जनवरी, 2003 में श्री हरिवंशराय बच्चन जी का देहावसान हो गया था। उपरोक्त चित्र सम्भवतः बच्चन जी का अंतिम चित्र वरिष्ठ लेखिका पुष्पा भारती जी के साथ है। संपादक कैलाश चंद्र पंत ने ‘अक्षरा’ पत्रिका में 'धरोहर’ शीर्षक से यह चित्र प्रकाशित किया था।
#part1
सरहद पे गोली खा के जब टूट जाये मेरी साँस
मुझे भेज देना यारों मेरी बूढ़ी माँ के पास
बड़ा शौक था उसे,
मैं घोड़ी चढूँ, धमाधम ढोल बजें
तो ऐसा ही करना...
मुझे घोड़ी पे ले के जाना
पूरे गाँव में घुमाना
ढोलकें बजाना
और माँ से कहना..
#Part1
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आयी।
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आयी।।
यहाँ से जाने वाला लौट कर कोई नहीं आया।
मैं रोता रह गया लेकिन न वापस जा के माँ आयी ।।
-
@MunawwarRana
‘सुख़न सराय’ ग़ज़ल संग्रह से
#Vani57
#MorningGhazal
‘बिहार सरकार के राजभाषा हिन्दी पुरस्कार’ द्वारा स्वर्ण कमल से सुसज्जित
@anantvijay
को ‘डॉ. फादर कामिल बुल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किया जायेगा।
वाणी प्रकाशन ग्रुप की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ
#Part1
मैंने काग़ज़ पे सदा दिल की बिखर जाने दी,
मुझको ये भी नहीं मालूम के क्या लिखना था...
मर्तबा दिल का ग़ज़ल मेरी कसीदा उसका,
कुछ न कुछ आज मुझे मेरे ख़ुदा लिखना था...
-
@rahatindori
'रुत' ग़ज़ल संग्रह यहाँ प्राप्त करें :
#Vani56
#दास्ताँकहतेकहते
#Ghazal
#ख़बरमें
कवि, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और युवाओं के प्रेरणास्रोत डॉ.
@DrKumarVishwas
के 51वें जन्मदिवस पर वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा प्रकाशित 'ब्रज व कौरवी : लोकगीत में लोकचेतना' का लोकार्पण नयी दिल्ली के होटल ताज मान सिंह 'दीवान-ए-आम' में हुआ।
साभार :
@NavodayaTimes
हर क़दम पे काम अपनी जाँ निसारी आयेगी
दोस्तों के बाद फिर दुश्मन की बारी आयेगी
देखना ये है के इस बाज़ार का मालिक है कौन
पूछना ये है, के क्या कीमत हमारी आयेगी?
'रुत'
@rahatindori
'रुत' ग़ज़ल संग्रह यहाँ प्राप्त करें :
#Vani56
#Rut
#दास्ताँकहतेकहते
#Ghazal
*ईद मुबारक 🌙
मौत की तफ़सील होनी चाहिए
शहर में इक झील होनी चाहिए
चाँद तो हर शब निकलता है मगर
ताक़ में क़िन्दील होनी चाहिए
रौशनी जो ज़िस्म तक महदूद है
रूह में तहलील होनी चाहिए
'चाँद पागल है'
@rahatindori
#Vani56
#Ghazals
वाणी प्रकाशन ग्रुप के स्टॉल पर, वरिष्ठ पत्रकार
@abhisar_sharma
, फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की ग़ज़ल पढ़ते हुए...
'आज के ग़म के नाम' - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
- शहरयार व नक़वी द्वारा सम्पादित
पाठक यह किताब वाणी प्रकाशन के स्टॉल से प्राप्त कर सकते हैं।
#ReadWithVani2020
#Vani57
#Hot_off_The_Press
#नयीबहार
ब्रज व कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना –
@DrKumarVishwas
लोकगीत कभी शीतल फुहारों से मन को गुदगुदाते हैं, तो कभी ग़ुलामी, अन्याय, अत्याचार और बुराइयों के ख़िलाफ़ चिनगारियाँ जगाते हैं। इसीलिए वे राजनीतिक-सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक बनते हैं।
#Part
#सदाबहार
जो किताबों ने लिखा, उससे जुदा लिखना था,
लिख के शर्मिन्दा हूँ तुझको के सिवा लिखना था...
