The Leader Of People is unstoppable and is on an Never Ending Yatra 🥰Leader of Opposition in Lok Sabha Shri
@RahulGandhi
today met Loco Pilots from across the country at New Delhi Railway Station and listened to their problems.
Loco pilots who run trains in Indian Railways work
पत्रकार हो ? पक्के से ? मैं भी हूँ ! पिछले पचास साल से ।पहले कभी इतना डर नहीं महसूस हुआ ।आपातकाल में भी नहीं ।हम सब लोग भी कभी न कभी विक्रम जोशी की तरह ही सड़कों पर मारे जा सकते हैं ! अपना ख़याल रखना । हमारे पास बचाए रखने के लिए अपनी साँसों के लिए अलावा और कुछ भी नहीं है।
तरुण गोगोई जब बोल रहे थे ऐसा लग रहा था जैसे मणिपुर की पीड़ा और आत्मा बोल रही हो ! जब निशिकांत बोल रहे थे बॉलीवुड के खलनायक भी शर्मिंदगी महसूस कर रहे होंगे !
क्या कहा राहुल ने आज दक्षिण मुंबई में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के साथियों से ? अद्भुत : ‘’ बीजेपी में दम नहीं है। डरिए मत कि ये कंस्टीट्यूशन ख़त्म कर देंगे। ये लोग बात बहुत करते हैं। सच्चाई और हिंदुस्तान हमारे साथ है।’” सलाम राहुल 🙏❤️
उत्तराखंड से फिर दिव्य ज्ञान आया है। इस बार पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं :
“ कोरोना वायरस भी एक प्राणी है। हम भी एक प्राणी हैं।वो ( कोरोना) भी जीना चाहता है। उसे ( कोरोना को ) भी जीने का अधिकार है। हम उसके पीछे लगे हुए हैं। वो बहुरूपिया हो गया है।”
हाथरस की भगदड़ में श्रद्धालुओं की मृत्यु बेहद दर्दनाक घटना है।
अलीगढ़ और हाथरस में परिवारों के आंसू थम नहीं रहे, वे गहरे सदमे में हैं।
इस मुश्किल वक्त में हम आपके साथ खड़े हैं।
राहुल द्रविड़ ने पीएम को बताया तीन खिलाड़ी एक भी मैच नहीं खेल पाए पर उनका भी विश्वविजेता बनाने में बड़ा योगदान रहा ! पीएम सुनते रहे ! बड़ी बात यह थी कि राहुल ने तीनों के नामों का सम्मान के साथ उल्लेख किया वरना मैदान के बाहर बैठ हौसला बढ़ाने वालों को कौन याद करता है ।सलाम राहुल !
“ जब जूडो सीखना शुरू करते हैं तो पहली बार ज़मीन पर गिरते ही ख़ुद को बचाते हैं।बाद में जब जूडो की समझ बढ़ती है तो ज़मीन को बचाने लगते हैं। यह लड़ाई भी वैसी ही है। इसमें ख़ुद को नहीं ,दूसरों को बचाना है। लोगों को बचाना है।” यह मार्मिक बात राहुल गांधी ने मुंबई में कही। सोचिए जरा !
ईमानदार जनता के बीच से भारत को कांग्रेस मुक्त करने में सफलता नहीं मिली तो अब उसके भ्रष्ट नेताओं की भाजपा में भर्ती के ज़रिए देश को कांग्रेस-मुक्त किया जा रहा है। कांग्रेस को दागियों से आज़ाद करने का जो काम राहुल गांधी नहीं कर पाए ,मोदी करके करके दिखा रहे हैं।एक बधाई तो बनती है !
