प्रीती उसी से करना चाहिए जो अपने समान आचार-विचार वाला शुद्ध हदय मे कपट ना हो, विश्वासी और गंभीर (सत्य पर अटल) हो। यदि कभी भूलवश किसी प्रकार का अनुचित व्यवहार भी हो जाये तो वह उचित गुण को ही अपने हृदय में स्थान दे।
#SatlokAshramMundka
#KabirIsGod
यति पुरूष उसको कहते हैं जो अपनी स्त्री के अतिरिक्त अन्य स्त्री में पति-पत्नी वाला भाव न रखें। परस्त्री को आयु अनुसार माता, बहन या बेटी के भाव से जानें।
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#KabirisGod
माता-पिता, भाई-पत्नी आदि-आदि परिजन अपने-अपने मतलब की बातें सोचते हैं। पूर्व जन्मों के कारण परिवार रूप में जुड़े हैं। जिस-जिसका समय पूरा हो जाएगा, संस्कार समाप्त होता जाएगा, वह तुरंत परिवार छोड़कर चला जाएगा।
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परमात्मा कबीर जी ने स्पष्ट किया है कि उपरोक्त तथा अन्य शास्त्रविरूद्ध पाखण्ड पूजा को त्यागकर पूर्ण सतगुरु से सच्चे नाम का जाप प्राप्त करके श्रद्धा से भक्ति करके भक्तजन पार हो जाते हैं। उनके परिवार के सर्व सदस्य भी भक्ति करके कल्याण को प्राप्त हो जाते हैं ।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि ऐसा सच्चा होने से कोई लाभ नहीं, जो सद्गुरु के सत्य-नाम के ज्ञान को नहीं जानता, तो कुछ नहीं जानता। जो सत्य-आचरण की साधना से सत्य का दर्शन करता है, वह सत्य में ही समा जाता है!
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि बुरा काम करके सुख की चाह करना, बिल्कुल निरर्थक है। बबूल का वृक्ष लगाकर, उस पर आम जैसा मीठा फल कैसे मिल सकता है ?
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#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि इस संसार में अधिकतर लोग सत्य के महत्त्व को न जानकर, सत्य में विश्वास नहीं करते और लोग झूठ में ही विश्वास करते हैं। जैसे दूध-दही तो गली-गली में घूमकर बेचना पड़ता है, परंतु मदिरा तो दुकान पर बैठे-बैठे ही बिक जाती है।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
सती स्त्री उसको कहते हैं जो अपने पति से लगाव रखे। अपने पति के अतिरिक्त संसार के अन्य पुरुषों को आयु अनुसार पिता, भाई तथा पुत्र के भाव से देखे यानि बरते। अपने पति की आज्ञा में रहे। मन-तन से सेवा करे, कोई कार्य पति के विपरीत न करे।
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अपने छोटे-बड़े बच्चों को भी सत्संग में साथ लाने से, बच्चों में भी छोटे-बड़ों की सेवा करने, अच्छा व्यवहार करने के संस्कार आते हैं।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि हे साधु-संतो ! सुनो। जिस प्रकार भी गुरु से श्रद्धा-प्रीत हो, वही उपाय करो, क्योंकि जीवन के परम उद्देश्य आत्मबोध का यही उपाय है!