चाँद लिक्खा कभी सूरज कभी मौसम लिक्खा,
बात इतनी थी मुझे नाम तेरा लिखना था...
'रुत'
@rahatindori
#Vani55
#Rut
@rahatindori_
#Ghazal
#दास्ताँकहतेकहतेशृंखला
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
एक दीवाना मुसाफ़िर है मिरी आँखों में
वक़्त-बे-वक़्त ठहर जाता है, चल पड़ता है
-
@rahatindori
‘चाँद पागल है’ पुस्तक से
किताब यहाँ उपलब्ध है
#Vani58
#प्रेमगीत #प्रेमकहानी #रुत
क्या ख़रीदोगे ये बाज़ार बहुत महँगा है,
प्यार की ज़िद न करो प्यार बहुत महँगा है...
आज तक तुमने खिलौने ही खरीदे होंगे,
दिल है ये दिल मेरे सरकार बहुत महँगा है...
-
@rahatindori
अपनी प्रति यहाँ पाएँ :
#Vani56
#Rut
#Ghazal
#सदाबहार
आसमां ओढ़ के सोए हैं खुले मैदां में
अपनी ये छत किसी दीवार की मोहताज नहीं
मैं हूँ ये कम तो नहीं है, तेरे होने की दलील
मेरा होना तेरा एहसास दिलाता है मुझे
चाँद पागल है -
@rahatindori
@vani_prakashan
#Vani55
तुम्हारे शहर ने दफ़नाया बे-मज़ार हमें
हमारे गाँव में कहते थे ज़मींदार हमें
लकीरें हाथ की गिरवी हैं कारख़ाने में
कहाँ ले आया है ख़ुशियों का इन्तज़ार हमें
हम आसमान से बढ़ के बुलन्द हो जायें
तू अपने क़दमों में बिछने दे एक बार हमें
-
@manojmuntashir
'मेरी फ़ितरत है मस्ताना'
#Part1
विश्व पुस्तक मेला 2023 में हरदिल अज़ीज़ कवि, लोक साहित्य विशेषज्ञ और दार्शनिक डॉ.
@DrKumarVishwas
वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य–घर’ (हाल सं. 2, स्टाॅल सं. 72-89) प्रगति मैदान, नयी दिल्ली में अपने पाठकों से रूबरू हुए।
#Vani60
#वाणीसाहित्यघर
#VaniSahityaGhar
#SahityaGhar
संविधान अच्छे हाथों में रहा तो अच्छा, बुरे हाथों में रहा तो ख़राब साबित होगा।
~ डॉ भीमराव आंबेडकर
आप सभी को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
#vani56
#SamvidhanDiwas
#samvidhandivas
ज़िन्दगी भर दूर रहने की सज़ाएँ रह गयीं
मेरे कीसे में मिरी सारी वफ़ाएँ रह गयीं
नौजवां बेटों को शहरों के तमाशे ले उड़े
गाँव की झोली में कुछ मजबूर माँएँ रह गयीं
प्रख्यात शायर
@rahatindori
साहब का ग़ज़ल संग्रह अब
@AmazonKindle
पर उपलब्ध है आज ही पढ़ें :
#सदाबहार
चेहरे से धूप आँख से गहराई ले गया
आईना सारे शहर की बीनाई ले गया
डूबे हुए जहाज़ प' क्या तब्स करें
ये हादसा तो सोचा कि गहराई ले गया
‘चाँद पागल है’
@rahatindori
‘चाँद पागल है’ ग़ज़ल संग्रह यहाँ पाएँ :
#Vani55
#RahatIndori
#ChandPagalHai
🇮🇳73वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ🇮🇳
बावन सेकण्ड
खड़े होने में तुमको हैं ऐतराज़ बड़े
सियाचीन की सरहद पर
कोई बर्फ़ हो गया खड़े-खड़े
-
@manojmuntashir
