पटना कॉलेज का जैक्सन हॉस्टल (1907)। यह पटना यूनिवर्सिटी का बेस्ट छात्रावास हुआ करता था। 1993 में इंटर में जब हम यहाँ आए तब भी यह IAS, IPS की फ़ैक्ट्री के रूप में विख्यात था। कितने राज्यपाल, मंत्री, अफ़सर यहाँ से निकले, उनकी कहानियाँ गूँजा करती थीं। हर एक कमरे का अपना इतिहास था कि
प्लुरल्स पार्टी है, बिहार को बदलने का उसका लक्ष्य भी बरकरार है और उसका काम भी जारी रहेगा। पिछले 8 महीनों में हमने सिर्फ़ पाया है, लाखों लोगों का स्नेह। चुनाव की आपाधापी में संगठन, प्रचार और आंदोलन के कई कार्य लंबित रहे। दीपावली-छठ के उपरांत सब व्यवस्थित रूप से शुरू होंगे।
बिहार की आर्थिक हालत इतनी ख़राब है कि इस बदहाली में स्वयं ब्रह्मा भी नौकरी सृजित नहीं कर सकते, नीतीश कुमार क्या चीज हैं! पूरी व्यवस्था-अर्थव्यवस्था बदलनी होगी, जो बीजेपी-कांग्रेस-जेडीयू-आरजेडी जैसे अनपढ़ और भ्रष्ट शासन से संभव नहीं।
#Bihar
#job
प्लुरल्स पार्टी के आज एक महीने पूरे होने पर सभी कार्यकर्ताओं को बधाई! जी, माननीय चुनाव आयोग की कृपा से बीच चुनाव में जाकर ही 13 अक्टूबर को पार्टी का निबंधन हो सका। वह एक अलग कहानी है, वह जब जीत जाएँगे तब सुनाएँगे। इतिहास हमेशा विनर लिखते हैं और अभी हम विजेता नहीं हैं।
अच्छाई और बुराई दोनों का निर्माता भगवान ही है। न अच्छाई जीतती है, न बुराई, सिर्फ़ भगवान जीतता है। आज भी वही जीता है, कल भी वही जीतेगा। प्लुरल्स के कार्यकर्ताओं और समर्थकों को शुभ दीपावली!
मुझे याद है 1988 में सचिन-कांबली दोनों ने तिहरा शतक लगाकर स्कूल मैच में 664 रन जोड़े थे। तब इंटरनेट नहीं था पर देश में हंगामा हो गया था। कल एक बिहारी बच्चे ने फ़र्स्ट-क्लास का ‘वर्ल्ड-रिकॉर्ड’ बनाया। पर देश का रिस्पाॉंस देखकर मज़ा नहीं आया। बिहार सीएम ही 25 लाख दें!
@NitishKumar
प्लुरल्स पार्टी के संगठन का पंचायत/वार्ड स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक पार्टी संविधान के अनुरूप पुनर्गठन किया जाएगा। जो ज़मीनी कार्यकर्ता, ज्ञात-अज्ञात समर्थक दिन-रात नि:स्वार्थ भाव से काम करते रहे, उन्हें पार्टी की संरचना में औपचारिक रूप से शामिल करना हमारा प्राथमिक उद्देश्य है।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में घोटाला। इसमें नया क्या है? कांग्रेस राज में परीक्षा में चोरी होती थी, आरजेडी राज में डकैती होने लगी, बीजेपी-नीतीश राज में रिज़ल्ट ही बदले जाने लगे! चोरी-डकैती की भी मशक़्क़त क्यों? कौन कहता है बिहार में ‘विकास’ नहीं हुआ है?
