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दिल, दरख़्त और दिल्ली। Profile
दिल, दरख़्त और दिल्ली।

@ravityadav_

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Everyday Aesthete | ©Photographs | Writing

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@ravityadav_
दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
“In the silence, I keep on living, and that’s all there is to it.” Banana Yoshimoto
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
9 months
सिर्फ बाहर नहीं, मौसम हमारे भीतर भी बदलता है।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
पढ़ी हुई किताबें, छोड़े हुए घर, छूटे हुए रिश्ते... कोई अंत है? उनके बारे में सोचता हूँ, तो अपनी ज़िंदगी कितनी लंबी जान पड़ती है... ( निर्मल वर्मा )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
रात डायरी।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
रात डायरी।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
4 months
मुझे वह साथी कभी नहीं मिला जो एकांत से बेहतर हो।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
कब लौटा है बहता पानी, बिछड़ा साजन, रूठा दोस्त हम ने उस को अपना जाना जब तक हाथ में दामां था -इब्ने इंशा
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
25 days
“Everything has been figured out, except how to live.” ― Sartre
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
Whoever made this, Shukriya.
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
सूरज की आख़िरी हिचकी।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
10 months
.... उस दिन हम दोनों हुमायूँ के मकबरे गए थे। वहाँ वह नंगे पाँव घास पर चली थी। मुझे नंगे पाँव घास पर चलना अच्छा लगता है, उसने कहा था। मैंने उसकी चप्पलें हाथ में पकड़ रखी थीं। उसने मना किया था। 'इट इज नॉट डन, उसने अंग्रेजी में कहा था।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
10 months
यह दिल्ली है और दिसंबर के दिन हैं और साल के आखिरी पत्ते कारीडोर में उड़ रहे हैं। मैं कनॉट प्लेस के एक कारीडोर में खड़ा हूँ, खड़ा हूँ और प्रतीक्षा कर रहा हूँ। वह आती होगी। ( लवर्स कहानी से निर्मल )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
29 days
अपनी छत, अपना आकाश, अपना सन्नाटा।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
4 months
“Take me, dearest, just as I am. Worn out by the journey, even more worn out by myself…” ( Franz Kafka, Letters )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
28 days
अजनबी शहर के अजनबी रास्ते, मेरी तन्हाई पर, मुस्कुराते रहे। मैं बहुत देर तक यूँ ही चलता रहा, तुम बहुत देर तक याद आते रहे… ( राही मासूम रजा )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
शाम होने से पहले कुछ देर के लिए जब बारिश बंद हो जाती है, चारों तरफ़ एक सुनहरा, धुला-धुला सा आलोक फैल जाता है, तब अचानक दिन भर का अकेलापन एक साथ उभर आता है, मैं, न जाने क्यों, अभी तक इस तरह की अजीब अकेली ज़िंदगी को कोई अर्थपूर्ण तरतीब नहीं दे सका हूँ। ( निर्मल )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
4 months
मौसम बदले, न बदले हमें उम्मीद की कम से कम एक खिड़की तो खुली रखनी चाहिए। ( अशोक वाजपेयी)
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
4 months
रात का अकेलापन दिन के अकेलेपन की अपेक्षा ऊँचा, गहरा, असहनीय। ( बलदेव वैद डायरी )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
बारिश की इस ठिठुरती शाम में मैं अकेले कमरे में उन शब्दों के साथ नहीं रहना चाहता था, जो उसने कहे थे, जो अब भी कहीं हवा में ठहरे हुए थे और जो उसके जाते ही मुझ पर टूट पड़ेंगे. ‘अंतिम अरण्य’ निर्मल वर्मा
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
10 months
इस घड़ी ऐ दिल-ए-आवारा कहाँ जाओगे.. ( फैज़ )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
The moon never gets old, my dear, and neither does my love for you. ( Alexandra Vasiliu )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
6 months
खंडहर का महत्व उसकी ऐतिहासिक प्राचीनता में ही है, उसके पुनर्निर्माण में नहीं। ( थिगलियाँ किताब से निर्मल वर्मा )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
रात अंधेरे ने अंधेरे से कहा एक आदत है जिये जाना भी।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
6 months
Today marks the end of an era as my dad officially retires from his service. Happy Retirement dad 🫶🏻
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
मैं हूँ वसंत में सुखद अकेलापन। ( वीरेन डंगवाल )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
Totally in love with my backyard.