Muntashir
मेरी फ़ितरत है मस्ताना... पुस्तक से
किताब यहाँ उपलब्ध है:
#RepublicDay
जो पुल बनायेंगे
जो पुल बनायेंगे
वे अनिवार्यतः
पीछे रह जायेंगे।
सेनायें हो जायेंगी पार
मारे जायेंगे रावण
जयी होंगे राम,
जो निर्माता रहे
इतिहास में
बंदर कहलाएँगे।
अज्ञेय
#Vani57
विश्व पुस्तक मेला 2023 में वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित हरदिल अज़ीज़ कवि, लोक साहित्य विशेषज्ञ और दार्शनिक
@DrKumarVishwas
4 मार्च 2023 शाम 4:30 बजे वाणी प्रकाशन ग्रुप के ‘साहित्य–घर’ (हाल सं. 2, स्टाॅल सं. 72-89) प्रगति मैदान, नयी दिल्ली में अपने पाठकों से मिलेंगे।
#Vani60
#Part2
हम आधुनिकता के नशे में अपने पुरखों की इस धरोहर को भुलाते जा रहे हैं। इसे बचाना और बढ़ाना साहित्य, समाज और राष्ट्र की बहुत बड़ी सेवा है।
-
@k_satyarthi
नोबेल शान्ति पुरस्कार सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता
आज ही अपनी प्रति ऑर्डर करें यहाँ :
कोई हाथ भी न मिलायेगा, जो गले मिलोगे तपाक से,
ये नये मिज़ाज का शहर है, ज़रा फ़ासले से मिला करो।
मुझे इश्तिहार-सी लगती हैं, ये मोहब्बतों की कहानियाँ,
जो कहा नहीं वो सुना करो, जो सुना नहीं वो कहा करो।
'उजाले अपनी यादों के'
#बशीर_बद्र
#Part1
#जन्मदिवस
दुनिया के सामने भी हम अपना कहें जिसे
इक ऐसा दोस्त हो कि सुदामा कहें जिसे
चिड़िया की आँख में नहीं पुतली में जा लगे
ऐसा निशाना हो कि निशाना कहें जिसे
-
@MunawwarRana
‘रुख़सत करो मुझे’
मशहूर शायर मुनव्वर राना को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
जिस जलप्रलय ने पूरी केदार घाटी को मथ दिया, सैकड़ों जानें ले लीं और तबाही बरपाई, उससे आखिर केदारनाथ मंदिर कैसे सुरक्षित बच गया? ये सब आज भी तर्क पर खरा उतरता जवाब मांग रहा है।
-
@pantlp
‘हिमालय का क़ब्रिस्तान’
किताब यहाँ उपलब्ध है :
#tehridam
#Kedarnath
I I सादर आमन्त्रण I I
@vani_prakashan
से प्रकाशित डॉ.
@ShashiTharoor
की नयी पुस्तक 'अन्धकार काल : भारत में ब्रिटिश साम्राज्य’ (An Era of Darkness: The British Empire in India’ published by
@AlephBookCo
का हिन्दी अनुवाद)
आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है,
डूबता भी है,
फिर उभरता है, फिर से बहता है,
न समंदर निगला सका इसको,
न तवारीख़ तोड़ पाई है,
वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी
बुलबुला है पानी का।
गुलज़ार
जब हम कहीं न होंगे तब शहर भर में होंगे
पहुँचेगी जो न उस तक हम उस ख़बर में होंगे
थक कर गिरेंगे जिस दम बाँहों में तेरी आ कर
उस दम भी कौन जाने हम किस सफ़र में होंगे
-जॉन एलिया
‘मैं जो हूँ ‘जॉन एलिया’ हूँ'
सम्पादक–डॉ.