#STET
कल बिहार के लिए ऐतिहासिक दिन है। कल फिर दिखेगा कि बिहार में लालू-नीतीश-बीजेपी-कॉंग्रेस-कम्युनिस्ट सबका डीएनए एक ही है। इस डीएनए का गुणसूत्र है - “बिहार को जातियों में बाँट कर रखो और राज करो।” सिर्फ़ प्लुरल्स का डीएनए बिहारी है, सबका, सबके लिए, सबके द्वारा शासन है। #सबकाशासन
बिहार में सरकारी सेवक की हत्या के मामले में सज़ायाफ्ता अपराधी को जेल से रिहाई में रियायत देने वाले ख़तरनाक संशोधन को चुनौती देते हुए मैंने ‘जनहित याचिका’ माननीय उच्च न्यायालय में कल दायर कर दी है। मुझे उम्मीद है कि इंसाफ़ होगा और क़ानून का राज स्थापित होगा। सत्यमेव जयते।
प्लुरल्स आंदोलन की प्रेरणास्रोत और पार्टी की प्रेसिडेंट पुष्पम प्रिया चौधरी जी ने पार्टी और राजनीति में अपनी आगामी भूमिका पर विचार करने के लिए समय माँगा है। पार्टी उनके निर्णय का इंतज़ार करते हुए अपना काम जारी रखेगी।
बिहार में नये शिक्षा मंत्री आए, सरल आदमी हैं, जोश में थे। बड़े साहब का चाबुक चला, समझा दिया गया कि वेतन का पैसा-वैसा नहीं है, ज़्यादा नौकरी-नौकरी न करें। मतलब मामला अब गोलमोल। यही होना था, यही होगा, क्योंकि बिहार में सरकार बड़ी संख्या में नौकरी दे दे, यह संभव ही नहीं।
#STET
शिक्षकों ने जिस मर्यादा और समर्पण के साथ बिल्कुल शिक्षितों की तरह आंदोलन चलाया है, यह आधुनिक लोकतंत्र का ‘सत्याग्रह’ है। नियुक्ति तो मिलनी ही है पर यह महात्मा गांधी और डॉ. राजेंद्र प्रसाद की कर्मभूमि को सच्ची श्रद्धांजलि है। हम साथ थे, साथ रहेंगे।
#GiveBiharTeachersAppointment
ऑफिसों में डाटा इंट्री का काम अथाह पेंडिंग है! विभागों से सीएम ऑफिस तक डिजिटाईजेशन मेरा प्रिय कार्य रहा। धूल फाँकती फाईलें जिनमें भ्रष्टाचार के कीटाणु पनपते रहते हैं, डिजिटाईजेशन उन्हें रोगमुक्त करता है। डाटा इंट्री ऑपरेटर उन बीमार फाईलों के डॉक्टर हैं।
#BeltronDEOjoining4LRC
तारापुर में नीतीश कुमार और लालू यादव के विधायकों का अड्डा लगा हुआ है। एक पंचायत, एक विधायक, खुलेआम पुलिस दस्ता लेकर घूम रहे, पैसे की थैलियाँ बंट रही। चुनाव आचार संहिता गई तेल लेने, डांस ऑफ़ डेमोक्रेसी जारी है।
क्रिकेट का एक बहुत बड़ा विश्व-रिकॉर्ड एक बिहारी के नाम होना, मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से पिछले कई दशकों में बिहार से आई सबसे बड़ी ख़ुशख़बरी है। क्या बात साकिबुल भाई! गर्दा उड़ा दिये….!!
युवाओं का सरकार पर जॉब देने का दबाव अब हर दिन बढ़ रहा है। पर सच यह है कि बिहार जैसी सरकारें असहाय हैं। सरकारी नौकरी देने के पैसे नहीं, प्राईवेट सेक्टर में दम नहीं, मध्य वर्ग के पास बिज़नेस के लिए पूँजी नहीं और लीडरों को नॉलेज नहीं। बिहार की पॉलिटिकल इकॉनॉमी ख़तरनाक दौर में है।
नीति आयोग द्वारा जारी SDG Urban Index में 56 शहरों में पटना 52वें स्थान पर है। मतलब राजधानी में न इकॉनॉमिक ग्रोथ है, न इंफ़्रास्ट्रक्चर, न क्वालिटी एजुकेशन-हेल्थ और न ही जॉब। शहर डेवेलपमेंट के ग्रोथ-इंजन होते हैं, यह लालू-नीतीश जैसों की बौद्धिक क्षमता के बाहर की बात है।
जेपी-लोहिया चिंतन के किसी सिलेबस से हट जाने से लालू-नीतीश जैसे भ्रष्ट-अनपढ़ ऐसे उछल रहे हैं जैसे वे भी जेपी-लोहिया की तरह स्टेनफोर्ड और बर्लिन यूनिवर्सिटी के स्कॉलर हों! ये लोग भारत के समाजवादी आंदोलन की विफलता के प्रतीक हैं, फ़्रॉड, हास्यास्पद और मज़ाक़ की वस्तु!
