री गंगाईनाथजी योगी ब्रह्मलीन (जामसर) के आदेशानुसार इस दिव्य ज्ञान का
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4 months
.. ॐ श्री गंगानाथाय नमः।। स्पिरिचुअल आध्यात्मिक साइंस गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव गुरुदेव "मेरे लिए तो 'गुरु' ही सर्वोपरि है।" कुण्डलिनी जाग्रत होकर सहस्रार में पहुंच जाती है, उसी का नाम 'मोक्ष' है। इसमें तीन बंध लगते हैं। मूलाधार (Sacrem) में
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5 months
मंत्रजाप महिमा भगवन्नाम-महिमा भगवन्नाम अनन्त माधुर्य, ऐश्वर्य और सुख की खान है। सभी शास्त्रों में नाम की महिमा का वर्णन किया गया है। इस नानाविध आधि व्याधि से ग्रस्त कलिकाल में हरिनाम-जप संसार-सागर से पार होने का एक उत्तम साधन है। भगवान वेदव्यासजी तो कहते हैं : हरेर्नाम
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6 months
जिस व्यक्ति में ईश्वर कृपा से और गुरु के आशीर्वाद से वह आध्यात्मिक प्रकाश प्रकट हो जाता है, ऐसा व्यक्ति सारे संसार को चेतन करने में सक्षम होता है। ईश्वर कभी जन्म नहीं लेता है, ऐसे ही चेतन व्यक्ति के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता है। भारत का स्वर्ण युग अब इस देश का, इस
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5 months
"मनुष्य योनि ईश्वर की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है।" सभी का मत है कि मानव का सृजन उसके सृजनहार की प्रतिमूर्ति के रूप में हुआ है। अतः मनुष्य अपना क्रमिक विकास करते हुए अपने सृजनहार के 'तदूप' बन सकता है। भगवान् श्रीकृष्ण ने मनुष्य की व्याख्या करते हुए गीता के 13 वें अध्याय के 22 वें
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@ranak72
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4 months
सत्य यह है कि मानव अपने कर्म का ही फल परमेश्वर से प्राप्त करता है। उसका जैसा-जैसा कर्मभाव होता है वैसा ही फल उसे मिलता है। अस्तु । परमात्मा के बारे में अनुमान व्यर्थ है। वे पूर्ण प्रकट हैं, सूक्ष्म हैं। हमारी अन्तर-बाह्य सब क्रियाओं के वे निष्क्रिय आधार हैं। हमारे भारत में कई
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4 months
अतिक्रान्तभावनीय - जो निर्विचार समाधिद्वारा मधु-प्रतीका और विशोका-भूमियोंको प्राप्त करके उनसे विरक्त हो गये हैं, जिनको अब कुछ साधना शेष नहीं रहा केवल असम्प्रज्ञात- समाधिद्वारा चित्तका लय करना बाकी है। जो सात प्रकारकी प्रान्त-भूमि प्रज्ञावाले निम्न श्रेणियों भूमियोंको विभक्त किया
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@ranak72
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4 months
गुरु की महानता परमेश्वर का साक्षात्कार एकमात्र श्री गुरु से सम्भव है। श्री गुरु, ज्ञान से प्रकाशित परब्रह्म की ही परम्परा के हैं। ऐसे गुरु की महाकृपा प्राप्त करनी चाहिए। जब तक श्री गुरु की कृपा से हमारी अन्तर-शक्ति नहीं जागती, अन्तर-ज्योति नहीं प्रकाशित होती है, अन्तर का दिव्य
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@ranak72
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4 months
Jai Gurudev 🌹🌹🙏🙏 *कबीरदास जी, तुलसीदास जी, सूरदास जी, हरिदास जी, मीरा बाई जी, प्रभुपाद जी और न जाने कितने संत हुए जो भगवान से बात करते थे और भगवान भी उनकी सुनते थ जब भी भगवान को याद करो उनका नाम जप करो तो ये मत सोचना की भगवान आपकी पुकार सुनते होंगे या नहीं?* *कोई संदेह मत
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5 months
(Part 3)( गुह्य शब्द अमर शब्द कलियुगी मानव तक कैसे आया ?) कजलावास में बैठे बैठे तपस्या की तब दादा गुरुदेव श्री गनगाई नाथ जी अस्तल भोर (हरियाणा) में स्थित आइपंथी (देवी उपासक) अखाड़े में दीक्षित शिष्य थे ।उनके नाम के पीछे आई शब्द इसलिए ही जुड़ा हुआ है। कहा तो जाता है कि ईसाई शब्द
