@chikara_sanjeev
हां मेरे अंदर एक समंदर। उसमे बसता एक सुनामी।। ज्वार भाटा तो उठता ही रहता है। कभी बढ़ता कभी सिकुड़ता रहता है।। लेकिन ज्वाला भी हरदम जलता ही रहता है। हां मेरे अंदर