ईश्वर बुरे लोगों को बहुत कुछ देता है परंतु अंत में वह उन्हें असफल कर देता है। ईश्वर अच्छे लोगों का बहुत परीक्षा लेता है परंतु कभी उन्हें निराश नहीं होने देता।
- रजनीकांत
#Rajnikanth
#thalieva
#suvichar
ना हम नास्तिक है
ना हम आस्तिक है
हम तो केवल वास्तविक है
जो अच्छा लगे उसे ग्रहण करो
जो बुरा लगे उसे त्याग दो
फिर चाहे वो
विचार हो, कर्म हो, धर्म हो
या फिर मनुष्य।
▪️ तथागत बुद्ध । अपनी हिन्दी
#Buddha
समाज में अनपढ़ लोग हैं ये हमारे समाज की समस्या नहीं है। लेकिन जब समाज के पढ़े लिखे लोग भी ग़लत बातों का समर्थन करने लगते हैं और ग़लत को सही दिखाने के लिए अपने बुद्धि का उपयोग करते हैं, यही हमारे समाज की समस्या है।
~ डॉ. भीमराव अंबेडकर
#भारत_बंद
#BharatBand
#भारतबंद
घर से भागी औरतें।
वो
जिन्हें घर ने हमेशा
पराया धन कहा-
वो
उस घर से भाग गयीं
सो हंगामा हुआ।
वो
जिन्हें डराया गया भेड़ियों से
जब सीख गयीं भेड़ियों के साथ दौड़ना
वो
बदनाम हुईं।।
🔹 किताबगंज
@Kitabganj1
संभालना था
सम्पूर्ण सृष्टि को
एक धागे में,
ईश्वर ने गढ़ी स्त्री
और
यात्रा पर निकल गया!
▪️रुपाली टंडन । अपनी हिन्दी
नवरात्रि की शुभकामनाएं
#Navratri
#नवरात्रि
तेरा विराट यह रूप
कल्पना-पट पर नहीं समाता है।
जितना कुछ कहूँ, मगर,
कहने को शेष बहुत रह जाता है।
▪️रामधारी सिंह दिनकर । अपनी हिन्दी
#INDvsNZ
#ThandRakh
#ViratKohli
एक और विराट पारी, जय हो।
उसके खेतों में कपास उगती है...
और मेरे घर के पूजाघर में ,
सुबह शाम ,
ईश्वर के आगे उसी कपास के दिये जलते हैं..
बस यही हमारी पूरी प्रेम कहानी है...
🔹 पायल
@456_payal
#poetrycommunity
#Lovestory
जख्म इतने मिले फिर सिले ही नहीं
दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नहीं व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फायदा
सोच लेना कि हम तुम मिले ही नहीं ।
▪️डॉ. कुमार विश्वास । अपनी हिन्दी
'मै समझता हूं कि आखिर में सबकुछ जाने देने का नाम ही जिंदगी है, पर सबसे ज्यादा तकलीफ तब होती है जब आपको अलविदा कहने का मौका नहीं मिल पाता।'
~ इरफान खान ( लाइफ ऑफ पाई में)
#IrfanKhan
जितनी बुराइयाँ हैं वे केवल इसलिए कि कुछ बातें छुपाई नहीं जाती और अच्छाइयाँ इसलिए हैं कि कुछ बातें छुपा ली जाती हैं।
▪️विनोद कुमार शुक्ल
#Sunday
#thoughts
नमक दुख है धरती का और उसका स्वाद भी !
पृथ्वी का तीन भाग नमकीन पानी है
और आदमी का दिल नमक का पहाड़,
कमजोर है दिल नमक का
कितनी जल्दी पसीज जाता है !
गड़ जाता है शर्म से
जब फेंकी जाती हैं थालियाँ
दाल में नमक कम या जरा तेज होने पर।
🔹अनामिका । अपनी हिन्दी
जन्मदिवस विशेष
दुनिया के तमाम डाकख़ाने प्रेम से चलते हैं
और कचहरियाँ नफ़रत से।
कोई हैरत नहीं कि डाकघर कम हो गए
और कचहरियाँ बढ़ती चली गईं।
हम दोनों रोज़ कम से कम एक चिट्ठी
तो एक दूसरे को लिख ही सकते हैं
या फिर तुम मुझे कभी-कभी
कोई किताब भिजवाना।
🔹 लवली गोस्वामी
वैसे तो लोहे को कोई नष्ट नहीं कर सकता लेकिन उस पर लगी जंग ही उसे नष्ट कर देती है, उसी प्रकार हमारी खुद की सोच ही हमें नष्ट करती है, कोई और नहीं।
🔹रत्न टाटा । अपनी हिन्दी
जीवन का ख़र्चा कितना अधिक है!
इतना अधिक–
कि पिता जी रोज़ ख़र्च होते रहे,
हमारे लिए।
और ये बात...
मैं तब जान पाया,
जब पिता जी पूरी तरह ख़र्च हो गये।
▪️लेखक सुयश
@LekhakSuyash
#fathersDay
#WowFathersDay