मैं पत्थर पर लिखी ईबारत हूँ,
शीशे से कब तक तोड़ोगे।।
मिटने वाला मैं नाम नहीं,
तुम मुझको कब तक रोकोगे।।
इस जग में जितने ज़ुल्म नहीं उतने सहने की ताकत है,
मैं सागर से भी गहरा हूँ,
तुम कितने कंकड़ फेंकोगे..
चुन चुन कर आगे बढूंगा मैं,
तुम मुझको कब तक रोकोगे..
तुम मुझको कब तक रोकोगे ।