राहुल अगर वायनाड के अलावा किसी एक और स्थान से चुनाव लड़ने का साहस ही दिखाना चाहते हैं तो उन्हें अमेठी या रायबरेली के बजाय वाराणसी से पीएम के ख़िलाफ़ लड़ना चाहिए। जो उद्देश्य भाजपा उन्हें अमेठी में उलझा कर पूरा करना चाहती है उसका जवाब वाराणसी में पीएम को उलझा कर दिया जाना चाहिए।
निशिकांत दूबे को ज़रूर सुनिए। ये पहले वक्ता हैं एनडीए के। क्या इससे ज़्यादा ख़राब भाषण भारत की जनता ने कभी संसद में सुना है ? कल्पना कर लीजिये पीएम क्या बोलने वाले हैं। क्या निशिकांत से भी ख़राब बोलेंगे? शर्म आ रही है सुनते हुए।शर्म आ रही है कि एक शब्द भी मणिपुर की पीड़ा पर नहीं।
राहुल की अगुवाई में नई कांग्रेस का जन्म हो रहा है जो चुनावी नतीजों के साथ नज़र आने लगेगी ! नया घोषणा पत्र नई कांग्रेस की मुनादी है।नई कांग्रेस ही अब पार्टी को आगे ले जाएगी।इसके नेता कौन-कौन नज़र आते हैं,भाजपा कैसे मुक़ाबला करना चाहती है समझने के लिए सुनिए श्रावण गर्ग की खरी-खरी :
जैसे सवाल राहुल से किए जा रहे हैं मोदी से करने की किसी की हिम्मत नहीं हुई। बस करण थापर ने एक बार गुजरात में किया था। संसद के समय और जनता के पैसे की जितनी बर्बादी दस सालों में हुई उतनी उसके पहले के बासठ सालों में कभी नहीं हुई।
शिकायत थी कि मुख्य धारा का मीडिया राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की उपेक्षा कर रहा है,समुचित कवरेज नहीं दे रहा है ! लीजिए ! राहुल के सलाहकारों का आभार मानिए ! सावरकर पर दिमाग़ लगाया और चारों तरफ़ कवरेज ही कवरेज हो गया।
10साल,11उपलब्धियाँ
(1) नोटबंदी
(2)कोरोना में लाखों मौतें
(3) चुनावी बॉण्ड
(4)मॉब लिंचिंग
(5)रिकॉर्ड बेरोज़गारी
(6)असहनीय महंगाई
(7)40% का भ्रष्टाचार
(8)घटती अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा
(9)संसद का धार्मिकीकरण
(10)नागरिकता का रिकॉर्ड त्याग
(11)सभी पड़ौसी देशों से ख़राब संबंध
एक मुख्यमंत्री : ज़मीन में दस फीट गाड़ देंगे
दूसरा मुख्यमंत्री :बुलडोज़र चलवा देंगे
तीसरा मुख्यमंत्री : जेल में डाल देंगे
एक केंद्रीय मंत्री : गोली मारो सालों को
दूसरा केंद्रीय मंत्री : उल्टा लटका देंगे
(अमृतकाल तक की उपलब्धियाँ। सौ साल पूरे होने दीजिए फिर देखिए !)
उस वक्त को याद कीजिए जब कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं का एक बड़ा समूह हुआ करता था जो आरोप लगाता था कि ‘गांधी परिवार’ वातानुकूलित बंद कमरों में बैठकर सड़कों की राजनीति करता है।
रायबरेली की बछरावां विधानसभा। कोई एक चौराहा। रात थी और दूर दूर तक अंधेरा। भीड़ ने अपने हाथों में रोशनी की ज़िम्मेदारी ली और जुगनू की तरह टिमटिमाती हुई प्रियंका गांधी बिना माइक के चमक उठीं, गरज उठीं। जब मैं इस दृश्य को देख रहा था, तब मेरे लिए ये महज़ एक दृश्य नहीं, पूरी की पूरी
कांग्रेस तीन राज्यों में चुनाव हार गई लोकसभा के लिहाज़ से अच्छा हुआ।2018 की तरह ��ी जीत जाती तो 2019 जैसी दुर्दशा लोकसभा में फिर होती क्योंकि तीनों जगह नेतृत्व 2018 वाला ही बना रहता।अब पार्टी भार-मुक्त हो जाएगी !महुआ के निष्कासन से इंडिया गठबंधन भी मज़बूत हो गया।जो हुआ अच्छा हुआ !