लालूजी के 15 साल बिहार गड्ढे में था। नीतीश जी के 15 साल की सीढ़ी से हम सतह तक ही आ पाए। अब आकाश की ऊंचाई इस जर्जर सीढ़ी से नहीं नपेगी। उसके लिए नॉलेज-विजन वाले रॉकेट लॉंचपैड की ज़रूरत है। बिहार को वह लॉंच, इकॉनॉमिक टेकऑफ़ सिर्फ़
@pushpampc13
दिला सकती हैं। बाक़ी लोग तो बउआ हैं।
आज समस्तीपुर में अपनी निर्माण-यात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं से संवाद हुआ। सभी अच्छे लोग पार्टी में हैं लेकिन आप सब को मज़बूत बनने की ज़रूरत है। सिर्फ़ शक्तिशाली ही जीतते हैं।
#ChooseProgress
जल्द?? केंद्र की किफ़ायती आवास योजना बिहार में 15 साल से फेल है और इनसे अगले 50 साल में भी नहीं होगा। उसके लिए अर्बन डेवलपमेंट की समझ चाहिए।
JNNURM आवास निर्माण (2005-2015) -
गुजरात - 107786
बिहार - 480
PM आवास योजना अनुदान (2014-2020) -
यूपी - 506752
बिहार - 93623
कावर झील का विकास अनपढ़ नेताओं से नहीं होगा। हमारी लीडर ने पिछले साल भी इसे ग्लोबल टूरिज़्म हॉट-स्पॉट बनाने का विजन रखा था। 40 साल में झील और जयमंगलागढ धरोहर का जो विनाश हो चुका है, अब हम ही इसका पुनरुद्धार कर सकते हैं।
#निर्माण_यात्रा
#ChooseProgress
@pushpampc13
जिन सीएम की पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की मामूली माँग तक नहीं मानी गई, वो क्या जातीय जनगणना जैसे भारी-भरकम पॉलिसी निर्णय को मनवा सकते! बाक़ी बचे रहने के लिए चरण-वंदन करते रहें!
#castecensus
निर्माण-यात्रा में सिवान से हमारे लोकप्रिय कैंडिडेट रहे डॉ. रामेश्वर जी का अभिनंदन। लोग उन्हें कहते थे कि डॉक्टर साहब आप कहाँ राजनीति की गंदगी में? मैंने कहा कि सोचिए, डॉ राजेंद्र बाबू और मजहरूल हक़ साहब के सिवान में यह प्रश्न बताता है कि राजनीति का स्तर सौ साल में कितना गिरा है।
जिस राज्य में आधे से ज़्यादा (52%) लोग गरीब हों, वहाँ ‘सुशासन’ बताना और वहाँ के सीएम को ‘बेमिसाल’ कहना क्रूर मज़ाक़ नहीं फूहड़ता और मानसिक दिवालियापन है।
1/4: अगर सरकार को अर्बन डेवलपमेंट न करना आता हो, नये शहर बना पायें, देश में सबसे कम शहरीकरण का धब्बा हो, तो बिहार जैसी सरकार विकास करने की जगह उसके पैमाने ही बदल देती है! बिहार सरकार इस जालसाज़ी को ही सुशासन का मास्टरस्ट्रोक कहेगी!
आज मधुबनी में अपनी निर्माण-यात्रा के दौरान कार्यकर्ताओं से संवाद हुआ। सबसे पहले अपने ताकतवर चरित्र का निर्माण कीजिए, तभी सुदृढ़ पार्टी और विकसित राज्य का निर्माण कर पाएँगे।
#ChooseProgress
जीवन में बहुत हादसे देखे हैं। पर समाज के लिए लड़ते बिपिन अग्रवाल जी की दुर्दांत और बेटे रोहित की मौत सा कोई नहीं। 14 वर्षीय रोहित माँ को कहता रहा कि मैं जल के मर जाऊँगा तो
@NitishKumar
घर पर आएँगे, न्याय करेंगे। वे न आए, आएँगे भी नहीं। ऐसी असहायता, ऐसी दु:आशा ईश्वर किसी को न दे।
“प्लुरल्स का उद्देश्य ही है एक नई राजनीतिक पीढ़ी का निर्माण कर उसके हाथ में शासन की बागडोर सौंपना, ताकि कॉंग्रेस-बीजेपी-लालू-नीतीश की भ्रष्ट, विभाजनकारी, जातिवादी राजनीति का नाश हो और सबका शासन हो।”
शराबबंदी (प्रोहिबिशन) से स्टेट जो पब्लिक गुड पाना चाहता है वह शराब के रेगुलेशन से भी प्राप्त हो जाता है - आर्थिक नुक़सान नहीं होता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन भी नहीं होता। यह बात पब्लिक पॉलिसी में 80 साल से स्थापित है। पर
@NitishKumar
अलग किताब पढ़ लिए। अब गलती कैसे मान लें!
जिनके परदादा, दादी, पिताजी पीएम रहे और महिलाओं को आगे नहीं बढ़ा सके और जिस पार्टी ने 33% महिला आरक्षण को शरद-लालू-मुलायम जैसे मर्दवादियों के साथ मिलकर लटकाए रखा, उनको यूरेका हुआ है कि लड़कियाँ लड़ भी सकती हैं! कांग्रेस को सस्ते रणनीतिकारों की जगह इतिहास के क्लास की ज़रूरत है।
बिहार की ‘विक्रम-बेताल राजनीति’ में नीतीश कुमार सबसे बड़े ‘बेताल’ हैं! अब अमित शाह जी बिहार आ रहे हैं तो वे अपनी पुरानी ‘आर्म ट्विस्टिंग’ रणनीति अपनाते हुए ‘भाई जैसे दोस्त’ के घर इफ़्तार ��ाने पहुँच गए।
उपराष्ट्रपति नहीं, राष्ट्रपति बनाओ नहीं तो मैं चला!
