पहले इस्तीफ़ा, फिर किताब :
राहुल गांधी पर सच लिखना कितनी मुश्किलें खड़ी करेगा, मुझे बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था। ऐसे समय जब सत्ताधीशों पर गाथा-पुराण लिखने की होड़ लगी हो, मैंने सोचा था कि एक लोकनीतिक विचारक की सोच, दृष्टि और दृढ़ता को संकलित कर प्रस्तुत करना किसी को क्यों
शंकराचार्य को एक बार फिर सुनिए…
मोदी और उनकी BJP ने पहले ‘हिंदू -मुसलमान’ कराया गया। अब ‘हिन्दू से हिन्दू को लड़ाया जा रहा है। भगवान राम से महान नरेंद्र मोदी को बताया जा रहा है। IT सेल और उनके समर्थक अयोध्यावासियों को माँ-बहन की गालियां दे रहे हैं । शंकराचार्य को गालियां दे रहे
प्रिय, मुकेश अंबानी।
आपके घर में शादी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आने वाले हैं। आपकी व्यस्तता समझता हूँ।
शादी का मज़ा किरकिरा नहीं करना चाहता। लेकिन फिर ख़याल आता है क़ानूनी लड़ाई में उलझे रहने का। बच्चों की फ़ीस का! बुजुर्ग माँ -बाप का। महंगी लौकी,गिलकी और पेट्रोल ! और
राहुल गांधी पर किताब के लिए आपकी मोहब्बत,समर्थन और प्यार के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। इस प्यार ने मुझे इस्तीफ़े के बाद अकेलेपन से बचाते हुए लड़ने का हौसला दिया है। किताब अब अमेज़न पर उपलब्ध है। पढ़िए,बताइए -किताब के लिए सत्ता और ‘सांप्रदायिक’ मीडिया में इतनी बेचैनी क्यों हैं…
किताब को अपार स्नेह,हौसला और डटे रहने की शक्ति के लिए बहुत सारा शुक्रिया
@ppbajpai
सर। Rahul Gandhi: Sampradayikta, Dushprachar, Tanashahi se Aitihasik Sangharsh ‘राहुल गांधी : सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार, तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष
राहुल ने उनको गले लगाया कि जिन्हें कोई गले नहीं लगाता : फ़ारुख़ अब्दुल्ला
भारत गांवों में बसता है, राहुल गांधी ने उन लोगों को गले लगाया! जिनमें देश बसता है, जिन्हें कोई गले नहीं लगाता।
आज संविधान और देश की परंपरा को बचाने का वक्त आ गया है।
~ फारूक अब्दुल्ला।
ब्रेकिंग न्यूज़: मीडिया का निधन!
भारतीय मीडिया का निधन हो गया है।
ओम शांति!
‘अयोध्या की ओर दौड़ती मीडिया की गाड़ियां,‘हिंदू’मीडिया की हैं। इनको मीडिया समझने की गलती न करें । नोएडा के सारे संपादक मीडिया के अंतिम संस्कार में मौजूद थे। जिन्होंने अंतिम संस्कार में जाने से इनकार
किताब लिखना ख़तरनाक काम है...
किताब लिखना ख़तरनाक काम है। राहुल गांधी पर किताब लिखना ख़तरनाक है । किताब छपने से कौन डरता है? किताब अमेजॉन पर उपलब्ध है। किताब की कीमत केवल ₹650 है। लेकिन सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार,तानाशाही का विरोध करने वाली किताब के पीछे आईटी सेल और 'ईस्ट इंडिया
प्रधानमंत्री पर कांग्रेस को मुक़दमा करना चाहिए…
प्रधानमंत्री की भाषा लोकतंत्र और संविधान पर सबसे बड़ा हमला है। कांग्रेस को अपने ‘घोषणा पत्र’ के दुष्प्रचार और मनमोहन सिंह सरकार के नाम पर झूठ फैलाने के लिए प्रधानमंत्री पर मुक़दमा दर्ज करना चाहिए।
ब्रेकिंग न्यूज़: मीडिया का निधन!
भारतीय मीडिया का निधन हो गया है।
ओम शांति!