🚨Big International Breaking 🚨
JUST IN: US VP
@KamalaHarris
speaks to
@RahulGandhi
, one of the first conversations the newly appointed LoP has had after taking over his role
The conversation took over a call yesterday in the evening with the Shadow Prime Minister of India 😁
देश के लोकतंत्र और संविधान को सुप्रीम कोर्ट की सबसे बड़ी ज़रूरत का क्षण यही है। इसके बाद उसकी इतनी बड़ी ज़रूरत कब पड़ेगी, कितनी पड़ेगी, पड़ेगी भी कि नहीं कहा नहीं जा सकता।
पता है चौराहों पर नक़ली माल कैसे बेचा जाता है ? बेचने वाला अपनी ही गैंग के कुछ लोगों को ख़रीददार बनाकर भीड़ जमा कर लेता है और फिर भोले-भले लोग जमा होकर झाँसे में आने लगते हैं। 370 के नक़ली टारगेट का हल्ला भी ऐसे ही चौराहों पर मच रहा है।भांडाफोड़ करिए और वोटरों को असलियत बताइए।
भाजपा को ग़लतफ़हमी हो गई लगती है कि कुछ विपक्षी नेताओं के समर्थन की किडनियां ख़रीद लेने या एजेंसियों के ज़रिए उनकी राजनीतिक नसबंदी कर देने से ही बाज़ी उसके पक्ष में हो जाएगी।इस समय जनता ही विपक्ष है।ख़रीदना समूची जनता को पड़ेगा।पढ़िए श्रवण गर्ग का आलेख:
संजय सिंह जैसे बहादुर नेता की असली जगह तो कांग्रेस में है ! ‘आप’ उनके क़द और राजनीतिक क्षमता के हिसाब से कमज़ोर है। इस अकेले आदमी ने राज्यसभा को हिला रखा है।पहले भी निलंबन झेल चुके हैं पर ख़ामोश नहीं बैठते।
वह अयोध्या नहीं गया। देश की जनता की पथराई हुई आँखों में उसने अपनी अयोध्या बसाई। उसने पत्थर में विराजमान राम के किसी भव्य मंदिर दर्शन नहीं किए। मर्यादा पुरुषोत्तम की उसने अपने प्राणों में प्रतिष्ठा की। राम ने उसकी अंगुली पकड़ कर रास्ता दिखाया और विजय का मार्ग प्रशस्त कर दिया।
ब्रिटेन को आज़ादी मिल गई। लेबर पार्टी का चौदह साल का बनवास ख़त्म हो गया। दक्षिणपंथियों को हराकर वह सत्ता में वापस आ गई।भारतीयों को दक्षिणपंथियों से आज़ादी के लिए और प्रतीक्षा करना पड़ेगी या जल्दी प्राप्त हो जाएगी ? कैलकुलेट करके बताइए !
कांग्रेस पूछ रही है :’’अगर देश में सिर्फ 7 करोड़ लोग ही गरीब हैं तो..
- 81 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन क्यों?’’
कांग्रेस को पूछना यह चाहिए :” जिस पार्टी के 18 करोड़ सदस्य हैं वह विपक्षी दलों से कार्यकर्ता क्यों तोड़ रही है ? क्या उसके सदस्य फ़र्ज़ी हैं ?”
नीतीश जी कहां फंसे?
