जीवन महासंग्राम है...
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं,
क्या हार में क्या जीत में,किंचित नहीं भयभीत मैं,
संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही,
चाहे हृदय को ताप दो, चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्य पथ से किंतु भागूँगा नहीं
वरदान माँगूँगा नहीं...