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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद) Profile
Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)

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All About Premchand (Dhanpat Rai)'s literature. He was an Indian writer famous for his modern Hindustani literature. (31 July'1880 - 08 Oct'1936) #Premchand

Joined April 2020
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
जब किसान के बेटे को गोबर में बदबू आने लग जाए तो समझ लो कि देश मे अकाल पड़ने वाला है। ~ प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
जब से ब्रह्मा ने सृष्टि रची, तब से आज तक कभी बारातियों को कोई प्रसन्न नहीं रख सका। - मुंशी प्रेमच��द
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
हमारे यहाँ विवाह का आधार प्रेम और इच्छा पर नहीं, धर्म और कर्तव्य पर रखा गया है। इच्छा चंचल है, क्षण-क्षण में बदलती रहती है। कर्तव्य स्थायी है, उसमें कभी परिवर्तन नहीं होता। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... जब किसान के बेटे को गोबर में बदबू आने लग जाए तो समझ लो कि देश मे अकाल पड़ने वाला है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
पहाड़ों की कंदराओं में बैठकर तप कर लेना सहज है, किन्तु परिवार में रहकर धीरज बनाये रखना सबके वश की बात नहीं! -प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है! - प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
समझ किताबें पढ़ने से नहीं आती, दुनिया देखने से आती है। #MunshiPremchand
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है, आगे बढ़ते रहने की लगन का! -प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
भविष्य की चिंता हमें कायर बना देती है। - प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
निर्धनता प्रकट करना निर्धन होने से अधिक दुखदायी होता है।
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
'स्त्री पुरुष से उतनी ही श्रेष्ठ है, जितना प्रकाश अंधेरे से..' - प्रेमचंद [ @imharleenDeol ]
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
.. निर्धनता प्रकट करना निर्धन होने से अधिक दुखदायी होता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
एक अजीब सी, दौड़ है ये ज़िंदगी, जीत जाओ तो कई, अपने पीछे छूट जाते हैं, और हार जाओ तो, अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं, - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“जब हमारे ऊपर कोई बड़ी विपत्ति आ पड़ती है, तो उससे हमें केवल दुःख ही नहीं होता, हमें दूसरों के ताने भी सहने पड़ते हैं।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
मंदिर में दान खाकर, चिड़िया मस्जिद में पानी पीती है, सुनने में आता है राधा की चुनरीया, कोई सलमा बेगम सीति है, - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
...पहाड़ों की कंदराओं में बैठकर तप कर लेना सहज है, किन्तु परिवार में रहकर धीरज बनाये रखना सबके वश की बात नहीं!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
संसार में सबसे आसान काम अपने को धोखा देना है। - प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
पहाड़ों की कंदराओं में बैठकर तप कर लेना सहज है, किन्तु परिवार में रहकर धीरज बनाये रखना सबके वश की बात नहीं!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“हम लोग समझते हैं, बड़े आदमी बहुत सुखी होंगे, लेकिन सच पूछो तो वह हमसे ��ी ज्यादा दुःखी हैं। हमें अपने पेट ही की चिंता है, उन्हें हजारों चिंताएँ घेरे रहती हैं।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
जब डूबना ही है, तो क्या तालाब और क्या गंगा। - प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
एक अजीब सी, दौड़ है ये ज़िंदगी, जीत जाओ तो कई, अपने पीछे छूट जाते हैं, और हार जाओ तो, अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं, - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“युवावस्था में एकान्तवास चरित्र के लिए बहुत ही हानिकारक है।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... देहात में जिसके घर में दोनों जून चूल्हा जले, वह धनी समझा जाता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“तुम बीमार पड़ोगे तो तुम्हारी सेवा करेगी? तो ऐसी वही औरत कर सकती है, जिसने तुम्हारे साथ जवानी का सुख उठाया हो।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
जिस बंदे को पेट भर रोटी नहीं मिलती, उसके लिए मर्यादा और इज्‍जत ढोंग है! - प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है! जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे ? - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
मै एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
यह जमाना चाटुकारिता और सलामी का है तुम विद्या के सागर बने बैठे रहो, कोई सेत भी न पूछेगा। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
हमारे यहाँ विवाह का आधार प्रेम और इच्छा पर नहीं, धर्म और कर्तव्य पर रखा गया है। इच्छा चंचल है, क्षण-क्षण में बदलती रहती है। कर्तव्य स्थायी है, उसमें कभी परिवर्तन नहीं होता। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... माँ की 'ममता' और पिता की 'क्षमता' का अंदाज़ा लगा पाना असंभव है! #HappyFathersDay
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
जो कभी रो नही सकता वो कभी प्रेम नही कर सकता, रूदन और प्रेम दोनो एक ही स्रोत से निकलते हैं। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नही खुला!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है! जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे? - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
कोई भी इंसान अच्छा या बुरा नहीं होता, अच्छा और बुरा होता है। - प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
कुछ पढ़े लिखे लोगों ने गरीबों को लूटने के लिए एक संस्था बनाई है, जिसका नाम ‘सरकार’ है। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
हमारे यहाँ विवाह का आधार प्रेम और इच्छा पर नहीं, धर्म और कर्तव्य पर रखा गया है। इच्छा चंचल है, क्षण-क्षण में बदलती रहती है। कर्तव्य स्थायी है, उसमें कभी परिवर्तन नहीं होता। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है! जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे?
