वो कह के चले इतनी मुलाकात बहुत है,
मैंने कहा रुक जाओ अभी रात बहुत है,
आँसू मेरे थम जाये तो फिर शौक से जाना,
ऐसे में कहाँ जाओगे बरसात बहुत है।
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उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है,
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है,
दिल टूटकर 💔 बिखरता है इस कदर,
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर चूर होता है!..
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