हो मिरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
दर्द-मंदों से ज़ईफ़ों से मोहब्बत करना
मिरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझ को
नेक जो राह हो उस रह पे चलाना मुझ को
~ अल्लामा इक़बाल
दो शायर और एक ताज―
इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है
~ शकील बदायुनी
इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
~ साहिर लुधियानवी
“ सड़क ,,
वो कहती है -
कि मुझे
चलते हुए लोग अच्छे लगते हैं
पर
वो मानती है -
कि खूबसूरत हैं वो लोग
जो क्रांति के लिए रुके रहे ।
- नीरज 【
@likh_neeraj_
】
“ जो पढ़े लिखे हैं न, उनके लिए नौकरियों की कमी नहीं ,, किसी के भी द्वारा बोला गया ये वाक्य हर शिक्षित बेरोजगार के मुँह पर करारा तमाचा होता है।
~ जैकी यादव (
@JaikyYadav16
)
माँ बनने की पीड़ा एक बाँझ औरत बख़ूबी जानती है, गर्भ में संतान न होने का दर्द प्रसव पीड़ा से भी ज़्यादा असहनीय होता है।
~ अमीर चतुर्वेदी
@CopSanuOfficial
जंगल कट रहा था,लेकिन सारे पेड़ कुल्हाड़ी को वोट दे रहे थे क्योंकि पेड़ सोच रहे थे कि कुल्हाड़ी में लगी लकड़ी उनके समाज की है।
~ एक तुर्किश कहावत
पर आइये... स्वागत है।
'अधिकार'
पूछना और जानना
हक़ हमारा है,
गर वाजिब उत्तर
नही मिले तो
लड़ना और छीनना
आना चाहिए,
गर पढ़ेंगे तो पूछेंगे
जो पूछेंगे तो जानेंगे
सो जानेंगे तो लड़ेंगे
गर लड़ना है तो
पहले पढ़ना है
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@PJkanojia
( प्रशांत कनोजिया )
#poetry
#vismrita
आप समय पर न टैक्स भरो
जुर्माना भरो या होगी जेल
लेकिन सरकार समय पर
न वैक्सीन न ऑक्सीजन दे
सच में उनको कुछ नहीं होगा
क्योंकि सब ज़िम्मेदारी
सिर्फ हम जनता की है
साहब तो 'मन की बात' करेंगें
और मंत्री हैं मनोरंजन के लिए
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प्रशांत कनौजिया
@PJkanojia
कहाँ तो तय था चारगाँ हर एक घर के लिए
कहाँ चराग़ मय्यसर नहीं शहर के लिए
~ दुष्यंत कुमार
इस पत्र को ग़ौर से पढ़ लीजिये, इस आदमी ने ट्रेन के आगे आकर जान दे दी और उसके पास ये सुसाइड नोट मिला😢
क्या ट्रिलियन इकोनॉमी इस जान के आगे कुछ मतलब रखती है..! नहीं बिल्कुल नहीं😥
वो झंडा शौक़ से लगायेंगें उन्हें घर तो दीजिये....
निवेदन : यदि आप मोबाइल चलाते हैं तो एक बार तिरंगे🇮🇳 का प्रोटोकॉल पढ़ लीजिये🙏🏼
15 अगस्त की शाम के बाद से आपको अगले कई दिनों तक झंडा इधर उधर मिले तो आप उसे उठाकर साफ करके ज़रूर रख लें।
झण्डे की रक्षा हमारा मूल कर्तव्य है।
कुछ लड़के होते हैं
जो लड़कियों से ज़्यादा भावुक होते हैं
उनसे “दोस्ती मानो
कान्हा-द्रोपदी हो जैसे
वो सबकुछ कहते है
वो जी भर रो लेते हैं
वो प्रेम भूल जी लेते हैं दोस्ती में खुदको,
वो सारे ज़ख़्म दिखा देते हैं
वो क्यों मुस्कुरा रहे हैं बता देते हैं
कुछ लड़के🤍
~
@_Kohraa_
इस देश में
सीतायें ब्याही जाती रही हैं,
धनुष-भंग करके
कठोर अग्नि-परीक्षाओं के लिये ।
द्रौपदियाँ ब्याही जायेंगी
मछली की आँख भेदकर,
इन्द्रप्रस्थों की शोभा बढ़ाने या
जुए में दाँव हारने के लिये
(पुष्पराज)
@YADAVPUSHPRAJ09
किसान यानी बस लड़ते ही रहना है और आख़िरी में उस भूखे पेट को ईज़्ज़त भी नसीब नहीं होती है।
आंवारा पशु
बैंक का कर्ज़
तेल, बीज, खाद के दाम⏫
प्राकृतिक आपदा
और फिर फसल की बेढंगी ख़रीद....
गाँव कभी भारत की आत्मा थे अब चलते फिरती लोगों की क़ब्रगाह के मानिंद हैं।😥
~ अश्विनी यादव
“ माँ ,, शब्द लिख देने के बाद आप उसे प्रेम, सुख, सत्य, जन्नत, दुनिया, भगवान, ख़ुदा, ईश्वर, जीवनदात्री, रक्षक, ब्रह्माण्ड और न जाने कितने ही रूप में पढ़ सकते हैं।
~ अश्विनी यादव
धर्म पूछकर पानी और खाना देना ये पुण्य नहीं बल्कि पाप का भागीदार बनाता है।धर्म तो सिखाता है कि चिड़ियों को दाना, कुत्तों और गायों को रोटी दो।
घरों के बाहर प्याऊ बनवाये जाते हैं कि जानवर भी पानी पी सकें।सफ़र में लोग पानी पी सकें ये भी व्यवस्था होती है।
'प्यार बाँटिये नफ़रत नहीं,