हमने नीतीश जी से कहा था कि आपको बिहार में जातिगत जनगणना करवानी होगी, हम आपको छूट नहीं दे सकते।
लेकिन BJP नहीं चाहती थी कि बिहार में जातिगत जनगणना हो, क्योंकि वे देश को सच बताने से डरते हैं।
BJP नहीं चाहती कि जनता का ध्यान सामाजिक न्याय पर जाए।
इसलिए BJP
लोगों को बेवकूफ बनाना कितना आसान है। चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान। पहले कांग्रेस में रहकर मुसलमानो को बेवकूफ बनाया और अब भाजपा ज्वाइन करके.... वोट के लिए क्या क्या करना पड़ता है ना
@AcharyaPramodk
(2019)
राहुल गांधी इलेवन :डी के शिवकुमार, रेवंथ रेड्डी, गौरव गोगोई, सचिन पायलट,वाय एस शर्मिला, जीतू पटवारी, तेजस्वी यादव, हेमंत सौरेन, प्रियांक खड़गे, श्रीनिवास बी वी. और नाम जोड़कर बताएँ।चुनौती: ऐसी कोई भाजपा की एक से ग्यारह टीम बनाकर दिखाएं। क्या एक से ग्यारह सिर्फ़ मोदी मिलेंगे ?
मोदीजी का चुनावी गेम प्लान क्या है क्या कोई डीकोड कर सकता है? चुनावों के ठीक पहले झारखंड के मुख्यमंत्री की फिर तेलंगाना में केसीआर की बेटी कविथा की और अब मुख्यमंत्री केजरीवाल की गिरफ़्तारी ! कांग्रेस के खातों को फ्रीज़ कर दिया जाना ! आज़ाद भारत में पहले जो नहीं हुआ अब हो रहा है ?
मैं ग़लत साबित हुआ।मैंने उम्मीद ज़ाहिर की थी चूँकि देश में लोकतंत्र, हरेक को बोलने की आज़ादी है राहुल अपनी बात कह सकेंगे।ऐसा नहीं हुआ।
कांग्रेस के ट्वीट पर यक़ीन करना हो तो:
‘’नारे लगे - राहुल जी को बोलने दो... बोलने दो.. बोलने दो
फिर ओम बिड़ला मुस्कुराए और सदन म्यूट हो गया।’’
नीतीश के मुँह में क्या भाजपा की गोशाला के दूध का इतना दही जम गया है कि जातिगणना के मुद्दे पर भाजपा राहुल पर हमला कर रही है और जाति के मुद्दे पर चुनाव जीतकर राजनीति करने वाले बिहार के कथित क्रांतिकारी मुख्यमंत्री सन्नाटा ताने हुए हैं ?
कल अदालत को ज्ञान दिया जा रहा था कि माँगी गई जानकारी जुटाना कितना मुश्किल काम है और बैंक को क्यों समय चाहिए ! अदालत ने खड़ी बोली में समझा दिया तो रात भर में सारी जानकारी तैयार हो गई। वाह …..उस्ताद !
Please stop lecturing Rajdeep. You have played your innings well managing batting, bowling and fielding with every team of politics. In fact,there is strong need for people like you to introspect more than all others.There has never been any credibility crisis for honest people.
In the last 12 hours, I have been dumped on by a number of people for standing by a young reporter colleague for asking a question in a press conference . Some of the feedback is instructive and reveals the serious credibility crisis facing news tv. Yes, we need to introspect
केजरीवाल की तकलीफ़ की जड़ में केंद्र का अध्यादेश नहीं बल्कि राहुल की प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवारी का ख़ौफ़ है।इस मुद्दे पर भाजपा और ‘आप’ एक हैं।’आप’ की माँग यही दिखती है कांग्रेस घोषणा कर दे राहुल पीएम पद के उम्मीदवार नहीं होंगे तो केजरी भी अध्यादेश को मुद्दा नहीं बनाएँगे।
नीतीश,ममता और अखिलेश को भी अब समझ में आ गया होगा कि विपक्षी एकता के लिए किससे ज़्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है : भाजपा और मोदी से या ‘आप’ और अरविंद से ! राहुल को तो पहले ही समझ में आ गया था।
नीतीश कुमार के लिए भाजपा के पट फिर से बंद होने वाले हैं। बिहार के मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव 30 जनवरी को पूर्णिया में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ की रैली में भाग लेने वाले हैं।
देश को बचाना चाहते हैं ? देश को नक़ली पत्रकारों से बचाना चाहते हैं ? राहुल गांधी की आज की प्रेस कांफ्रेंस ज़रूर सुनिए।सरकार की ‘गोद’ में बैठे चैनल और अख़बार कुछ नहीं देने वाले हैं।पीएम से प्रार्थना करिए कि वे अब तो कम से कम एक प्रेस कांफ्रेंस करके राहुल के आरोपों के जवाब दे दें।
सोचा ही नहीं गया होगा राहुल अगर चलना बंद कर दें तो दूसरा कौन है जो चलने वाला है ? इतने बड़े देश में क्या कोई और नज़र आता है जो भविष्य की किसी यात्रा के लिए मशाल राहुल के हाथ से लेकर अपने हाथों में थाम लेगा ? पढ़िए श्रवण गर्ग का यह आलेख :
अजित पवार द्वारा जिस दिन डिग्री के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री का बचाव किया गया था राहुल गांधी की समझ में आ गया होगा कि अब दादा शरद पवार भी अब अदाणी के बचाव में उतरने ही वाले हैं।अदाणी के लिए छह दशक की राजनीति दाव पर लगाना कोई छोटा-मोटा त्याग नहीं है। सिर्फ़ पवार ही कर सकते हैं ?