@NitishKumar
@AmitShah
नक़ली नेताओं की तरह देश में नक़ली बाबा और नक़ली कबीरपंथी भी हैं जो छठ पूजा की प्रामाणिकता पर अपनी मूर्खता प्रदर्शित कर रहे हैं। छठ पूजा प्राचीन भी है, धर्मसम्मत भी और प्रामाणिक हिंदू परंपरा भी। #छठ_पूजा_Reality
ज़हरीली शराब बन रही है। बिक रही है। लोग मर रहे हैं। और अफ़सर शोक-संतप्त परिवार से दस्तख़त लेते हैं कि मृतक ने शराब नहीं पी थी, बी��ारी थी। हरकाते भी है - “फटर-फटर करोगे तो जेल भेज देंगे”! वो अलग जंगलराज था, अब कमजोर नीतीश कुमार की अफ़सरशाही अलग जंगलराज बन गई है। #जहरीली_शराबबंदी
4/4: आपकी राजधानी पटना में आज तक ड्रेनेज-सीवरेज नहीं है, मुहल्लों की सड़कें बदहाल हैं, उसके लिए आप फंड का रोना रोते हैं, अब नये शहरों के लिए फंड कहाँ से आएगा? केंद्र की शहरी योजनाएँ आपसे लागू होंगी नहीं और ग्राम-पंचायत का फंड भी हाथ से गया! यही पॉलिसीमेकिंग है?
मैं फिर कहूँगा कि बिहार की शिक्षक नियुक्ति का स्वत:स्फूर्त आंदोलन आधुनिक लोकतंत्र में एक मिसाल है कि कैसे अभिव्यक्ति के नये माध्यमों का उपयोग कर सरकार पर दबाव दें और अपने अधिकार लें। एकदम निश्चिंत रहें, आप सबकी नियुक्ति होगी। बस मज़बूत रहें, एक रहें।
#7th_phase_1to8_march
यह मिथक है कि ‘विशेष दर्जा’ मिलने से राज्य का औद्योगीकरण होता है। सभी 11 ‘विशेष’ राज्य विफल रहे हैं। उल्टे गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे ‘सामान्य’ राज्य ही इंडस्ट्री पुलर हैं, रहेंगे। नीतीश जी की किचन कैबिनेट को इंडस्ट्री-इंवेस्टमेंट-टैक्सेशन मैकेनिज्म की बेसिक समझ नहीं है।
बिहार आर्थिक सर्वे 2021-22
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बिहार सरकार अपने कुल राजस्व का मात्र 24% खुद से जुटा पाती है। महाराष्ट्र 67%, गुजरात 56%, तमिलनाडु 62%, कर्नाटक 58%, केरल 56% हरियाणा 74%। कटु सत्य है पर सरकारों के नक्कारेपन के कारण बिहार देश पर आर्थिक बोझ है।
#BiharEconomicSurvey
पटना के स्लम ग़रीबों का घर तोड़कर उनको सड़क पर ला दिया गया है। फिर केंद्रीय बजट में घोषित 80 लाख घर किनको मिलेंगे? पटना में पिछले 45 साल में ग़रीबों के लिए 450 घर बने। आख़िर बिहार में केंद्र की सारी योजनाएँ फेल क्यों हो जाती हैं?
@NitishKumar
बिहार के “अंधेरे में”:-
“विवेक बघार डाला स्वार्थों के तेल में
आदर्श खा गये!
अब तक क्या किया,
जीवन क्या जिया,
ज़्यादा लिया और दिया बहुत-बहुत कम
मर गया देश, अरे जीवित रह गये तुम.."
(मुक्तिबोध)
@NitishKumar
अपनी आगामी राज्यव्यापी “निर्माण-यात्रा” के मद्देनज़र आज पार्टी के सभी वरीय अधिकारियों और ज़िला अध्यक्ष, ज़िला सचिवों को तैयारी संबंधी दिशा-निर्देश दिया।
@pluralsbharat
एक और ऐतिहासिक सड़क की बर्बादी! नीतीश कुमार को अर्बन प्लानिंग की ज़ीरो समझ है। जो काम क्वालिटी पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ट्रैफ़िक रेगुलेशन से होता, उसके लिए 15 साल में पटना के बेतरतीब फ्लाईओवरों में हज़ारों करोड़ फूंके गए। क्या यह नया फ्लाईओवर पटना मास्टर प्लान में है?
