लड़का पति बनकर दहेज़ माँगता है,
और लड़की सास बनकर!
इस कुप्रथा के जिम्मेदार दोनों ही ह
कितनी सस्ती हो गई है मोहब्बत भी ,
लोग जिस्म खरीद लेते हैं एक गुलाब देकर
🌟💝 खड़े-खड़े साहिल पर हमने शाम कर दी,
अपना दिल और दुनिया आप के नाम कर दी,
ये भी न सोचा कैसे गुज़रेगी ज़िंदगी,
बिना सोचे-समझे हर ख़ुशी आपके नाम कर दी। 🌟💝
मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही। ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही। जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश है। मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही।
मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में, हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।
ज़ख्म देने का तरीका कोई न मिला उन्हें,
महफ़िल में छेड़ते रहे ज़िक्र-ए-वफा बार-बार।
इस सलीके से मुझे क़त्ल किया है उसने,
दुनिया अब भी समझती है कि ज़िंदा हूँ मैं।
ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिले,
तुझ सा नहीं मिला कोई, लोग तो कम नहीं मिले,
एक तेरी जुदाई के दर्द की बात और है,
जिनको न सह सके ये दिल, ऐसे तो ग़म नहीं मिले।
😒😔👩❤️👨😭🥺
मेरे दर्द ने मेरे ज़ख्मों से शिकायत की है,
आँसुओं ने मेरे सब्र से बगावत की है,
ग़म मिला है तेरी चाहत के समंदर में, हाँ मेरा जुर्म है कि मैंने मोहब्बत की है।
अब न कोई हमें मोहब्बत का यकीन दिलाये,
हमें रूह में भी बसा कर निकाला है किसी ने।
मैं तो आईना हूँ टूटना मेरी फितरत है,
इसलिए पत्थरों से मुझे कोई गिला नहीं।
💔💗❤️🔥💓💘
इश्क करने वालों का यही हश्र होता है,
दर्द-ए-दिल होता है,
रह रह के सीने में,
बंद होंठ कुछ ना कुछ गुनगुनाते ही रहते हैं,
खामोश निगाहों का भी गहरा असर होता है।
😫🥺😧😭😔
दिया दिए से जला लूं तो सुकून आये मुझे,
तुम्हें गले से लगा लूं तो चैन आये मुझे,
मोहब्बतों के सहीफ़े हैं या अज़ाब कोई,
तेरे खतों को जला लूं तो चैन आये मुझे।
😫🥺😧😭😔
बेहतर से बेहतर की तलाश करो,
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो,
टूट जाते हैं शीशे पत्थरों की चोट से,
तोड़ से पत्थर ऐसे शीशे की तलाश करो।
Happy friday to all
لڑکا ہونے کا ایک فائدہ یہ بھی ہے جب بےعزتی ہونے لگے
تو چپ چاپ گھر سے نکل جاو
بچاری لڑکیوں کو پوری قوالی سننی پڑتی ہے
लड़का होने का एक फ़ायदा यह भी है के ज़ब बे इज़्ज़ती होने लगे तो चुप चाप घर से निकल जाओ बेचारी लड़कियों को पूरी क़वाली सुन्नी पड़ती है 🤔🤔
मुश्कालो से गुजर कर ही शख्सियत निखरती है जो चट्टानों से ना उलझे वो चश्मा किस काम का.
مشکلوں سے گزر کر ہی شخصیت
نکھرتی ہے
جو چٹانوں سے نہ الجھے وہ چشمہ کس کام کا..
🔄⏳ बस यही दो मसले,
ज़िन्दगी भर ना हल हुए,
ना नींद पूरी हुई,
ना ख्वाब मुकम्मल हुए,
वक़्त ने कहा…..काश थोड़ा और सब्र होता,
सब्र ने कहा….काश थोड़ा और वक़्त होता ! 🔄⏳
भीड़ में भी तन्हा रहना मुझको सिखा दिया,
तेरी मोहब्बत ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया,
किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो,
सब कुछ ज़िन्दगी ने चुप-चाप सहना सिखा दिया।
जगमगाते शहर की रानाइयों में क्या न था,
ढूँढ़ने निकला था जिसको बस वही चेहरा न था,
हम वही, तुम भी वही, मौसम वही, मंज़र वही,
फ़ासले बढ़ जायेंगे इतने मैंने कभी सोचा न था।
☹️💟🍀💖💌
भीड़ में भी तन्हा रहना मुझको सिखा दिया,
तेरी मोहब्बत ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया,
किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो,
सब कुछ ज़िन्दगी ने चुप-चाप सहना सिखा दिया।
ᯓᡣ𐭩
" किताबों 📖 के पन्नों को पलट कर सोचती हूँ,
यूँ पलट जाए जिंदगी तो क्या बात हैं.
कुछ मतलब से ढूँढते हैं मुझे,
बिन मतलब कोई बुलाए तो क्या बात हैं.
अपने रहने तक ख़ुशी दूँगी सबको,
मेरी मौत से ख़ुशी किसी को मिल जाए तो क्या बात हैं "!!❣️🫰copy
Kadwa sach
عورت کو جسم ڈھانپنے کیلئے کوئی
ایک روپے بھی نہیں دیتا
اور کپڑے اتارنے کیلئے
لوگ اپنی ساری دولت لٹا دیتے ہیں.
औरत को जिस्म ढकने क लिए कोई एक ₹ भी नहीं देता और कपड़े उतरने क लिए सारी दौलत लुटा देते है..
मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही। ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही। जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश है। मगर जो पागल हुए उनका कोई हिसाब नही।
तुम जब आओगे तो खोया हुआ पाओगे मुझे,
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं,
मेरे कमरे को सजाने कि तमन्ना है तुम्हें,
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं।
☹️💟🍀💖💌
Who remembered this ??
80,90 के दशक में दुकानों पर, चाय की टपरी पर, सैलूनो में ऐसे ही वॉलपेपर लगे रहते थे। उसपर ऐसे स्लोगन लिखा होता था,
" तुम कब आओगे?"
"तुम कब मिलोगे?"
😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁
@shabina_ofc