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@ranak72
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4 months
गुरु-परम्परा. (Part 1) 'जब सतगुरु पूरा मिलै चाखै अमृत सार।' चरणदास शक्ति सम्पन्न समर्थ गुरु की कृपा प्राप्त होने पर ही शिष्य आन्तरिक साधन की अवस्थाएं प्राप्त करता हुआ उन्नति की ओर अग्रसर होता है। केवल बातें बनाने वाले और मौखिक उपदेश देकर ही गुरु-कर्तव्य की इतिश्री मान लेने
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5 months
इन्द्रियों का शुद्धिकरण जब कुण्डलिनी स्पर्शेन्द्रिय का शुद्धिकरण करती है, तो साधक शरीर के रोम-रोम में प्रेम की मस्ती की अनुभूति करने लगता है। वह स्पर्श की सुखद अनुभूति में तन्मय हो जाता है। जब कुण्डलिनी भ्रूमध्य में स्थित गन्ध के केन्द्र में पहुँचती है तो वह उसे शुद्ध कर देती
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5 months
समर्थ सद्गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग सद्गुरुदेव ? "शांत, स्थिर और निर्भय, यह प्राणी अपना ही नहीं संसार के अनेक जीवों का कल्याण करता हुआ, अपने परम लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। यह होता है आध्यात्मिक संत सद्‌गुरुदेव की कृपा का प्रभाव। ऐसा संत पुरुष जो मनुष्यों को द्विज बनाने की
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@ranak72
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4 months
क्लेश और कर्मों के क्षय होने पर जब इस योगिका में ऐसा भाव होता है कि विवेक प्रत्यय बुद्धिरूप सत्त्वका धर्म है और बुद्धि अनात्म होने से हे (त्याज्य) सकारात्मक मन बदल जाती है और शुद्ध स्वरूप अपरिणामी पुरुष बुद्धि से भिन्न है, तब इस प्रकार के विवेक से विवेकरूप सत्त्वगुण का उदय होता
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@ranak72
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5 months
'नाम के समान न ज्ञान है, न व्रत है, न ध्यान है, न फल है, न दान है, न शम है, न पुण्य है और न कोई आश्रय है। नाम ही परम मुक्ति है, नाम ही परम गति है, नाम ही परम शांति है, नाम ही परम निष्वा है, नाम ही परम भक्ति है, नाम ही परम बुद्धि है, नाम ही परम प्रीति है, नाम ही परम स्मृति
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@ranak72
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4 months
मायामेघो जग्निरं वर्षत्येष यतस्ततः। चिदाकाशस्य नो हानिर्ण च लाभ इति स्थितिः।। 'मायारूपी मेघसे जगरूपी नीर बरस रही है और आकाशके समान निर्लेप चेतनकी कुछ हानि नहीं है, न वह आकाशरूपी ब्रह्म भगता या गंध ही होता है।' छंदंसि यज्ञः क्रतवो व्रतानि भूतं भव्यं यच्च वेद वदन्ति। अस्मान्मयै
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4 months
सच्चे गुरू के यहां भीड़ नहीं हो सकती , उस ज्ञान अग्नि शिखा के पास तो केवल वही ठहर सकता है , जो पतंगा की भांति समां में जल मिटने के लिए व्याकुल हो उठा हो । सच्चे गुरू के प्रेम सामीप्य में खिंचने का मतलब है , गुरू ज्ञानअग्नि में शिष्य के अहंकार ( मैं बुद्धि ) का जल मिटना । गुरू
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@ranak72
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4 months
ध्यानजम् अर्थात् समाधिसे उत्पन्न हुआ जो चित्त है, वह उन पाँचों (सिद्धनिर्माण वित्तोंमें) अनाशाय अर्थात् कर्मकी वासना और संस्कारोंसे रहित होता है- यह अभिप्राय है। मङ्गति-जब योगी भी साधारण मनुष्योंकी भाँति कर्म करते देखे जाते हैं, तो उनके चित्त इनारहित किस प्रकार हो सकते हैं?