@DrKumarVishwas
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
एक दीवाना मुसाफ़िर है मिरी आँखों
में वक़्त-बे-वक़्त ठहर जाता है, चल पड़ता है
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@rahatindori
'चाँद पागल है'
किताब यहाँ उपलब्ध है :
#Vani59
#ChandPagalHai
#RahatIndauri
#वाणीकालजयी
द लल्लन टॉप के ‘किताबी बातें’ कार्यक्रम में वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित कालजयी कथाकार निर्मल वर्मा की पुस्तक 'रात का रिपोर्टर' पर द लल्लनटॉप के मुखिया सौरभ द्विवेदी से सुनिये पुस्तक के कुछ रोचक क़िस्से।
@TheLallantop
@saurabhtop
#Vani60
#WBF2019
#Vani56
#मेलेकीहलचल
सुनिए खुशबू शर्मा से मशहूर शायर
@rahatindori
की पुस्तक 'रुत' से एक नज़्म -
लम्हा लम्हा जंग है कुछ देर मोहलत चाहिए
साहिबो अच्छी ग़ज़ल कहने को फुर्सत चाहिए
ख़ुदखुशी को बुज़दिली कहना समझ का फेर है
मौत से आँखें मिलाने में भी हिम्मत चाहिए
#जन्मदिवस
तेरी आँखों की हद से बढ़ कर हूँ
दश्त मैं आग का समन्दर हूँ
कोई तो मेरी बात समझेगा
एक क़तरा हूँ और समन्दर हूँ
उर्दू के विख्यात शायर डॉ.
@rahatindori
के जन्मदिवस पर वाणी प्रकाशन परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ 💐💐
#Vani56
#अपनीभाषाअपनागौरव
मिलिये दिनांक 18 नवम्बर 2018 को शाम 7:00 बजे
@SahityaAajTak
के सत्र ‘मुशायरा’ में उर्दू के विख्यात शायर डॉ.
@rahatindori
से।
16,17,18 नवम्बर 2018
इंदिरा गाँधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्टस
नयी दिल्ली
आइयेगा जरूर!
#Vani55
#अपनीभाषाअपनागौरव
#SahityaAajTak2018
#सदाबहार
घरों को तोड़ता है ज़ेहन में नक्शा बनाता है
कोई फिर ज़िद की ख़ातिर शहर को सहरा बनाता है
ख़ुदा जब चाहता है रेत को दरिया बनाता है
फिर उस दरिया में मूसा के लिए रस्ता बनाता है
'घर अकेला हो गया'
मुनव्वर राना
#Vani55
@MunawwarRana
@MunawwarRanaFC
#Ghazal
Touched that event organisers yesterday were kind enough to acknowledge & honour my mother on her birthday. Much appreciated
@timeslitfestdel
&
@vaniprakashan55
!
