कबीर साहेब ने कहा है, "माया महाठगनी हम जानी, तिरगुन फांस लिए कर डोलै," यानी कि माया ठगने वाली है, जो तिरगुन की फांस में डाल देती है। इस फांस से निकलने के लिए केवल सतगुरु की शरण में जाना ही एकमात्र उपाय है।
#मनुष्य_जीवन_का_उद्देश्य
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