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#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि जिसमें दीनता, विनम्रता और सेवा-समर्पण की भावना होती है और जो साधु-संतों की शरण में रहने का अभिलाषी होता है, उसके साथ मैं इस प्रकार रहता हूं, जैसे पानी के साथ मछली रहती है।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि इस संसार में अधिकतर लोग सत्य के महत्त्व को न जानकर, सत्य में विश्वास नहीं करते और लोग झूठ में ही विश्वास करते हैं। जैसे दूध-दही तो गली-गली में घूमकर बेचना पड़ता है, परंतु मदिरा तो दुकान पर बैठे-बैठे ही बिक जाती है।
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कबीर परमेश्वर जी कहते है जब नीच व्यक्ति की सत्य की परीक्षा होती है तो वह सत्य के वचनो को भी बुरा मानता है जिससे उसका खुद का भला होगा। जैसे पहले गोबर और गार से लोग कच्ची भित्त बनाते थे। उस भित्त को कितना ही धोए, वह उतना ही कीचड पैदा करती है।
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#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि खाते हुए हाथी के मुख से यदि अन्न का एक कण गिर गया, तो इससे उसके आहार में किसी प्रकार की कमी नहीं आई, परंतु उस कण को लेकर चींटी चली गई। उससे उसने अपने परिवार का पोषण किया, दया भाव द्वारा जीवों की सहायता करने से कोई कमी नहीं आती।
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मन को मृतक (शांत) देखकर यह विश्वास न करो कि वह अब धोखा नहीं देगा 1 असावधान होने पर वह पुनः चंचल हों सकता है इसलिए विवेकी सन्त मन में तब तक भय रखते हैं, जब तक शरीर में श्वास चलता है।
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#KabirisGod
#अविनाशी_परमात्मा_कबीर
#SatlokAshramMundka
चारों युग में परमात्मा आते हैं, सतयुग में सतसुकृत नाम से, त्रेतायुग में मुनिन्द्र नाम से, द्वापर युग में करुणामय नाम से तथा कलयुग में वास्तविक कविर्देव (कबीर प्रभु) नाम से प्रकट हुए है।
कबीर परमेश्वर जी कहते है विद्वान ज्ञान के रहस्य को नही समझ पाया। जिस कारण वह भगवान से ज्ञान प्राप्त करके अहंकार में पड़कर खुद को ही सर्वोच्च और कर्ता मानता है, वह कहीं का नहीं रहता। उससे तो वह संसारी आदमी बेहतर है, जिसके मन में भगवान का डर तो है।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि बड़ा वही है, जिसका स्वभाव अच्छा होता है। बडा स्वभाव उसी का होता है जिसमें विनम्रता, विनय, निराभिमान, सेवा भाव तथा सबके प्रति प्रेम-आदर आदि सदगुण होते हैं। जाति-वर्ण-कुल, धन-दौलत आदि से कोई बड़ा नहीं होता।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं परिश्रम से ही सब काम सफल व बिगड़े काम भी सुधर जाते हैं, लेकिन इसके लिए आवश्यक है कि मन में धैर्य रखें।
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#KabirisGod
#धरती_को_स्वर्ग_बनाना_है
पुस्तक "जीने की राह" संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा लिखी गयी है। यदि इस पुस्तक को देश के विद्यालयों, विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम में एक विषय लगाया जाए तो समाज में फैली प्रत्येक बुराई समाप्त हो जाएगी।
#SatlokAshramMundka
कबीर साहेब जी कहते हैं कि निम्न श्रेणी के विनम्र स्वभाव वाले लोग संतों के श्री चरणों में समर्पित होकर, इस भव-सागर को तैरकर पार कर गए यानी मुक्ति पा गए, परंतु जाति के अभिमानी और बहुत ऊंचे कुल वाले अज्ञानता से इसमें डूब गए और जन्म-मरण के बंधन में पड़ गए।
#satlokashrammundka
कबीर परमेश्वर जी कहते है बहते हुए को मत बहने दो, हाथ पकड़ कर उसको सत्य से परिचित कराकर भवसागर से निकलने का मार्ग बताओ। यदि वह कहा-सुना न माने, तो भी कठोर सत्य निर्णय के दो वचन और सुना दो। ताकि संसार जब वह धोखा खाये तो आपका बताया सत्य याद आये।
#SatlokAshramMundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि हमारे ऊपर सद्गुरु की महान कृपा हुई कि उन्होंने हमें सत्य ज्ञान का ���पदेश दिया और हमने उसको हृदय से ग्रहण कर लिया। पहले हम कांच के समान असत्य को ही धारण किए हुए थे, परन्तु अब सत्य के कारण स्वर्ण के समान हो गए हैं।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या में संत रामपाल जी महाराज के पावन सानिध्य में सतलोक आश्रम द्वारा अलौकिक भंडारे का आयोजन किया जा रहा है।
#संतरामपालजी_का_अयोध्याभंडारा
#SatlokAshramMundka
कबीर साहेब जी कहते हैं कि चंदन के वृक्ष में आग लग गई। उस पर एक तीतर आकर बैठ गया, तब वृक्ष ने कहा कि हम तो इसलिए जलते हैं कि हमारे पास पंख नहीं हैं, परंतु तुम्हारे पास तो पंख हैं। तुम तो उड़ सकते हो, फिर भला यहां बैठे हुए क्यों जलते हो?
