*इज्जत और तारीफ**मांगी नही जाती है*
*कमाई जाती है* *नेत्र केवल दृष्टि प्रदान* *करते है* *परंतु हम कहाँ क्या देखते है* *यह हमारे मन की भावना* *पर निर्भर है* *शब्द जब तक आपके अंदर है ,* *वह आपके अधीन है और*मुँह से बाहर आने के बाद आप* *उसके अधीन हो जाते हैं* *🙏llसुप्रभातll🙏*