दिन की रोशनी ख्वाबों को बनाने में गुजर गई,
रात की नींद बच्चों को सुलाने में गुजर गई,,
जिस घर में मेरे नाम की तख्ती भी नहीं,
मेरी सारी उम्र उस घर को सजाने में गुजर गई,,!!
बिना वजह घर से निकलने की जरूरत क्या है,
मौत से आंख मिलाने की जरूरत क्या है,,
सब को मालूम है बाहर की हवा कातिल है,
यूं ही कातिल से उलझने की जरूरत क्या है,,!