जानना बेहद ज़रूरी है ! मोरबी की दर्दनाक घटना में मारे गए 135 लोगों में 55 छोटे-छोटे बच्चे थे।’इंडियन एक्सप्रेस’ अख़बार में आज (रविवार को) प्रकाशित ‘संडे स्टोरी ‘ में बीस बच्चों से जुड़ी व्यथा :
NTA and its shady chairman 🧵 Meet Dr. Pradeep Kumar Joshi, the serial offender who has no taste of merit but repeatedly secures coveted appointments by just being a loyal RSS man. His career is as phenomenal as any chamcha could dream of. Let's go through his biodata. (1/n)
लोकसभा और राज्यसभा में कहे गए को सुन लिया हो तो : कांग्रेस के लिये देश की सबसे बड़ी दुश्मन बेरोज़गारी,महंगाई और भ्रष्टाचार है पर पीएम के लिए सबसे बड़ी दुश्मन सिर्फ़ कांग्रेस और राहुल हैं ! फ़र्क़ दिखता छोटा है पर है बड़ा ! पीएम से बेरोज़गारी-महंगाई पर दो दिनों में कुछ सुना क्या ?
क्या मार्च 1977 में आपातकाल के दौरान हुए लोकसभा चुनावों में मतदान के आँकड़ों को लेकर इंदिरा गांधी संदेह नहीं उत्पन्न करा सकतीं थीं ?वे अगर ऐसा करना चाहतीं तो क्या तब का निर्वाचन आयोग मदद नहीं करता ? इंदिराजी ने लाभ क्यों नहीं लिया और जनता पार्टी सरकार क्यों बन जाने दी ? सोचिए !
जो लोग खड़े-खड़े कांग्रेस छोड़ रहे हैं कौन हो सकते हैं ? क्या वे सायलेंटली काम कर रहे भाड़े के राजनीतिक हत्यारे हैं या किसी गिरोह के सदस्य जो भाजपा की ही ज़ुबान बोलते हैं ? राहुल भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के अंदरूनी सवर्णवाद से भी लड़ रहे हैं ? सुनिए श्रवण गर्ग की यह खरी-खरी :
मेरे द्वारा लिया गया जे पी का यह चित्र इलाहाबाद का है जब जून 1974 में वे मूसलाधार बारिश में भी बिना रुके सभा को सम्बोधित करते रहे। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ भी अब एक नया आंदोलन है।भारी बारिश के बीच मैसूर की सभा में राहुल के भाषण से जून 1974 के इस दृश्य का स्मरण हो आया।
सुप्रिया सुले लोकसभा में मणिपुर के सीएम का इस्तीफ़ा माँग रही हैं ! पीएम मोदी मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से इस्तीफ़ा माँगेंगे कैसे ? बीरेन सिंह ने अगर पलट कर पूछ लिया कि गुजरात दंगों के बाद अटल जी ने तो मोदी जी का इस्तीफ़ा नहीं माँगा था ? न ही मोदी जी ने ही तब इस्तीफ़ा दिया था ?