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर परमेश्वर ने ही सर्वप्रथम बताया कि मनुष्य जीवन में गुरु का होना अति आवश्यक है, सतगुरु की शरण के बिना मोक्ष संभव नहीं है।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी के अनुसार ग्रेट शायरन है संत रामपाल जी महाराज
उन्हीं संत के बोध दिवस पर 17-20 फरवरी को 10 सतलोक आश्रमों में विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है जिसमें पूरा विश्व आमंत्रित है।
2Days Left For Bodh Diwas
#Bhandara_Invitation_To_World
#SatlokAshramMundka
कबीर साहेब जी कहते हैं कि पत्थर लेकर मंदिर बनवाया और उसमें लाकर पत्थर की विशाल मूर्ति स्थापित कर दी। कुछ समय बाद वह पराधीन जड़-मूर्ति स्वयं ही एक दिन टूटकर मिट्टी में मिल गई, फिर भला वह किसी को क्या तारेगी?
#satlokashrammundka
#KabirisGod
पुत्रवधु को चाहिए कि नए घर की परिस्थितियों के अनुसार अपने को ढ़ाले। माँ के घर वाले बर्ताव को कम प्रयोग करे। अब पुत्रवधु का घर-परिवार यही (ससुराल) है।
#SatlokAshramMundka
#KabirIsGod
कर्मानुसार जैसा अपना भाग्य बना है, वह मिट नहीं सकता, अतः इससे निश्चित रहना चाहिए। सदगुरु की शरण में जाकर, परमात्मा के नाम-ज्ञान का ध्यान-भजन कर, नित्य ही दया-धर्म के सतमार्ग पर चलना चाहिए।
#SatlokAshramMundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि इस संसार में सत्य का पालन करने के समान दूसरी कोई तप-साधना नहीं है और झूठ के समान कोई पाप नहीं है। जिसके हृदय में सत्य भाव स्थत है, वहां सत्य-स्वरूप परमात्मा स्वयं विराजमान रहते हैं!
#SatlokAshramMundka
#KabirisGod
कबीर परमेश्वर जी कहते है साधु शब्द ही नही बलक ज्ञान रूपी समुद्र के समान हैं जिसमे सद्गुणों के रत्न भरे हुए है परन्तु अज्ञानी लोग ऐसे सन्तों के मिलने पर भी मुट्ठी भर कंकर ही ले जा पाते है अर्थात् उनका समय संतों के बुराइयों को खोजने में व्यर्थ चला जाता है।
#satlokashrammundka
कबीर परमेश्वर जी कहते हैं कि जब गुण को परखने वाला ग्राहक मिल जाता है तो गुण की कीमत होती है। पर जब ऐसा ग्राहक नहीं मिलता, तब गुण कौड़ी के भाव चला जाता है।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि चाहे आकाश-पाताल में चले जाओ, ब्रह्मांड फोड़कर ही क्यों न निकल जाओ, शरीर धारण करने का दंड तो अवश्य ही भोगना पड़ेगा।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
जब पृथ्वी पर पापियों का एक छत्र साम्राज्य हो जाता है तब भगवान पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। वर्तमान में परमात्मा संत रामपाल जी महाराज के रूप में अवतरित हुए हैं जिनका 17 फरवरी को बोध दिवस है।
7Days Left For Bodh Diwas
#TheMission_Of_SantRampalJi
#SatlokAshramMundka
कबीर परमेश्वर जी कहते है प्रीती उसी से करना चाहिए जो अपने समान आचार-विचार वाला शुद्ध हृदय मे कपट ना हो, विश्वासी और गंभीर (सत्य पर अटल) हो। यदि कभी भूलवश किसी प्रकार का अनुचित व्यवहार भी हो जाये तो वह उचित गुण को ही अपने हृदय में स्थान दे!
