Jaiprakash Tamkoria
10 months
*सचिव, बैद, गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।*
*राज, धर्म, तनु तीनि कर होइ बेगिहिं नास।।*
अर्थात – “मंत्री, वैद्य और गुरु यदि ये तीनों भय, लाभ या स्वार्थवश मीठा बोलते हैं सत्य नहीं बोलते, चापलूसी करते हैं, तो राज्य, शरीर और धर्म, इन तीनों का नाश होने में समय नहीं लगता।”