मुझे चावल-गुड़-तिल देते हुए माँ ने पूछा, "ए बबुआ, तिलकुट भरबs नु।" आवाज को भारी होने से रोकने की कोशिश करते हुए मैंने उत्तर दिया, "हाँ माई, भरेब।" डबडबाई आँखों से माँ फिर बोली, "भरते बारs।" पड़ोस की किसी आई-माई ने पते की बात कह दी "काहे ना भरिहन।"🙏
मकर संक्रांति की शुभकामनाएँ।