ए सुनो..
एक घर हो अपना, छोटा सा, आंगन में हरे-हरे पेड हो, नन्हें-नन्हे पौधे.गुलाब, गेंदा, गुलदाउदी, रातरानी.दूर जाने कहा से आता हल्का संगीत हो..
-आंगन में झूला हो.और एक रंगविरंगा फौआरा हो..रातों में छत पर पड़े, मुस्कुरातें सितारों से.सुख-दुख बांटते हम और तुम हो🤎🧡