ये महज़ तस्वीर नहीं बल्कि आपको शर्मिंदगी महसूस करने की वज़ह है। 72 सीटों के कोच में 1720 यात्री यात्रा कर रहे हैं, जहाँ सामान रखने के लिए जगह होती है वहाँ ये बेरोज़गार अपनी आशाओं और इच्छाओं का बोझ लिए बैठे हैं। ये कोच बेरोजगारों से नहीं बल्कि मजबूरी और लाचारी से लबालब भरा हुआ है।