रिश्ते-सम्बन्ध 'भावनाओं' से बनते हैं, 'भवनों' से नहीं,
क्योंकि .., जिन बड़े-बड़े भवनों में 'भावनायें' नहीं है, वहाँ 'रिश्ते' भी कहाँ रहते हैं??
इसलिए .., जहाँ भावनाओं की 'कदर' होती है, वहाँ मन अपने आप झुक जाता है, भले ही उस रिश्ते का कोई नाम ना हो।
आपका दिन शुभ हो ।।