‘अयोध्या की ओर दौड़ती मीडिया की गाड़ियां,‘हिंदू’मीडिया की हैं। इनको मीडिया समझने की गलती न करें । नोएडा के सारे संपादक मीडिया के अंतिम संस्कार में मौजूद थे। जिन्होंने अंतिम संस्कार में जाने से इनकार
राहुल गांधी और तानाशाह की FIR
विपक्ष का सक्रिय होना,यात्रा में होना लोकतंत्र का सबसे शुभ और कल्याणकारी होता है । हमारे देश में यह बहुत सामान्य घटना हुआ करती थी।
BJP के दो ही सांसद थे। किसी भी दिन दोनों पर मुक़दमा दर्ज किया जा सकता था। हमेशा के लिए जेल हो सकती थी,लोकसभा की
संकटमोचक राजीव कुमार…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ हेट स्पीच पर कार्रवाई नहीं करने और विपक्ष को निशाना बनाने के सवाल को टालने के लिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार को बधाई।परफार्मेंस धमाकेदार रही।
अब कोई भी पद और पद्मश्री से लेकर भारत रत्न तक
डियर,
राजीव कुमार, मुख्य चुनाव आयोग!
आप और आपके बाक़ी दो आयुक्त अख़बार पढ़ते होंगे? टेलिविज़न भी देखते होंगे! आज के ‘इंडियन एक्सप्रेस’में जो इमरजेंसी में खड़े होने की जुगाली करते नहीं थकता, यह विज्ञापन छपा है। भारत की सबसे बड़ी और ताक़तवर मीडिया कम्पनी ‘राइज़िंग भारत’ कर रही
अग्निवीर : राहुल गांधी और एमएम नरवणे !
राहुल गांधी की चेतावनी फिर सही साबित हुई।संसद में अग्निवीर को देश के लिए ख़तरनाक, थोपी गई योजना वाला उनका भाषण सही साबित हुआ। पूर्व सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने अपनी किताब में यही बात दुहराई है।'फोर स्टार्स ऑफ डेस्टिनी' में वह लिखते हैं
EVM और सैम पित्रोदा!
सैम पित्रोदा, भारत में दूरसंचार क्रांति के जनक हैं. सैम का पूरा नाम सत्यनारायण पित्रोदा हुआ करता था, जो अमेरिका में काम करने के दौरान चेक पर बड़ा नाम होने के चलते बदल कर सैम कर दिया गया.
सैम 1980 में अमेरिका में दुनिया की पहली डिजिटल कंपनियों में से एक
'वो मुझे ख़त्म करना चाहते हैं, मैं मिट्टी में मिल जाऊँगा। उस मिट्टी पर एक फूल खिलेगा-सवाल।
उसकी ख़ुशबू से मेरा लोकतंत्र महकेगा।'
लोकतंत्र में अपनी भूमिका निभाइए। दमनकारी-सांप्रदायिक मीडिया से असहयोग करें।हर उस आदेश की अवहेलना करें,जो सांप्रदायिक, हिंसक, लोकतंत्र और संविधान के
Protests against using EVMs in elections and asking the Election Commission to act responsibly were not reported by the Mainstream Media the way they should have been.
Why is the
@ECISVEEP
, a constitutional body, so scared to answer relevant questions?
राहुल गांधी पर जिस किताब को लिखने से पहले मुझे इस्तीफ़ा देने के लिए कहा गया, उसकी शुरुआत देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के इलाहाबाद की चुनावी रैली में दिए गए भाषण से होती है। 12 दिसंबर 1951 को दिए गए इस भाषण से हम नेहरू का 'आइडिया ऑफ़ इंडिया' समझ सकते हैं। राहुल गांधी,
बहुत शुक्रिया। आपने किताब को बेमिसाल प्यार दिया है। इस अपनी ओर से आप तक किताब पहुँचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं लेकिन अमेज़न पर तकनीकी कारणों से आपको असुविधा हो रही है ।इसलिए, अब दूसरा विकल्प भी है। आप 78799 28528 पर वाट्सएप आपना पता, आपका मोबाइल नम्बर और भुगतान का स्क्रीनशॉट भेज
हां, मैंने गुलामी से इनकार किया है। संविधान और लोकतंत्र से प्यार किया है। गांधी, नेहरू और आंबेडकर के दिखाए रास्ते पर हूं। अब यह लड़ाई 'दीये' और तूफान की है। आज संविधान दिवस है। जिस मीडिया पर संविधान, लोकतंत्र को सींचने और बचाए रखने की जिम्मेदारी थी, वह पत्रकार को किताब लिखने के
भोपाल में मंत्रालय में आग लगने का पुराना इतिहास फिर दोहराया गया।
सतपुड़ा और वल्लभ भवन में समय-समय पर आग लगती रहती है। ज़रूरी कागजातों को जलाते हुए आग घोटालों को हमेशा के लिए ठंडा कर देती है!
घोटालों से बचने का यह शानदार तरीक़ा है। देश भर की सरकारें इसे अपना सकती हैं ।
PM के लिए पसंद : राहुल गांधी को 66% , नरेंद्र मोदी को 22 % वोट !
