जिस्म के साथ जितने साए हैं,
जानिए सब के सब पराए हैं...
ग़म के दो चार आहनी लम्हे,
हमने ता-ज़िंदगी उठाए हैं...
हम हैं अहसान इस ज़माने पर,
जब बुलाए गए तब आए हैं...
तुझको होना था और नहीं है तू,
हम नहीं होने के बजाए है...
कोई वादा नहीं किया फिर भी,
हमने वादे सभी निभाए हैं...