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
फिर थोड़ा मौन रहा, दोनों सूनी रात को देखते रहे। ( अज्ञेय )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
अकेलेपन की बोरियत में दबे पैर बीते दिनों की स्मृतियां दरवाजे पर दस्तक देती है। जिससे भाग कर हम एकांत में आये थे,वो परछाई की तरह पीछे पीछे चला आता है। ―निर्मल वर्मा
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
यह ख़याल कितनी सान्त्वना देता है कि हर दिन, वह चाहे कितना लम्बा, असह्य क्यों ना हो, उसका अन्त शाम में होगा। एक शीतल से झुटपुटे में। ( निर्मल वर्मा )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
4 months
जाने और आने के बीच एक स्टेशन की तरह लगता है अपना घर। - लप्रेक
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
25 days
टूटी हुई बिखरी हुई।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
जिस क्षण आप इंतज़ार करना छोड़ देते हैं, उस क्षण आप जीना भी छोड़ देते हैं। ( निर्मल वर्मा )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
7 months
बारिश की तरह गिरो,सूखी धरती पर धरती को अपने बीज सौंपते हुए गिरो.. ( नरेश सक्सेना )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
26 days
किसी कटाव के कारण बहाव में हम हैं, मगर दिखाई यूँ देगा कि नाव में हम हैं। ―इरशाद खान सिकंदर
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
“I'm a very ordinary human being; I just happen to like reading books.” Haruki Murakami
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
खिलने की भाषा मे भी उदास हो सकता है फूल। ―आशुतोष दुबे
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
खिलने की भाषा मे भी उदास हो सकता है फूल। ―आशुतोष दुबे
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
धागे महीन रखता हूँ, पर गाँठें दिख जाती हैं।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
9 months
तुम पूरक थे, मैं गलती से तुम्हें प्रियतम समझ बैठी। ( मन्नू भंडारी )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
10 months
क्योंकि तुम अवसर नही, संभावना थी।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
4 months
मैं उदास रस्ता हूँ शाम का तिरी आहटों की तलाश है। ( बशीर बद्र )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
7 months
प्यार के कैमरे के दो ही फोकस हैं—प्रिय का चेहरा, और वह न हो तो ऐसा कुछ जो अनन्त दूरी पर स्थित हो। ( कसप )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
चीजें और आदमी कितनी अलग हैं। बरसों बाद भी घर, किताबें, कमरे वैसे ही रहते हैं, जैसा तुम छोड़ गए थे, लेकिन लोग? वे उसी दिन से मरने लगते हैं, जिस दिन से अलग हो जाते हैं। मरते नहीं, एक दूसरी जिंदगी जीने लगते हैं, जो धीरे-धीरे उस जिंदगी का गला घोंट देती है, जो तुमने साथ गुजारी थी...
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
7 months
She lives in dreams… alone. ( Virginia Woolf, The Years )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
7 months
बहुत लंबे रास्ते पर चलने के लिए ज़रूरी है, छोटे-छोटे पड़ावों को तय कर लेना ।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
पतझड़ के पीले पत्तों ने प्रिय देखा था मधुमास कभी; जो कहलाता है आज रुदन, वह कहलाया था हास कभी; आँखों के मोती बन-बनकर जो टूट चुके हैं अभी-अभी सच कहता हूँ, उन सपनों में भी था मुझको विश्वास कभी । ( भगवती चरण वर्मा )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
6 months
She likes to be alone; She likes to be herself..
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
7 months
कि उसमें विनम्र अभिलाषाएं हों बर्बर महत्‍वाकांक्षाएं नहीं ( कुंवर नारायण )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
कुछ चीजें हमेशा के लिए जीवित रह जाती हैं। समय उन्हें नहीं सोखता – वे खुद समय को सोखती रहती हैं। ( निर्मल वर्मा )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
"The moon is the romance of my life" Fatoumata kebe
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
तू मेरे भीतर है शोक की जगह पर… ( गगन गिल )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
“Each morning it is her face that replaces the darkness.” Sylvia Plath, Mirror
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
15 days
Sometimes, you sit in a cafe alone, and it feels like the world pauses just for you.
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
9 months
टूट के हम दोनों में जो बचा वो कम सा है एक टुकड़ा धूप का अंदर-अंदर नम सा है... (शकील आज़मी )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
15 days
सब गुज़र जाता है, रोज एक पीछे छूटा हुआ कल बना रहता है। ( कुमार अम्बुज )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
प्यार एक छाता है। ( सर्वेश्वरदयाल सक्सेना )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
7 months
एक पुराना मौसम लौटा।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
उनके जाने के बाद मैं अकेला छूट गया था। लेकिन पहली बार मुझे लगा कि किसी का दिया हुआ अकेलापन भी कितना भरा-पूरा हो सकता है। क्या वह प्रेम था, या सिर्फ़ उसे पाने की चाहना जो पहली बार मेरी सूखी, पपड़ाई, पंगु ज़िंदगी में हरियाली का एक भ्रम देती उग आई थी? - निर्मल वर्मा
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
I can bear everything with you in my heart. Franz Kafka, 1921.