@NitishKumar
422 करोड़ रु० की लागत से बनने वाले गांधी मैदान से साइंस कॉलेज भाया पी०एम०सी०एच० डबल डेकर फ्लाईओवर का शिलान्यास किया और भूमि पूजन कर कार्यारंभ किया। अशोक राजपथ पर भीड़ को देखते हुए फ्लाईओवर का निर्माण जरूरी था। इसके निर्माण से लोगों को काफी सहूलियत होगी।
आज हिंदी दिवस है। संयोग था कि आज दिल्ली में 20 साल बाद हिन्दवी और हिन्दुस्तानी भाषा के जनक ‘तूती-ए-हिंद’ अमीर खुसरो साहब और उनके आध्यात्मिक गुरु निज़ामुद्दीन औलिया साहब के दरगाह पर सर झुकाने का मौक़ा मिला। भारतीय धर्म व संस्कृति में विद्वता और अध्यात्म के संयोग के दो बड़े दिग्गज।
उपचुनाव में बीजेपी की भारी हार और आरजेडी द्वारा चुराए गए उम्मीदवार के सहारे जीत ने साफ़ कर दिया कि ‘धर्म’ और ‘जाति’ में अकेले दम पर पूरे बिहार को जीतने का दम नहीं। पंजाब वाला ‘परिवर्तन’ ही वह रास्ता है जिस पर बिहार आगे चलेगा। बोचहां से बाहर रहने का प्रयोग सफल रहा।
@pluralsbharat
बिहार में बैंकों की पुरानी माँग है कि बैंक ब्रांचों को सुरक्षा दी जाय। राज्य सरकार का आश्वासन भी था कि बैंक सुरक्षा के लिए एक डेडिकेडेट फ़ोर्स का गठन होगा। पर वर्षों से इस पर सिर्फ़ बातें हुई हैं।
ऐसे ही बिहार में बैंकिंग सेवाओं की हालत लचर है। इन घटनाओं से और बहाने मिलते हैं।
अशोक राजपथ पर प्रस्तावित फ़्लाईओवर अवैध है। मा. न्यायालयों और नेशनल ग्रीन ट्रायब्यूनल का स्पष्ट निर्देश है कि गंगा घाट से 200-500 मीटर तक निर्माण कार्य प्रतिबंधित है। केंद्र सरकार ने बारम्बार राज्यों को अनुपालन के लिए कहा है। फिर आप फ़्लाईओवर कैसे बना देंगे?
@NitishKumar
कार्यकर्ताओं से - आज फिर हार हुई है। हार एक प्रक्रिया का हिस्सा है। उसका हमें विश्लेषण करके आगे बढ़ना होता है, हार के कारणों को दूर कर जीतने के लिए। हमें शुरू से पता है कि राजनीति बहुत कठिन है इस देश में, पर असंभव नहीं। समय हमारे साथ है। डटे रहें। न दैन्यं, न पलायनम्।
ये सरकारें नौकरी दे ही नहीं सकती। वादा अलग बात है, वेतन अलग। सबको पता है। पीएम ने भी कहा कि प्राईवेटाईजेशन हो। सीएम भी जानते हैं कि जितने कर्मचारी हैं उतना वेतन देना भी मुश्किल।
सरकार और विपक्ष की दिक़्क़त यह है कि वे नौकरी का जुमला देते हैं लेकिन पैसे कैसे आएँगे वो विजन नहीं!
बिहार के अभ्यर्थी सोचते हैं कि आख़िर ऐसा क्या है कि परीक्षा लेकर भी सरकार नियुक्ति नहीं देती?
परीक्षा का भ्रम बना काम दिखाना नाटक है जबकि नियुक्ति न देना सच्चाई क्योंकि सरकार में वेतन के पैसे नहीं, ख़ज़ाना ख़ाली, आय होती नहीं!
मैं ग़लत हूँ तो बताइए सीएम साहब!
@NitishKumar
मैंने पहले भी कहा है कि नीतीश कुमार ने अपनी जातिवादी राजनीति को तुष्ट करने के लिए ‘अशोक अष्टमी’ को सम्राट अशोक की राजकीय जयंती मनाने की शुरुआत की। यह धर्म के मज़ाक़, इतिहास की नासमझी और सम्राट के अपमान का मामला है।
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अपनी मातृभाषा पर गर्व कीजिए पर हिन्दी को नीचा दिखाने का दंभ अच्छा नहीं है। हिन्दी को उसे बोलने वाले अनपढ़ नेताओं ने कमजोर किया है, वरना एक सरकारी नौकर की यह हिम्मत होती कि हिन्दी-भाषी बिहार में आए और ऐंठ कर बोल जाए कि “आई डोंट नो हिन्दी”? बिना आगे-पीछे सॉरी बोले?
