रुतबा मेरे सर को तेरे संविधान से मिला है
ये सम्मान भी मुझे तेरे संविधान से मिला है
औरो को जो मिला है वो मुकदर से मिला है
हमें तो मुकदर भी तेरे संविधान से मिला है
*ना ‘जिंदगी’ की खुशी* ना ‘मौत’ का गम*
*जब तक है..दम..*”जय भीम” कहेंगे हम….!!!*
अगर साथ तुम हो तो घबराने की बात थोड़ी है....
जरा सी बूंदा - बांदी है बहुत बरसात थोड़ी है..!
ये राहे इश्क़ है यहाँ कदम ऐसे ही उठते है....
मोहब्बत घबराने वालो के बस की बात थोड़ी है.