तुम पूछो और मैं न बताऊँ ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल टूटा है और तो कोई बात नहीं।
किस को ख़बर थी साँवले बादल बिन बरसे उड़ जाते हैं
सावन आया लेकिन अपनी क़िस्मत में बरसात नहीं ।
#क़तील_शिफ़ाई
तू समझता है कि रिश्तों की दुहाई देंगे
हम तो वो हैं तिरे चेहरे से दिखाई देंगे ।
हम को महसूस किया जाए है ख़ुश्बू की तरह
हम कोई शोर नहीं हैं जो सुनाई देंगे ।
फ़ैसला लिक्खा हुआ रक्खा है पहले से ख़िलाफ़
आप क्या ख़ाक अदालत में सफ़ाई देंगे ।
#वसीम_बरेलवी
ख़मोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फ़त नई नई है
अभी तकल्लुफ़ है गुफ़्तुगू में अभी मोहब्बत नई नई है ।
अभी न आएगी नींद तुम को अभी न हम को सुकूँ मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल ज़ियादा अभी ये चाहत नई नई है।
#शबीना_अदीब
अपने हर हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा ।
मुझ को चलने दो अकेला है अभी मेरा सफ़र
रास्ता रोका गया तो क़ाफ़िला हो जाऊँगा ।।
सारी दुनिया की नज़र में है मिरा अहद-ए-वफ़ा
इक तिरे कहने से क्या मैं बेवफ़ा हो जाऊँगा ।
#वसीम_बरेलवी
ज़िन्दगी जब भी तिरी बज़्म में लाती है हमे
ये ज़मीं चांद से बेहतर नज़र आती है हमें।
सुर्ख़ फूलों से महक उठती हैं दिल की राहें
दिन ढले यूं तिरी आवाज़ बुलाती है हमें।
याद तेरी कभी दस्तक कभी सरगोशी से
रात के पिछले-पहर रोज़ जगाती है हमें।
#शहरयार
दश्त में प्यास बुझाते हुए मर जाते हैं
हम परिंदे कहीं जाते हुए मर जाते हैं।
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हँस
जो तअ'ल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं।
घर पहुँचता है कोई और हमारे जैसा
हम तिरे शहर से जाते हुए मर जाते हैं।
#अब्बास_ताबिश
किसी नज़र को तेरा इंतज़ार आज भी हैं
कहां हो तुम कि ये दिल बेकरार आज भी हैं।
वो वादियाँ वो फिजायें कि हम मिले थे जहां
मेरी वफ़ा का वहीं पर मजार आज भी हैं।
यकीं नहीं हैं मगर आज भी ये लगता है
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी है।
#हसन_कमाल
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा।
तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा
मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा।
तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है
तुम्हारे बा'द ये मौसम बहुत सताएगा।
#बशीर_बद्र
रेत पर लिख के मेरा नाम मिटाया न करो
आँख सच बोलती हैं प्यार छुपाया न करो।
लोग हर बात का अफ़साना बना लेते हैं
सबको हालात की रूदाद सुनाया न करो।
ये ज़ुरूरी नहीं हर शख़्स मसीहा ही हो
प्यार के ज़ख़्म अमानत हैं दिखाया न करो।
#मोहसिन_नक़वी
गुलों को सुनना ज़रा तुम सदाएँ भेजी हैं
गुलों के हाथ बहुत सी दुआएँ भेजी हैं
तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं।
#गुलज़ार
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है।
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है।
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है।
#साहिर_लुधियानवी