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@ranak72
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5 months
दैनिक जीवन में कुण्डलिनी जागरण जाग्रत कुण्डलिनी हमारी सत्ता के प्रत्येक स्तर पर हमारा रूपान्तरण करती है और इसका अर्थ यह है कि वह हमारे सांसारिक जीवन की भी देखभाल करेगी। जब कुण्डलिनी जाग्रत हो जाती है तो वह हमारे दृष्टिकोण को रूपान्तरित कर देती है और हम अपने आस-पास के जगत को एक
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@ranak72
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6 months
भारतीय 'योग' दर्शन का मूल उद्देश्य 'मोक्ष' है। परन्तु मानव को उस स्थिति तक विकसित होने के लिए, उसके त्रिविध ताप शान्त होने आवश्यक हैं। इस संबंध में महायोगी श्री गोरखनाथजी महाराज ने कहा है- "यह योग वेदरूपी कल्पतरू का अपर फल है जिससे साधक के त्रिविध-तापः- आदि भौतिक (Mental), आदि
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@ranak72
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5 months
(Part 2) (गुह्य शब्द अमर शब्द कलियुगी मानव तक कैसे आया ?) मै तुझे वरदान देता हूँ की अब से आगे कभी भी शिष्य ढूढ़ना नही पड़ेगा। वह शिष्य मृत्युलोक में कभी भी होगा,वह अपने आप तुम्हारे पास चला आएगा,तुम्हे टी केवल इस शब्द का निरंतर जाप करना है,इससे तुम्हे पता चल जायेगा कि वह कहाँ है?
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@ranak72
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4 months
अन्तर की प्रेम- कली नहीं खिली। जिस शब्द को सुन कर सन्तजन कहते हैं, शब्द में मैंने विश्रान्ति पायी", वह शब्द नहीं सुना। आखिर वह शब्द खोया। अरे जीवात्मा! तू कहाँ जा रहा है? सब सुना, लेकिन गुरुमुखी एक ऐसा शब्द नहीं सुना, जिस शब्द से अमर रस का पीना होता है, जिस शब्द से सारे संसार
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@ranak72
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3 months
प्रतीकदर्शन मुझे अब एक नयी अनुभूति होने लगी। ध्यान में ज्योतियों का उदय होते ही मैं स्वयं को अपने सामने बैठा हुआ देखने लगा। आँखें खुल जाने पर भी मैं अपने को सामने देखता। मैं जो-जो कार्य करता था, ध्यान में भी उसको करते ह��ए देखता। यदि संतरे के बगीचे में घूमता तो वहाँ भी मैं अपने
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@ranak72
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5 months
महर्षि अरविन्द और ... श्रीअरविंद धरती पर कोई शिक्षा या मत लेकर पुरानी शिक्षाओं या मतों के साथ प्रतियोगिता करने नहीं आये। वे आये हैं अतीत को पार करने, ठोस रूप से नजदीक आते हुए अनिवार्य भविष्य का मार्ग खोलने। श्री माँ श्री अरविंद को अगर कोई जानता है तो वह
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@ranak72
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6 months
सिद्धयोग से लाभ समर्थ सद्‌गुरुदेव श्री रामलाल जी सियाग से मंत्र दीक्षा प्राप्त करने के बाद उनके चित्र का नियमित ध्यान एवं नाम जप द्वारा मातृशक्ति कुण्डलिनी के जागरण से साधक में निम्न परिवर्तन आ जाते हैं- • सभी प्रकार के असाध्य रोगों जैसे:-एड्स, कैंसर, डायबिटीज, टी.बी, दमा,
