जी करता है तुम्हे निहारू,
अपना सबकुछ तुम पर वारु।
चेहरा सुंदर, दिल है सुंदर, आंखे भी नशीली हैं,
हमको दोष न देना प्रिय जी इनसे थोड़ी पीली है।
नशा चढ़ा है ऐसा कि मैं हरदम तुम्हारा नाम पुकारूं।
जी करता है तुम्हे निहारूं।
- 'नीरज'
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मारवाड़ी की पकड़ होती है धन पर।
और मीरा की पकड़ है प्रेम पर। और धन और प्रेम दुश्मन हैं। इसलिए कहा होगा: म्हारो देश मारवाड़! कि वाह रे वाह, हे परमात्मा, तूने भी कैसा चमत्कार किया--म्हारो देश मार���ाड़!
प्रेम और धन विपरीत हैं। क्यों?
ओशो
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बहुत किए प्रयास,
किंतु बुझी न फिर भी प्यास।
बहुत मिला और बहुत है,
फिर भी सदा बनी रहती है,
और अधिक की आस।
मन का संशय बढ़ता जाता,टूटे सब विश्वास,
उर की व्यथा किसे बताएं, हरदम रहे उदास।
सब प्रिय अब छूट गए है, तू ही बचा बस खास,
तूने छोड़ा कहां जायेंगे, कौन रहेगा पास।
नीरज