वो लोग नहीं रहे,बताने वाले नहीं रहे तो
बातें भी नहीं रहीं।नाच,गान,सुर,ताल,लय
तथा साज-बाज बहुत सुने।जजमेंट तक का
मौका मिला,लेकिन बचपन में जो देखा
उसे भुला नहीं पाया।स्मृतियां संजो रहा हूं,
आप सब देखें।मारवाड़ी घूमर।
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