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@ranak72
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4 months
चैत्य है एक छोटी-सी चिनगारी जो हम सबके अंदर मौजूद है बहुत सारे कूड़े-कबाड़ से ढकी हुई। अगर हम इसे चेता सकें जो यह धधक उठेगी और जीवन के सारे कूड़े-कबाड़ को भस्म कर गी। यह भगवान् का एक छोटा-सा अंश है जो हमेशा हमारी सहायता करने के लिये तत्पर रहता है लेकिन यह सहायता तभी करता है जब
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@ranak72
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4 months
कुंडलिनी शक्ति- ब्रह्माण्ड में तीन शक्तिशाली नाड़ियाँ शामिल हैं मूलके विवरण कर देसे प्रकट हो गया होगा। वास्तव में ब्राह्मणों में जैन शक्तियाँ विद्यमान हैं, उन मैसाचुसेट्स ईश्वरने शरीररूपी पिंडके इस भाग में सम्मिलित होकर दी गई हैं, सहायक सुषुम्ना नादिका मुख त्रिकोण योनि-मंडलके
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@ranak72
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4 months
Kalki Avatar Sadguru Shri Ramlal Ji Siyag Siddhyoga: ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः मंत्र शास्त्र एक हमारे देश का बहुत पुराना तरीका है, शंकर दयाल जी शर्मा अपने राष्ट्रपति थे, उन्होंने एक दफे जरूर कहा था, मैंने बॉम्बे में पढ़ा था, कि इस पर शोध होनी चाहिए, समझे। तो मैं जो काम कर रहा हूं,
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@ranak72
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5 months
दिव्य ज्ञान प्राप्ति का पथ सद्गुरुदेव के पावन चरणों में पूर्ण समर्पण प्रवृत्तिमार्गी समर्थ सद्गुरुदेव रामलाल जी सियाग, अपने सदगुरुदेव बाबा श्री गंगाईनाथ जी योगी (बहालीन) की अर्हतुकी कृपा के कारण प्राप्त असीम दिव्य ज्ञान रूपी "कृपा प्रसाद" बांटने विश्व में निकले है। इस दिव्य
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@ranak72
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4 months
Kalki Avatar Sadguru Shri Ramlal Ji Siyag Siddhyoga: ॐ श्री गंगाई नाथाय नमः तो यह एक विकास है भाई, जो आपमें होगा, एक जीवन मुक्त हो जाओगे, महर्षि अरविन्द ने जिस योग की बात कही है ना, उसमें कहा है यह terristorial immortality है,  जीवन मुक्त होने का तरीका है। मरने के बाद में मुक्ति
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
4 months
तुम्हारा संकल्प पूरा हो जायेगा।" बात बिल्कुल सत्य है। प्यारे मानव! तुम्हारे अन्दर सर्व तीर्थ, सर्व मन्त्र, सर्व बीजाक्षर और देवता सहित परमेश्वर निवास करता है। वह जितना कैलास में और वैकुण्ठ में है उतना ही तुम लोगों में है। तुम क्यों उसे अपने अन्दर खोजना छोड़ कर मारे-मारे देश-देश
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@ranak72
MahaRana (Kavita)
5 months
17:40 Radhe Radhe तुम जितना ज्यादा "सत्यवान" होते चले जाओगे उतने ज्यादा खतरनाक होते जाओगे, उतने ज्यादा लोग तुम्हारे पास आने से बचने लगेंगे.... उनके बचे रहने में ही उनकी भलाई है, वरना उनके सपने, उनकी इच्चायें, उनकी वासनाएं, उनकी उम्मीदों पर सब पर एक झटके में सत्य पानी फेर सकता है
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