एक बचपन का जमाना था,
जिस में खुशियों का खजाना था
चाहत चांद को पाने की थी,
पर दिल तितली का दीवाना था..
खबर ना थी कुछ सुबह की,
ना शाम का ठिकाना था..
थक कर आना स्कूल से,
पर खेलने भी जाना था...
मां की कहानी थी,
परियों का फासना था..
हर मौसम सुहाना था..
शुभ संध्या ❤🙏