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं चाहे करोड़ों चंद्रमा उदित हो जाएं चाहे हजारों-करोड़ों सूर्य उदय होकर चमकने लगे, परंतु अज्ञान रूपी अंधकार गुरु के ज्ञान के बिना नष्ट नहीं हो सकता।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि जो स्त्री परदे में रहती है और सद्गुरु के दर्शन कर उनके श्रीमुख से निकले ज्ञानोपदेश को नहीं सुनती, वह भविष्य में कूकरी (पशु योनि) होगी और नंगे बदन घूमती फिरेगी!
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि गुरु साक्षात् नारायण का ही रूप है। गुरु ज्ञान के सागर का घाट है, जहां पर मैले चित्त को धोया जाता है। ऐसे सद्गुरु के वचन-वाणी की शक्ति से मन के सब विकार दूर हो जाते हैं!
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि आकाश की निर्मल जल की बूंद पृथ्वी पर पडते ही गन्दी हो गई। इसी प्रकार मानव भी सत्संगति के अभाव मे भट्ठी की राख सदृश है और समूल नष्ट हो जाता है।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
गुरूदेव जी बताते हैं कि जो सेवा-भक्ति करेगा, उसी को फल मिलेगा। मैं भोजन खाऊँगा तो मेरा पेट भरेगा। आप खाओगे तो आपका पेट भरेगा। सब प्राणी परमात्मा के बच्चे हैं। आप धनी के बच्चे समझकर सेवा करो।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
परमेश्वर कबीर जी ने साधक को समझाने के लिए स्वयं भक्त का अभिनय करके समझाया है कि भक्त को ऐसे विनम्र भाव से विनय करनी चाहिए, तब परमात्मा (मैं कबीर जी) प्रसन्न होता है। अपने को अज्ञानी मानें, परमात्मा तो विज्ञानी है ही, जीव को अभिमान नहीं होना चाहिए।
#SatlokAahramMundka
#KabirlsGod
कबीर साहेब जी कहते हैं चाहे करोड़ों चंद्रमा उदित हो जाएं चाहे हजारों-करोड़ों सूर्य उदय होकर चमकने लगे, परंतु अज्ञान रूपी अंधकार गुरु के ज्ञान के बिना नष्ट नहीं हो सकता।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि जिनके हृदय में दया की भावना नहीं है, अर्थात प्राणियों के प्रति सेवा-उपकार की भावना नहीं है और वे सीमा से अधिक ज्ञान का व्याख्यान करते रहते हैं, ऐसे मनुष्य केवल साखी-शबदों को सुन-सुनकर भी भयंकर दुःख रूपी नरक में जाएंगे।
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#KabirisGod
#आँखों_देखा_भगवान_को सुनो उस अमृतज्ञान को
"हज़रत मुहम्मद जी को मिले परमात्मा"
कबीर साहेब हजरत मुहम्मद जी को सतलोक लेकर गए, सर्व लोकों की स्थिति से परिचय करवाया। किन्तु हज़रत मुहम्मद जी ने मान-बड़ाई के कारण कबीर साहेब का ज्ञान स्वीकार नहीं किया था।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि यदि मैं सत्य वचन कहता हूं तो लोग मारने दौड़ते हैं और झूठ में विश्वास करते हैं। यह संसार तो फाड़ खाने वाली कुतिया के समान है, जो इसे छेड़ता है, यह उसे ही काट खाती है।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
नवरात्रि पर 9 दिन श्रद्धालु माता को खुश करने के लिए व्रत रखते हैं अर्थात भूखे रहते हैं, लेकिन ज़रा विचार कीजिये बच्चे भूखे रहेंगे तो क्या माँ खुश हो सकती है?
