2014 में मेरी हिंदी ऑनर्स की क्लास में यह लड़की बैठती थी, बेहद ज़हीन, पढ़ाकू, रचनात्मक. प्रभावित थी. सोशल मीडिया पर जुड़ी मुझसे.
आज नज़र मिलाना मुश्किल हो गया है. हम जो बड़ी-बड़ी बातें सिखाते हैं, बराबरी, सद्भाव, सम्वेदना, करुणा, लोकमंगल, दुनिया उससे उलट ही दिखी.
शर्मिंदा हूँ.