जो लेखक थे, वो मर गए। आज सिर्फ चोर बचे हैं, जो पुराने लेखकों के फेंके शब्दों को चुराकर लेखक बने बैठे हैं।
जो राजनेता थे, वो मर गए। आज सिर्फ चोर बचे हैं, जो उनके फेंके हुए जूतों को पहनकर चल रहे हैं।
जो ��्रांतिकारी थे, वो मर गए। आज सिर्फ चोर बचे हैं, जो उनके फेंके विचारों पर