#माँ_को_खुश_करनेकेलिए पढ़ें ज्ञान गंगा।
इस नवरात्रि इस गूढ़ रहस्य जानने के लिए अवश्य देखें साधना चैनल शाम 07:30 बजे।
कबीर परमेश्वर जी कहते है बादल पत्थर के ऊपर झिरमिर करके बरसने लगे। इससे मिट्टी तो भीग कर सजल हो गई किन्तु पत्थर वैसा का वैसा बना रहा। अर्थात अहंकारी आत्मा पर सत्संग का असर नही होता है।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
काल लोक के अस्थाई सुख तथा संतान, संपत्ति की आशा में तथा अच्छे पदार्थ खाने-पीने की तृष्णा (प्यास) में तीनों लोकों के प्राणी डूबे हैं!
#satlokashrammundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि यह अज्ञानी जीव मिथ्या विषय पदार्थों के मोह-रूपी लोह-बंधन में ऐसा जकड़ा हुआ है कि अनेक उपदेशक रूपी लोहार उपदेश देकर थक गए, परंतु माया-मोह की लोह-फांसी से मुक्ति नहीं मिली।
#satlokashrammundka
#KabirisGod
इस संसार में स्वर्ण के समान तो केवल अंतर्यामी परमात्मा का ध्यान-भजन ही है और बाकी सब कांच के समान निर्थक है। कबीर साहेब जी कहते हैं कि इस संसार के सभी मिथ्या मोह-जंजाल, आडंबर आदि को छोड़कर केवल सत्य को धारण करो।
#SatlokAshramMundka
#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि जो लोक-लाज के कारण सत्य नहीं बोलता, उसने तो जान-बूझकर सत्य रुपी कंचन को त्याग कर, असत्य रुपी कांच को क्यों पकड़ लिया है अर्थात दूसरों की देखा-देखी कभी भी सत्य को नहीं छोड़ना चाहिए!
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#KabirisGod
कबीर सांसारिक मोह के कर्म का मुहं काला करके आदर-मान को भी आग लगा देनी चाहिए। व्यर्थ की लोभ-बड़ाई को छोड़कर, सद्गुरु के ज्ञानोपदेश का ही राग प्रेम से अलापना चाहिए।
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#KabirisGod
कबीर साहेब जी कहते हैं कि इस जगत में तेरी अपनी बुराइयों के अतिरिक्त अन्य कोई भी तेरा शत्रु नहीं है तू अपनी इन सभी बुराइयों को मिटा दे, तो फिर गली-गली में कहीं भी मुक्त रूप से विचरण कर, तुझे कोई नहीं रोकेगा। फिर तेरी अच्छाइयां ही तेरी मित्र होंगी।
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#KabirisGod
जिसे प्राणी को निश्चित रूप से भोगना ही पड़ता है, उस प्रारब्ध की रचना उसके अपने शरीर-निर्माण से पहले ही हुई है। कबीर साहेब जी कहते हैं कि यही आश्चर्य है कि यह सब जानकर भी मन का धैर्य नहीं बंधता।
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Saint Rampal Ji Maharaj is the greatest spritual leader who has told the Right Way of Worship about Real God Kabir with Proof From all holy Scriptures.