एक लिस्ट बनाकर जनहित में जारी की जाए कि विपक्षी इंडिया गठबंधन से जुड़े किन-किन नेताओं ने मुंबई में हो रहे वैभव के भौंडे प्रदर्शन में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर अपने-अपने राज्यों के ग़रीबों और राहुल गांधी का सार्वजनिक रूप से अपमान किया !
ब्रिटेन में लेबर पार्टी और ईरान में सुधारवादी-उदारपंथी राष्ट्रपति की विजय में भारत की अल्पसंख्यक-विरोधी हिन्दुत्ववादी हुकूमत के लिए गहरे संकेत हैं।अगर समझ में आ सकें।
विपक्ष को लेकर समर्थकों की चिंताएँ अनंत हैं !पहले चिंता थी भीड़ उमड़ेगी कि नहीं ?अब चिंता है वोटों में तब्दील होगी कि नहीं ?मतदान के बाद की चिंता यह कि गिनती में चंडीगढ़ तो नहीं हो जायेगा ? ‘हो गया’ तो बाद की चिंता यह कोर्ट का फ़ैसला पक्ष में आएगा कि नहीं ?नहीं आया तो क्या होगा ?
विपक्ष के नये नेता को आज सुन-देख लिया ? अब ज़रा कल्पना कीजिये कि पिछली लोकसभा में विपक्ष का नेता कौन था और उसने अपने पाँच साल के कार्यकाल के दौरान भाजपा को कितना योगदान दिया !
London School of Economics से पढ़कर निकले किसान नेता की राजनीतिक फसल के लिए लाभकारी MSP की घोषणा कर दी गई है। दिल्ली में आंदोलन कर रहे कम पढ़े-लिखे बहादुर किसानों को अनाज की फसलों की MSP के लिए लंबी प्रतीक्षा करना पड़ेगी।
बताइए कांग्रेस अगर मध्यप्रदेश में जीत जाती तो कमलनाथ सरकार सबसे पहला काम क्या करती ? क्या लोकसभा चुनावों में राहुल गांधी को प्रदेश की सारी 29 सीटें दिलाने के लिए कार्यकर्ताओं की टीम बनाने का काम करती ? नहीं ! वह सबसे पहला काम आईपीएल के लिए टीम बनाने का करती ?
मोदीजी की सत्ता को बचाने की लड़ाई भाजपा नहीं ‘गोदी मीडिया’ लड़ रहा है।ऐसा इसलिए कि सत्ता और मीडिया के बीच 2014 से चल रही साँठगाँठ अब उजागर हो गई है।हुकूमत चली गई तो उसकी सबसे ज़बर्दस्त मार गोदी मीडिया पर पड़ेगी।मीडिया के मालिक ही सरकार की रीढ़ भी हैं।सुनिए श्रवण गर्ग की खरी-खरी:
राहुल गांधी को पिछले सितंबर में ही आभास हो गया था कि इस सितंबर में क्या होने वाला है। अपनी ऐतिहासिक यात्रा को इसीलिए उन्होंने ‘इंडिया जोड़ो यात्रा’ नाम नहीं दिया।
राहुल गांधी ने जनता को उसके घरों से बाहर सड़कों पर निकालकर सत्तारूढ़ दल की इस ग़लतफ़हमी को दूर कर दिया कि देश उसके साथ है। सुनिए दस मिनिट की यह बातचीत:
भाजपा अगर विधानसभा चुनाव वाले राज्यों को पाँच सौ रुपये में गैस का सिलेंडर दे सकती है तो देश की बाक़ी जनता ने क्या बिगाड़ा है ? यह लाभ तो पूरे देश की जनता को मिलना चाहिए।
In allowing 7 NCP MLAs to support BJP’s coalition in Nagaland Pawar’s political manoeuvring had already got exposed. Now he is trying to cover it up saying that Nagaland being a sensitive area, it was done in national interest. He may be opposing JPC also in d national interest ?