TR.Ramkunwar Degana
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गुरु जो किसी समय पर
मजबूर करता है तुम्हें
टूटी जमीन, टूटा बादल, टूटा बीज बनने के लिए
कभी किसी समय पर
तुम्हारी आत्मा टूट रही होती है जब
तो वो गुरु स्वयं टूटकर, फैलकर
एक ऐसा स्नेहमयी आवरण तैयार करता है
जिसमें बैठकर तुम भूल जाते हो
कि तुम टूटे हुए भी हो
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