समय
चाहे जितना कम हो
स्थान
चाहे उससे भी कम
चाहे शहर में बची हो
बस उतनी-सी हवा
जितनी एक साइकिल में होती है
पर जीना होगा
जीना होगा
और यहीं
यहीं
इसी शहर में जीना होगा
इंच-इंच जीना होगा
चप्पा-चप्पा जीना होगा
और जैसे भी हो
यहाँ से वहाँ तक
समूचा जीना होगा
#Vani56
मैं पूरी ताक़त के साथ
शब्दों को फेंकना चाहता हूँ आदमी की तरफ़
यह जानते हुए कि आदमी का कुछ नहीं होगा
मैं भरी सड़क पर सुनना चाहता हूँ वह धमाका
जो शब्द और आदमी की टक्कर से पैदा होता है
यह जानते हुए कि लिखने से कुछ नहीं होगा
मैं लिखना चाहता हूँ।
'पचास कविताएँ'
केदारनाथ सिंह
#पुण्यतिथि
तूफ़ानों से आँख मिलाओ,
सैलाबों पे वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो,
तैर के दरिया पार करो
फूलों की दुकानें खोलो,
ख़ुशबू का व्यापार करो
इश्क़ ख़ता है, तो ये ख़ता
एक बार नहीं, सौ बार करो
~राहत इन्दौरी
'रुत'
प्रख्यात शायर राहत इन्दौरी साहब की पुण्यतिथि पर सादर
हम कभी जब दर्द के क़िस्से सुनाने लग गये
लफ़्ज़ फूलों की तरह ख़ुशबू लुटाने लग गये
लौटने में कम पड़ेगी उम्र की पूँजी हमें
आप तक आने ही में हमको ज़माने लग गये
-
@MunawwarRana
'घर अकेला हो गया'
किताब यहाँ उपलब्ध है:
#Vani59
#ReadWithVani
#अपनीभाषाअपनागौरव
#दिलदारकिताबवाले
#BestSeller
#चाँद_पागल_है
@rahatindori
पाठकों द्वारा भेजा गया यह प्रेम हमें हमेशा सर्वोत्कृष्ट किताबें देने के लिए प्रतिबद्ध करता है। आप इसी तरह हमें अपना स्नेह भेजते रहें, हम आपको बेहतरीन किताबों की सौगात देते रहेंगे।
#Vani56
जीवन कटना था कट गया
अच्छा कटा,
बुरा कटा,
यह तुम जानो
मैं तो ये समझता हूँ
कपड़ा पुराना एक फटना था फट गया।
जीवन कटना था कट गया।
कविता : जीवन कट गया, पृष्ठ सं. 125
'हमारे लोकप्रिय गीतकार गोपालदास 'नीरज'
सम्पादक : शेरजंग गर्ग
अपनी प्रति यहाँ प्राप्त करें :
एक आदमी
रोटी बेलता है
एक आदमी रोटी खाता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है
वह सिर्फ़ रोटी से खेलता है
मैं पूछता हूँ-
'यह तीसरा आदमी कौन है ?'
मेरे देश की संसद मौन है।
कविता : रोटी और संसद, पृष्ठ. 66
कल सुनना मुझे - #धूमिल
#Vani56
ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
मदद करनी हो उसकी
यार का ढांढस बंधाना हो
बहुत देरीना रास्तों पर
किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
मुनीर नियाज़ी
#vani56
#जन्मदिवस
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आयी।
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आयी।।
यहाँ से जाने वाला लौट कर कोई नहीं आया।
मैं रोता रह गया लेकिन न वापस जा के माँ आयी ।।
*मशहूर शायर
@MunawwarRana
के जन्मदिवस पर वाणी प्रकाशन की ओर से हार्दिक शुभकानाएँ💐
कोई दिवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बैचेनी तो बस बादल समझता है।।
~डॉ. कुमार विश्वास
अगर आप डॉ. कुमार विश्वास की कविताएँ व गीत सुनते-गुनगुनाते हैं, तो उनके साथ अपना वीडियो रिकॉर्ड कर हमसे साझा करें।
फेसबुक –
ट्विटर –
आज़ादी ने मुझे यह तो सिखलाया है
कि इश्तहार कहाँ चिपकाना है
और पेशाब कहाँ करना है
और इसी तरह ख़ाली हाथ
वक़्त-बेवक़्त मतदान करते हुए
हारे हुओं को हींकते हुए
सफलों का सम्मान करते हुए
मुझे एक जनतान्त्रिक मौत मरना है।
सुदामा पाण्डेय 'धूमिल'
#Vani57
#जन्मदिवस
चले जाओ यहाँ से
फ़ौरन
जाओ
ज़रा-सी परछाईं छोड़ जाना
कृपया
अपने पीछे
सर रखकर
सोना है मुझे
उम्र तक
-
@udayprakash2009
कथाकार कवि उदय प्रकाश जी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
#Vani57
पत्तों पर पानी गिरने का अर्थ
पानी पर पत्ते गिरने के अर्थ से भिन्न है।
जीवन को पूरी तरह पाने
और पूरी तरह दे जाने के बीच
एक पूरा मृत्यु-चिह्न है।
बाक़ी कविता
शब्दों से नहीं लिखी जाती,
पूरे अस्तित्व को खींचकर एक विराम की तरह
कहीं भी छोड़ दी जाती है...
