उच्च शिक्षण संस्थाओ में शोषित, वंचित, दलित, पिछड़े व आदिवासी सामज पर हो रहे शोषण, दमन, अत्याचार की अनकही कहानियों को "प्रोफ़ेसर की डायरी" के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने का काम प्रो0 लक्ष्मण यादव जी ने किया है अब इनकी किताब हिन्दी, पंजाबी, मराठी भाषा में आने के बाद अंग्रेज़ी