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कबीर परमेश्वर जी कहते हैं कि भक्ति (दानवीर, सेवादार) करने वाले सुरवीर बहुत हैं लेकिन भगवान को पाने के लिए घायल (भगवान का पागल प्रेमी) कोई नहीं देखा। अगर ऐसे दो पागल प्रेमी मिल जाते हैं भगवान को पाना आसान हो जाता है।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि हिन्दु-मुसलमान अपने-अपने मन में प्रसन्न हुए फिरते हैं और कहते हैं कि हम धर्म-पुण्य करते हैं, परंतु मिथ्या आडंबर या हिंसादि कर्मों से करोड़ों अधर्म इनके सिर पर चढ़े हुए हैं, फिर भी ये सावधान होकर धर्म के वास्तविक मर्म को नहीं समझते।
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कबीर साहेब जी कहते यह जीव जहां-जहां भी पैर रखता जाता है, समयानुसार उसके कर्म बराबर उसके साथ ही आगे बढ़ते रहते हैं। जैसा उसके भाग्य में लिखा है, वैसा ही निश्चित रूप से उसे भोगना पड़ता है। वह तो टालने से भी नहीं टल सकता।
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आठों पहर और चौंसठघड़ी सद्गुरु के अनुराग में निमग्न रहो, अर्थात चलते-फिरते, सोते-जागते प्रत्येक स्थिति में उनका ही सुमिरन करते रहो। हृदय से उनकी याद पल भर भी अलग न होने दो, यही सच्चा वैराग है।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि अहंकार की आग हृदय में जल रही हो तो अहंकारी व्यक्ति गुरु से भी सम्मान चाहता है। ऐसे अभिमानी जनों को मृत्यु रूपी दुःख-संकटों एवं कुवासनाओं ने खुला निमंत्रण दे रखा है कि आओ तुम हमारे मेहमान बनो।
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माला का पहनना व तिलक लगाना तो एक वेश धारण करना है और यह बाहर का रूप है, परंतु राम-भक्ति तो कुछ और ही है, यह आंतरिक रहस्य है। कबीर साहेब जी कहते हैं कि जो इसे धारण करता है, फिर वह अपनी पांचों ज्ञानेन्द्रियों को वश में कर लेता है।
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जो साधक जिस राम (प्रभु) की भक्ति पूरी श्रद्धा से करता है तो वह राम उस साधक की लाज रखता है यानि उसको अपनी समर्थता के अनुसार लाभ देता है।
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वह सच्चा सतगुरु यह नहीं देखता कि यह चोर है, इसको शरण में नहीं लूंगा। सतगुरु को पता होता है कि चोर भी यदि हमारी नाम की नौका में बैठेगा अर्थात् शरण में आकर ज्ञान सुनेगा तो बुराई छोड़ेगा और पार हो जाएगा।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि तीर्थ आदि पवित्र स्थलों में नहाने-धोने से कोई लाभ नहीं, यदि मन का मैल साफ नहीं होता। ऐसे तो मछली सदैव पानी में ही रहती है, परंतु उसकी दुर्गंध नहीं जाती।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि कुबुद्धि जीव को तो सूझता ही नहीं, वह तो नित्य उठ उठकर मंदिर-मस्जिद में जाता है। उसको हृदय-मंदिर का पता नहीं है कि इसी में राम व रहीम विराजमान हैं। भला! ये लोग पत्थर की मूर्ति या मस्जिद में क्या कुछ पा सकते हैं!
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कबीर साहेब जी कहते हैं जैसे भी हो, किसी भी प्रकार से गुरु से प्रीति निबाहनी चाहिए। अपनी निष्काम सेवा, पूजा आदि से संत-गुरुओं को प्रसन्न करना चाहिए। प्रेम बिना तो वे दूर ही हैं, परंतु प्रेम के द्वारा गुरु महाराज स्वामी अपने पास ही हैं।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि इस संसार में सत्य-आचरण करने वाले व्यक्ति को जब सत्य-आचरण करने वाला व्यक्ति ही मिलता है, तो उनमें बहुत अधिक प्रेम भाव की वृद्धि हो जाती है, परंतु जब झूठे मनुष्य को सच्चा मनुष्य मिलता है, तो प्रेम शीघ्र ही टूट जाता है।
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कबीरजी कहते हैं कि इस संसार में हम तो सबसे बुरे हैं, और हमसे सब कोई अच्छे हैं। जिसने विनम्रतापूर्वक ऐसा करके समझा, वही हमारा मित्र है।
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कबीर साहेब जी कहते हैं कि इस संसार में सत्य में कोई विश्वास नहीं करता और संसार के लोग झूठ में विश्वास करते हैं। झूठ बोलने वाले व्यापारी की पांच टके वाली धोती सात टके में असत्य बोलकर बिक जाती है। झूठ बोलकर ही वस्तु का दाम बढ़ाकर बेचा जा सकता है।
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