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
5 months
किताबें मन का शोक, दिल का डर या अभाव की हूक कम नहीं करतीं, सिर्फ सबकी आँख बचा कर चुपके से दुखते सिर के नीचे सिरहाना रख देती हैं। ( निर्मल वर्मा )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
6 months
जहाँ से गुज़री हुई ज़िंदगी को आना था।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
18 days
एक पीली शाम पतझर का जरा अटका हुआ पत्ता अब गिरा अब गिरा… ( शमशेर )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
6 months
इंतज़ार करते हुए हमारी कोई तस्वीर नही है।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
6 months
फुर्सत में हम उनके भी हिस्से का सपना देख लेते हैं।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
उम्र को आराम की ज़रूरत है।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
तीन थके हुए रंग।
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
4 months
जिस तरह वापस कोई ले जाये अपनी चिट्ठियाँ जाने वाला इस तरह से कर पाया तन्हा मुझे। (बशीर बद्र )
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
दिल-गिरफ़्ता ही सही बज़्म सजा ली जाए याद-ए-जानाँ से कोई शाम न ख़ाली जाए फ़राज़
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
सूरज की आख़िरी हिचकी।
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24 days
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
10 months
मैं थामे रहूं उसका हाथ तब तक जब तक हम दोनों के हाथों का तापमान एक न हो जाए...
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2 months
वो तो खुशबू है हवाओं में बिखर जाएगा, मसला फूल का है फूल किधर जाएगा। ( परवीन शाकिर )
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9 months
कुछ सुस्त कदम रस्ते, कुछ तेज़ कदम राहें..
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2 months
Everyone, deep in their hearts, is waiting for the end of the world to come. Haruki Murakami, 1Q84
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
3 months
और जहाँ घटित होने के ��िए कुछ भी नहीं है वहीं हम गवाह की तरह खड़े किये जाते हैं। ―धूमिल
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
8 months
"अकेले कमरे में जब तकलीफ दुश्वार हो जाती है, तो अक्सर लोग बाहर चले आते हैं। सड़कों पर। पब्लिक पार्क में। किसी पब में। वहाँ आपको कोई तसल्ली न भी दे, तो भी आपका दुख एक जगह से मुड़ कर दूसरी तरफ करवट ले लेता है।" ( निर्मल )
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4 months
वो जब आएगा तो फिर उस की रिफ़ाक़त के लिए, मौसम-ए-गुल मिरे आँगन में ठहर जाएगा। ( परवीन शाकिर )
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3 months
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9 months
चाय उनके बीच ठहरने के बहाने की तरह लगती थी।
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5 months
मै तुमसे कहूँगा विदा वैसे जैसे हरापन टूट कर गिर गए पत्तों को कहता है... ( अपूर्व शुक्ल )
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3 months
थके कंधों को उतारकर टाँग नही सकते, जीवन की खूंटी में जगह कम है।
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4 months
The tired sunsets and the tired people, It takes a lifetime to die and no time at all. Charles Bukowski.
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4 months
वरना ये तेज़ धूप तो चुभती हमें भी है हम चुप खड़े हुए हैं कि तू सायबाँ में है परवीन शाकिर
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6 months
कल की जड़ों के वादे, जिनके लिए अपने आज में रुक गया हूँ।
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5 months
सूरज की आख़िरी हिचकी।
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4 months
मारे गए गुलफाम।
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5 months
निस्संदेह काफी ऊंचाई पर पहुंच चुके हों, और डैनों का फैलाव काफ़ी हो, तो कुछ देर बिना परिश्रम के वहीं तिरते भी रह सकते हैं। लेकिन यह नहीं हो सकता कि पंख समेट लें और ऊंचाई पर बने रहें। स्वाधीनता चाहिए? तो पंख तौलो और उड़ चलोः और डैने चलाओ - चलाओ, लगातार ! - अज्ञेय
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दिल, दरख़्त और दिल्ली।
1 month
The absolute pleasure of reading this for the first time..
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4 months
जाते हुए थोड़ा-सा जाना वह अपने साथ ले गई। बाक़ी अपना जाना ले जाना वह भूल गई। विनोद कुमार शुक्ल
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@ravityadav_
दिल, दरख़्त और दिल्ली।
2 months
वर्षा से बचकर कोने में कहीं टिका दो। प्‍यार, एक छाता है आश्रय देता है गीला होता है। ( सर्वेश्वर दयाल सक्सेना )
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10 months
मैं खंडहर-खंडहर महकता हूँ- रुक मुझमें ढूंढे कोई तो इक पुराना घर भी मिल सकता है। — @Kitabganj1
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20 days
Lost in self-reflection, a dog contemplates the world in silence.
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