दूसरी पार्टियों के विधायक इतने दिन से हर पंचायत में पैसा बाँट रहे और पुलिस सुरक्षा लेकर घूम रहे, वो पकड़ने की हिम्मत नहीं लेकिन हमारे कार्यकर्ता रात में गाड़ी से घर भी जाएँ तो उन्हें बीच सड़क पर उतारकर गाड़ी ज़ब्त! लोकतंत्र है, थोड़ी हिम्मत पैदा कीजिए जनाब।
@MungerDm
@CEOBihar
उनमें अंबेडकर की तरह बौद्धिक क्षमता भी है और गांधी की तरह जनसंवाद की राजनीतिक कुशलता भी। सुभाष बोस की तरह साहस और भाषण का ओज तो उनमें है ही। पुष्पम प्रिया चौधरी का मुक़ाबला इतिहास से है और जो इतिहास जानते हैं वे एक नया राजनीतिक इतिहास बनते देख रहे हैं।
पिछले 3 साल में पटना को साफ-सुंदर करने में सबसे बड़ा योगदान सफ़ाई मज़दूरों का रहा है, तमाम मुश्किलों और बिचौलियों के शोषण के बावजूद। जिन मज़दूरों ने 10-20-30 साल तक शहर की सेवा की है, उनको एक सम्मानजनक वेतन और नौकरी का स्थायित्व देकर ही हम उनका क़र्ज़ चुका सकते हैं।
@cityofpatna
आज पटना में लगभग एक दशक से बन रहे कुछेक सौ मीटर के एक और फ्लाईओवर का उद्घाटन हो रहा है। अब जनता के सौ करोड़ से ज़्यादा खर्च हुए हैं तो कुछ तो लाभ होगा ही।
लेकिन दूसरों को नियम सिखाने वाले सीएम बताएँगे कि क्या पटना के ये सभी बेतरतीब फ्लाईओवर पटना मास्टर प्लान से स्वीकृत हैं?
विवेकानंद कहते थे कि अगर उन्हें सौ युवा शेर मिल जाएँ तो वे भारत की तस्वीर बदल दें। आज पूर्णिया के एक शेर सिद्धार्थ से मुलाक़ात हुई - रेणु, प्रेमचंद और यशपाल के उपन्यासों का एक आदर्शवादी युवा जैसे सामने आ खड़ा हुआ हो! बदलाव संभव है!
एक बंधु ने सही कहा कि यहां बैंक भी क़र्ज़ नहीं देते। देखिए, बिहार का क्रेडिट-डेबिट रेश्यो 44% ही है। मतलब आपने ₹100 बैंक में रखा तो ₹56 बैंक बाहर क़र्ज़ दे देते हैं, बिहार में ₹44 ही। तभी कई राज्य में सीडी रेश्यो 100% से ऊपर है। वहाँ आपकी, बिहार की 55% सेविंग धंधे में लगी है।
दिन पर सभ्य तरीक़े से रेलवे में नौकरी का मुद्दा उठाया गया जैसे आधुनिक लोकतंत्र में होना चाहिए। पूरे विश्व को पता चला पर भारतीय लोकतंत्र के स्तंभों - विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, मीडिया - को सोशल मीडिया पर सभ्य आवाज़ कोई गॉसिप लगती है।
#JusticeForRailwayStudents
धर्म की स्थापना, न्याय के अभ्युत्थान, सरल मनुष्यों के परित्राण और दुराचारियों के विनाश के ईश्वरीय निर्देश के निर्वहन हेतु आपका शौर्य और नेतृत्व हमेशा देदीप्यमान रहे। प्लुरल्स अध्यक्ष और हमारी यशस्वी नेता पुष्पम प्रिया चौधरी जी को जन्मदिवस की अपरिमित शुभकामनाएँ।
@pushpampc13
🙏
गोदी मीडिया के विपरीत एक ढोंगी मीडिया है जो खुद को लिबरल कहता है। भले उसे लिबर्टी का L न पता हो। एक विचारधारा के विरोध को उसने भ्रष्टाचार से ट्रेड ऑफ़ कर दिया है। दुनियाँ का कौन लिबरल होगा जो लालू-नीतीश और परिवारवाद का महिमामंडन करेगा? अम्बेडकर-जेपी जैसे लोग तो माथा पीट लेते।
सम्राट अशोक के सामने झुके इस बौने व्यक्ति ने ‘देवों के प्रिय’ की जाति और जन्म-तिथि का प्रमाण-पत्र जारी कर दिया है। अब अजातशत्रु, चाणक्य, पुष्यमित्र, कनिष्क, समुद्रगुप्त, आर्यभट और धर्मपाल आदि की ‘जन्म-तिथि’ और ‘जाति’ भी खोजी जाएगी। वे सम्राट ऐसे ही ठग नंदों का गला काट देते थे।
बारी-बारी से सभी राज्यों के IAS एसोसिएशन स्वर्गीय जी. कृष्णैया साहब की हत्या के मामले में क़ैदी की रिहाई पर आपत्ति दर्ज कर रहे हैं। बिहार के एसोसिएशन में चुप्पी क्यों? लाखों बिहारी युवा जो IAS बनने का सपना देखते हैं, उनके सामने कैसी मिसाल रखी जा रही है?