-कुँवर नारायण
#Vani56
#सादर_स्मरण
बज़ा फ़रमा रहे आप
मंज़ूर मुझे
कि मैं हो गया हूँ शिकार
नाउम्मीदी का।
पर मुझसे ही
क्यों चाहत इस तरह की
बता दूँ आपको कि उम्मीद भी
एक मुहावरा है
गुमराह करने का...
हिन्दी के विख्यात कवि चन्द्रकान्त देवताले की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏
#Vani56
नये दिन के साथ
एक पन्ना खुल गया कोरा
हमारे प्यार का!
सुबह,
इस पर कहीं अपना नाम तो लिख दो।
बहुत से मनहूस पन्नों में
इसे भी कहीं रख दूँगा।
और जब-जब
हवा आकर
उड़ा जायेगी अचानक बन्द पन्नों को;
कहीं भीतर
मोरपंखी की तरह रखे हुए उस नाम को
हर बार पढ़ लूँगा।
-केदारनाथ सिंह
प्रेम में स्त्रियाँ चुपचाप हैं
पुरुष वाचाल हैं प्रेम में
बदल लेते हैं प्रेम और प्रेम करने वाली स्त्रियाँ
प्रेम करता हुआ पुरुष
कामान्ध है, हिंसक है
प्रेम करती स्त्री
प्रेमान्ध है, विकल है
तुम्हें प्रेम करने के लिए
मुझे 'स्त्री' होना है
कविता : काया परिवर्तन
#आग्नेय
#Part1
दुख का कोई पहाड़ नहीं होता
कोई समुद्र नहीं होता दुख का
सिर्फ़ हाथ होते हैं
छोटे-छोटे
जो दिनभर रस्सी की तरह
बुनते रहते है दुख को
-केदारनाथ सिंह
#Vani57
#ReadWithVani
#Poetry
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
-
@MunawwarRana
'माँ'
मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
#MothersDay
#Vani59
कुछ भी नहीं हुआ ऐसा
जो सहने से बाहर हो
न इतना बुरा
कि उससे बुरा कभी हुआ न हो
अकेली हुई वह
मगर इतनी नहीं
कि मरने का जी करे
इस विरह का रंग उजला है
अभी तक तुम दिखते हो
पीड़ा में नहीं
अपने सहने में
कविता : इस विरह का रंग उजला है
#गगन_गिल
#Part1
वह धुन का पक्का था
उसने नहीं कुचली किसी की उंगली
और पट्टियाँ रखता था अपने वास्ते
एक दिन ऊब कर उसने तय किया आख़िरकार
और इस तरह छोड़ दी राजधानी
मरने से पहले उसने कहा था...परिश्रम, नैतिकता, न्याय...
वरिष्ठ साहित्यकार उदय प्रकाश जी की कविता 'किसका शव' से
“एक हिन्दू आस्तिक भी हो सकता है और नास्तिक भी। यह भी कहा जाता है कि ये शब्द ईश्वर में विश्वास की बजाय व्यक्ति के कर्मों से सम्बन्ध रखते हैं, परन्तु कर्मों का आधार विचार ही होते हैं। एक आस्तिक के रूप में हिन्दू वेदों की पवित्रता और आत्मा के अस्तित्व को स्वीकार कर सकता है
#Part1
"अपने खुलेपन और विविधता के कारण हिन्दू धर्म एक ठेठ भारतीय उपज है, एक बरगद का वृक्ष । इसकी शाखाएँ दूर तक और चारों ओर फैली हुई हैं, और इनमें से कई फिर से धरती में घुसती रहती हैं और नयी जड़ों को जन्म देती रहती हैं।"
@ShashiTharoor
'मैं हिन्दू क्यों हूँ'
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