कुछ रूहानी से खत
रोज लिखती हूँ
तुम्हारे लिए ....
और रख देती हूँ
इत्रों में भिगो कर...
उम्मीद ..
कभी तो होगी फुर्सत
कभी तो पढ़ ही लोगे तुम ...
#सरितात्रिवेदी
20-6-17
तेरे आने की जब खबर महके
तेरी खुश्बू से सारा घर महके
शाम महके तेरे तसव्वुर से
शाम के बाद फिर सहर महके
रात भर सोचता रहा तुझको
ज़हनओ दिल मेरे रात भर महके
#नवाज़_देवबन्दी
तुमसे प्रेम है
कहने मे नहीं समाता
अंश भर भी प्रेम
शब्दों मे नहीं
ढल पाती
दूरियों की कथा
तुम्हारी कमी है,कहना
जाहिर नहीं करता
अंश भर व्यथा
i love u और I miss u
सबसे निरर्थक वाक्यांश हैं
#Nirjhara
स्त्रियां हारती रहती हैं
प्रेम में...
पुरूष को जिताने के लिए...
मगर पुरूष नहीं जानता
यह बात..
वो गर्व से सुनाता है
अपनी विजय गाथाएं
और
स्त्रियां, मुस्कुराते हुए सुनती है...
#सरितात्रिवेदी
होती रही ज़हन में तेरे ख्यालों की मद्धम बरसात
जरा भीगी भीगी सी गुजरी
बीती रात
मेरी आंखों से लड़ती रही मेरी नींद न जाने क्यों
मेरे साथ रहे जागते तेरे ख़्वाब भी सारी रात
#सरितात्रिवेदी
लंबे अवकाश के बाद लौट आई हूं फिर आपके बीच🙏🙏💐💐
उन दिनों जब आवाजे
नहीं पहनती थी
शब्दो के लिबास
खूबसूरत लहजों से
श्रृंगारित नहीं थी बातें
तब भी तो रहे होंगे प्रेमी
तब भी तो एक आतुर पुकार
गूंजती होगी
आज ठीक उसी तरह
गर पुकारूं तुम्हें
तुम सुन लोगे न
सुनते है
भावों की अपनी भाषा होती है
#सरितात्रिवेदी
खुद से भी छुपा हुआ था
मेरा अपना ही इक किरदार
उसने बस यूं किया ..
मुझमें से.. मुझे निकाल लिया
बेसबब बेवज़ह बेसमय
अक्सर चौंकाती है ज़िंदगी
मै इन दिनों दूर खडी
हैरत से तकती रहती हूं खुद को
#सरितात्रिवेदी
स्त्रियां..
अभिनय में कुशल हो��ी है
एकदम परफैक्शनिस्ट
बहुत बार झूठे होते हैं
उनके आंसू.....!!
मगर
कहीं बहुत ज्यादा बार
झूठी होती हैं
उनकी हंसी...
#सरितात्रिवेदी
सबसे खराब होता है
जाने या ठहरने के
बीच के निर्णय पर
कहीं अटक जाना
कदमों का
ठिठके रहना
देर तक दहलीज़ पर
आकुल और कातर
छलके विदा आंसुओं
के मध्य ही
लौट आने की इच्छा जगना
अंतिम आस निरास के
संशयों के बीच झूलना
सबसे खराब होता है
रूकने की इच्छा होने पर भी
चले जाना
#सरितात्रिवेदी
तुम्हें भी ऐसा लगता है क्या??
सूरज उगा ,बडी खामोशी से
हवा भी मद्धम शांत
कोई हलचल कहीं नहीं
और जिंदगी ठहरी ठहरी है
कितना खालीपन पसरा है!!
सुबह से बात हुई नहीं तुमसे??
#सरितात्रिवेदी
साल दर साल
पलटना कैलेण्डर
इत्मीनान से देखना
समय को व्यतीत होते हुए
बगैर इस चिंता के...
कि,वक्त के साथ
व्यतीत हो रहा है
और भी बहुत कुछ..
और
देखना साक्षी भाव से
#सरितात्रिवेदी
नव वर्ष मंगल मय हो
मुझे पंख चाहिए थे
मैने दरख्तों से ले लिए
उडे दरख़्त भी नही कभी
उडना मुझे भी नहीं है
बस एक खुशनुमा ख्याल काफी है
पंख हैं मेरे पास
गर कभी चाहूं ..जो
उड़ना....!
और दरख़्त तो है ही
जो चाहूं न उड़ना
दरख़्त आरामगाह हैं
उड़ते पक्षियों के
,#सरितात्रिवेदी
तुम चाय नहीं पीते
और मैं भी अब .. नहीं पीती
( इश्क़ में धीरे-धीरे मैं तुम्हारे जैसी हो गयी हूं)
मगर ...
बारिशों की आहट है
गर जो , तुम भी आ जाओ
हम छोटा सा
गैट टू गैदर रख लें
बारिश , शाम , चाय
और हम- तुम,
(इश्क़ में कभी कभी तुम भी मेरे जैसे हो सकते हो)
#सरितात्रिवेदी
तुमसे प्रेम है...
कहने मे नहीं समाता
अंश भर भी प्रेम ,
शब्दों मे कभी
ढल पाती नहीं
दूरियों की यथा-कथा..
तुम्हारी कमी है कहना
जाहिर नहीं करता
वास्तविक व्यथा...
i love u और I miss u
सबसे निरर्थक वाक्यांश हैं
...st
मैं तुम्हें देख रहा हूं...
सांवली सी रात के भाल पर
सुनहरे सिंदूरी चांद का टीका
तुम्हारे चेहरे पर निखरा
चांदनी सा दर्प ....
और मैं... मोहित मुग्ध
सब भूल रहा हूं
कितनी दूर हो तुम
मगर लगता है..
मैं तुम्हें देख रहा हूं
#सरितात्रिवेदी