@IASassociation
मेरी माँ और दादी दोनों स्कूल टीचर थीं। तब तो ‘मास्टर साहब’ और ‘मास्टरनी जी’ का थोड़ा सम्मान भी था। हमारे ज़िला स्कूल सहरसा में तो शिक्षकों की larger than life छवि हुआ करती थी। आज के शिक्षक और शिक्षिकाओं को वैसा सम्मान कहाँ नसीब है! कह सकते हैं कि बिहार के पतन का इतिहास शिक्षकों
नीतीश जी तर्क देंगे कि ‘विशेष दर्जा’ से बिहार ‘टैक्स हॉलीडे’ डेस्टिनेशन होगा और ‘बिग टिकट’ इंडस्ट्री आएगी। ऐसा नहीं होता। यह सिर्फ़ पहले से विकसित गुजरात-महाराष्ट्र के आस-पास औद्योगिक संकुलों में ही हुआ। बाक़ी पिछड़े जगह ‘टैक्स फ़्रॉड’ का अड्डा बन जाते हैं, न प्रोडक्शन न जॉब।
नीतीश कुमार जब कुतर्क करते हैं तो उनकी आदत है कि वे नर्वस होकर हँसते हैं और उनके अग़ल-बग़ल के लोग साथ देते हैं। मगर स्वर्गीय जी. कृष्णैया साहब की हत्या हँसने वाला मसला नहीं है।
अब कुतर्क का जवाब -
1. कानूनी जवाब - जब सरकारी कर्मचारी और आम आदमी की हत्या में अंतर नहीं है और सभी
पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर सीएम नीतीश कुमार ने तोड़ी चुप्पी, कहा: सिर्फ एक आदमी के बारे में सवाल कर रहे हैं, यह आश्चर्य की बात है। उन्होंने आगे कहा कि इस बारे में मुख्य सचिव कल ही बयान दे चुके हैं। सुनिए नीतीश की तमाम मामले पर सफाई, सुनिए।
#NitishKumar
#AnandMohan
भगत सिंह का कम्यूनिज्म इस देश में उसी दिन समाप्त हो गया जब नक़ली कम्यूनिस्ट सत्ता की भूख में बुर्जुआ, प्रतिक्रियावादी और भ्रष्ट कांग्रेस और जातिवादी वंशवादी दलों से जा मिले।
बिहार आर्थिक सर्वे 2021-22
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बिहार की प्रति व्यक्ति आय देश में न्यूनतम है। देश के औसत से एक-तिहाई। जो रफ़्तार है उससे अगले 100 वर्षों में भी बिहार राष्ट्रीय औसत के बराबर नहीं होगा, नंबर एक तो कभी नहीं।
#BiharEconomicSurvey
2/4: 73 साल में नियमानुसार 81 नगर पंचायत बने और अब अचानक 103 नये बन गए! क्योंकि 75% ग़ैर-कृषि जनसंख्या के नियम को 50% कर दिया गया। मतलब सरकारी नाकामी से इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट न होने से शहर न बनें तो गाँव को ही शहर बता दीजिए! अब रातों-रात बिहार का शहरी विकास 11% से 20% हो गया है!
क्या इस देश के पदाधिकारियों को इस अन्याय पर विरोध दर्ज नहीं करना चाहिए? क्या स्वर्गीय जी. कृष्णैया के लिए इतना भी नहीं करेंगे? या एक IAS की जान इतनी सस्ती है कि कोई ले ले और उसे रियायत मिल जाए? यह मनोबल तोड़ने वाला ही नहीं बल्कि ग़लत है। और जो ग़लत है सो ग़लत है।
@IASassociation
Every city of Bihar is, as we call in urban studies, a DEAD CITY. These cities have become a classic case of Urban Decay.
It’s time to stop blaming poor municipalities. It is the incompetent State Govt. that needs to learn the ABCD of urban governance and policymaking.