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं! #GuruPurnima
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है, आगे बढ़ते रहने की लगन का!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... मासिक वेतन पूरनमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
जिससे प्रेम हो गया, उससे द्वेष नहीं हो सकता चाहे वह हमारे साथ कितना ही अन्याय क्यों न करे। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
दूसरे के लिए कितना ही मरो, तो भी अपने नहीं होते। पानी तेल में कितना ही मिले, फिर भी अलग ही रहेगा। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“जब डूबना ही है, तो क्या तालाब और क्या गंगा।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“अच्छे कपड़ों में कुछ स्वाभिमान का अनुभव होता है।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
...लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है! जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे?
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
...मै एक मज़दूर हूँ! जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... दौलतमंद आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है! #KalamKaSipahi
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... जब किसान के बेटे को गोबर में बदबू आने लग जाए तो समझ लो कि देश मे अकाल पड़ने वाला है! #KalamKaSipahi
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
“नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत देना, यह तो पीर का मज़ार है। निगाह चढ़ावे और चादर पर रखनी चाहिए। ऐसा काम ढूँढना जहाँ कुछ ऊपरी आय हो। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“इसलिए कि जहां दौलत ज्यादा होती है, वहां डाके पड़ते हैं और जहां कद्र ज्यादा होती है, वहां दुश्मन भी ज्यादा होते हैं।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
जिन वृक्षों की जड़ें गहरी होती हैं, उन्हें बार-बार सींचने की जरूरत नहीं होती। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
.. अतीत चाहे जैसा हो, उसकी स्मृतियाँ प्रायः सुखद होती हैं!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महंगा सौदा नहीं है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है! जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे? #PoetsTwitter
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
जिस बंदे को पेट भर रोटी नहीं मिलती, उसके लिए मर्यादा और इज्‍जत ढोंग है! - प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
"संसार में गऊ बनने से काम नहीं चलता, जितना दबो, उतना ही दबाते हैं।" - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
...सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य-पथ पर अविचल रहते हैं!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं उसकी दौलत का सम्मान है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
“लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है। जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे? क” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है! जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे? #PoetsTwitter @kavishala
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... सबल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद भी कोई नहीं सुनता!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
लिखते तो वह लोग हैं, जिनके अंदर कुछ दर्द है, अनुराग है, लगन है, विचार है! जिन्होंने धन और भोग-विलास को जीवन का लक्ष्य बना लिया, वह क्या लिखेंगे? - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“बहते हुए आँसू बतला रहे थे कि मोह का बंधन तोड़ना कितना कठिन हो रहा है। जो कुछ अपने से नहीं बन पड़ा, उसी के दु:ख का नाम तो मोह है।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... शारीरिक कष्टों का सहना उतना कठिन नहीं है, जितना कि मानसिक कष्टों का!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
मासिक वेतन पूरनमासी का चाँद है। जो एक दिन दिखाई देता है और घटते-घटते लुप्त हो जाता है। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... नमक की खान मे जो कुछ जाता है, नमक हो जाता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... सबल की शिकायतें सब सुनते हैं, निर्बल की फरियाद भी कोई नहीं सुनता!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... जीवन एक दीर्घ पश्चाताप के सिवा और क्या है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
कभी-कभी हमें उन लोगों से शिक्षा मिलती है, जिन्हें हम अभिमान वश अज्ञानी समझते हैं। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
जब डूबना ही है, तो क्या तालाब और क्या गंगा। - प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... इंसान सब हैं, पर इंसानियत विरलों में मिलती है! #Poetry4Peace
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... जिस तरह सुखी लकड़ी जल्दी से जल उठती है, उसी तरह भूख से बावला मनुष्य जरा जरा सी बात पर तिनक जाता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
देह के भीतर इसीलिए आत्मा रखी गई है कि देह उसकी रक्षा करे। इसलिए नहीं कि उसका सर्वनाश कर दे। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... प्रेम एक बीज है,जो एक बार जमकर फिर बड़ी मुश्किल से उखड़ता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... इंसान सब हैं, पर इंसानियत विरलों में मिलती है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... जब मनुष्य निरुपाय हो जाता है, तो विधाता को कोसता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें, तो यह कोई महंगा सौदा नहीं है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
अहंकार नशे का मुख्य रूप है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... निराशा सम्भव को असम्भव बना देती है! #ChupMatRaho
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
भारत का साहित्य! @kavishala
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
जिस बंदे को दिन की पेट भर रोटी नहीं मिलती, उसके लिए इज्‍जत और मर्यादा सब ढोंग है। - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
3 years
दूसरे के लिए कितना ही मरो, तो भी अपने नहीं होते। पानी तेल में कितना ही मिले, फिर भी अलग ही रहेगा! -प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
लोग कहते हैं, जुलूस निकालने से क्या होता है ? इससे यह सिद्ध होता है कि हम जीवित हैं! #RepublicDay
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
1 year
“कैसी ही अच्छी वस्तु क्यों न हो, जब तक हमको उसकी आवश्यकता नहीं होती तब तक हमारी दृष्टि में उसका गौरव नहीं होता।” - मुंशी प्रेमचंद
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
...जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है; उनका सुख छीनने में नहीं!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... निर्धनता प्रकट करना निर्धन होने से अधि�� दुखदायी होता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
किसी को भी दूसरों के श्रम पर मोटे होने का अधिकार नहीं हैं। उपजीवी होना, घोर लज्जा की बात है। कर्म करना प्राणिमात्र का धर्म है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
4 years
... डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूंगा हो जाता है!
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Munshi Premchand (मुंशी प्रेमचंद)
2 years
दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है। - मुंशी प्रेमचंद
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