पापा मुझे छांव में बिठाकर, खुद जलते रहे धुप में। ... दुनिया के सारे दर्द हंस कर झेल लेते है , ..मतलबी दुनिया में, वह पिता ही तो है, जो औलाद को बेमतलब प्यार करता है।
जो मजा पापा के कंधों पर झूलने में आता था, वो मजा पार्क के झूलों में कहां है।
पिता का जीवन भर संघर्ष ही तो उनको और