फ़्रिज है, सोफ़ा है, बिजली का झाड़ है
महल आबाद है,झोपड़ी उजाड़ है
उखाड़ है,पछाड़ है
धत तेरी, धत तेरी,कुच्छो नहीं,कुच्छो नहीं
ताड़ का तिल है,तिल का ताड़ है
पब्लिक की पीठ पर बजट का पहाड़ है—
#Budget
देख बाबा नागार्जुन की कविता याद आ गई
#incometax
#Budget2023
#NirmalaSitaraman