प्लुरल्स पार्टी अध्यक्ष और हम सब की नेता पुष्पम प्रिया चौधरी जी को जन्मदिन की बहुत शुभकामना। आपके साथ जन्मदिन साझा करना हमारा सौभाग्य है। आपके नेतृत्व में लड़ेंगे, जीतेंगे और बदलेंगे।
@pushpampc13
2012 में ही, जब मैं बिहार हाउसिंग बोर्ड का एमडी हुआ करता था, दीघा अर्जित भूमि बंदोबस्ती नियम हमने बनाया था, बड़ी मुश्किल से। मामला 30 साल पुराना था, लंबित था। दो साल तक काफ़ी उच्च स्तर पर विमर्श के बाद वह 2014 में कैबिनेट से भी स्वीकृत हुआ।
“आप जीवन-भर भी सेवा करते रहें तो भी कुछेक सैंकड़ों-हज़ारों लोगों की ज़िंदगी कुछ समय के लिए बदल पाएँगे। लेकिन अगर आप अच्छी राजनीति कर शक्ति प्राप्त कर लें तो आप करोड़ों लोगों का जीवन 5-10 साल में हमेशा के लिए बदल सकते हैं। सवाल अच्छे और शक्तिशाली होने का है।” #निर्माण_यात्रा
सूचनार्थ: बिहार सरकार में पूर्व विशेष सचिव, मुख्यमंत्री सचिवालय-सह-पूर्व नगर आयुक्त, पटना नगर निगम के रूप में आज दिनांक 01.09.2020 को दोपहर 2 बजे कौटिल्य हॉल, होटल मौर्या, पटना में मैंने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस का आयोजन किया है।
प्रोहिबिशन का स्टेट पर सोशल-इकॉनॉमिक बर्डन इतना होता है कि उसे हटाना ही होगा। रूज़वेल्ट ने अमेरिका में 1933 में हटाया, चंद्रबाबू नायडू ने आंध्रा में 1997 में।
मॉडर्न डेमोक्रेसी सनक से नहीं, रिसर्च-स्टडी से चलती है। दुनियाँ सीख के सुधर चुकी, हम जितनी जल्दी सीखेंगे, आगे बढ़ेंगे।
प्रोहिबिशन ग़लत पॉलिसीमेकिंग थी। हज़ारों रिसर्च हैं कि अल्कोहल-रेगुलेशन से क्राईम में ज़्यादा कमी आती है, बैन की अपेक्षा।
गरीबी-बेरोज़गारी से जूझता बिहार प्रतिवर्ष ₹10,000 करोड़ टैक्स गँवा रहा। इतने में आप 5 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी दे देते, 25 लाख बेहतर ज़िंदगी!
@NitishKumar
नीतीश जी और उनकी पूरी सरकार देहाती मानसिकता और बैलगाड़ी युग की है। उनको शहरीकरण और तेज रफ़्तार विकास समझ में नहीं आता। यह तो डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन (‘गाड़ी वाला आया चल कचरा निकाल’) और रोड स्वीपिंग मशीन का कमाल है कि रैंकिंग 1000 के पास है, वरना पटना भी 3000 के बाहर होता।
स्वच्छता सर्वेक्षण के 4000 से अधिक शहरों में तीन साल पहले तक पटना 300वें स्थान पर था। आज यह 945वें स्थान पर पहुँच गया है। और बिहार सबसे गंदा राज्य। धन्यवाद नीतीश जी हमें लगातार नर्क में ढकेलने के लिए!
@NitishKumar
नवादा के निर्माण-यात्रा कार्यक्रम में बिहार इंटर आर्ट्स 2020 के सेकंड टॉपर मुकेश व उनकी मेहनती माँ को सम्मानित करने का अवसर मिला। मुकेश प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते हैं। हमारी शुभकामनाएँ व सहयोग उनके साथ है।
3/4: अब गाँव की कृषि भूमि के रियल एस्टेट में परिवर्तन के लूट-पाट का खेल भी शुरू होगा और नये शहरों को न तो ग्राम-पंचायत के फंड का लाभ मिलेगा और न तो कंगाल नगर-पंचायत होने से खेती, उद्योग और ट्रेड का कुछ लाभ होगा! और अब बिना शहरी सुविधाओं के शहरी होने का टैक्स देना पड़ेगा सो अलग!
8 मार्च 2020 को आपने ऐसी राजनीति की शुरुआत की जिससे राजनीति के प्रतिमान और उपकरण दोनों बदल गए। वह राजनीति जो सबकी थी, सबके लिए थी, सबके द्वारा थी। राजनीति अचानक से सुलभ लगने लगी, सर्वत्र नज़र आने लगी।
@pushpampc13
#सबकाशासन