हम जैसे मध्यम वर्गीय लड़के जो गांव में पले बढ़े, उनके लिए फादर्स डे भी आम दिनों की तरह बीत जाता है, दरअसल हम नहीं जता पाते अपना प्रेम, न ही ले पाते हैं पिताजी के साथ कोई मुस्कुराती हुई सेल्फी मगर एक जनून है, कि जो पिताजी नहीं कर पाए एक दिन वो सब उनके कदमों में लाकर रख देना है। ❤️