राहुल गांधी 2024 में प्रधानमंत्री के तौर पर नागरिकों के सर्वे में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी नरेंद्र मोदी से भारी मतों से आगे निकल गए हैं!
इसको सुरक्षित कर लीजिए इससे पहले कि इसे डिलीट कर दिया जाए!
यह सर्वे सरकार
‘नाथों’का विश्वासघात और राहुल गांधी!
कांग्रेस का असली संकट,कांग्रेस के भीतर खिले ‘कमल’ हैं। एक परिवार को और क्या चाहिए था ।दशकों से सांसद, बार-बार केन्द्रीय मंत्री फिर मुख्यमंत्री, बेटा सांसद ।प्रदेश कांग्रेस के मुखिया। पूरा प्रदेश हारकर, अपना क़िला बचाने का दंभ।
हसरतों को
संसद में भाषा और विचार की भीषण कमी के बीच बिहार विधानसभा से तेजस्वी यादव का भाषण ‘नई’शुरुआत है! तेजस्वी के भाषण में राजनीतिक ग़ुस्से के साथ, लोकतांत्रिक मर्यादा का दुर्लभ समावेश है।
प्रधानमंत्री की गारंटी को बिहार से चुनौती ‘सही’ समय पर मिली है।
राहुल गांधी क्या हैं…
राहुल गांधी, लोकतंत्र की उम्मीद का दीया हैं,
तानाशाह की नफ़रत का तूफ़ान जिसके आगे बौना पड़ गया |
राहुल गांधी क्या हैं…
राहुल गांधी वो ‘ख़तरनाक’ आदमी हैं
जिस पर किताब लिखने के लिए तानाशाह ने काट दिए लेखक हाथ…
राहुल गांधी क्या हैं…
‘पूछते हैं वो
अब PM आवास घोटाला !
मीडिया बड़ी आसानी से घोटाले को फ़र्ज़ीवाड़े में बदल देता है। DHLF ने सही समय पर चंदा नहीं देने की क़ीमत चुकाई?
2011 का मीडिया याद है ?
तब मीडिया अडानी और अम्बानी में इस तरह नहीं बंटा था ।
‘राहुल गांधी को हम ठीक से समझ नहीं पाए..’
हिसार से बीजेपी सांसद(अब कांग्रेस में ) बृजेंद्र सिंह की राहुल गांधी की राजनीति पर ज़रूरी टिप्पणी। BBC हिंदी के लिए
@DrSarvapriya
का इंटरव्यू सुनिए…
कन्हैया कुमार का चुनाव में उतरना कांग्रेस और भारतीय राजनीति के लिए एक अच्छी ख़बर है। उम्मीद करनी चाहिए इससे युवाओं में राजनीति के प्रति उत्साह आएगा। छात्र राजनीति को बल मिलेगा। विवेक, तर्क और मुद्दों की राजनीति को गति मिलेगी। उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट के मतदाता अब यह शिकायत नहीं कर
भारत में प्रधानमंत्री नहीं चुने जाते !
सांसद चुने जाते हैं।संविधान की व्यवस्था है।अमेरिका में जनता राष्ट्रपति चुनती है।भारत में चुने हुए सांसद,प्रधानमंत्री का चयन करते हैं।इसलिए, मीडिया के ‘मोदी नहीं तो कौन’ झूठ से बचिए।सांसद चुनने पर ध्यान दीजिए।
सोनम वांगचुक को ‘धमकी’भारत में नागरिकों की हैसियत बताने के लिए दी गई है ।
अहिंसक आंदोलनों को इसी तरह से पटरी से उतारा जाता है। BJP ने शुरू में सोचा होगा, लद्दाख में एक लोकसभा सीट है, आंदोलन का कोई असर नहीं होगा , लेकिन वांगचुक का आंदोलन का पूरे भारत में पहुँचने पर अचानक से चिंता
नेहरू के रास्ते पर राहुल गांधी!
अयोध्या में राम मंदिर के नाम पर रचे जा रहे भाजपा के राजनीतिक आयोजन से दूर रहने का कांग्रेस का फ़ैसला ऐतिहासिक है। यह अभूतपूर्व फ़ैसला है। इसमें राजनीतिक दृढ़ता है। सद्भावना और समावेशी राजनीति की स्पष्ट झलक है। भारतीय नागरिकों की ओर से इसका अभिनंदन
ट्विटर से ब्लू टिक ✅चला गया है।
मीडिया और राजनीति पर अब संक्षिप्त बातचीत होगी।बताया गया है,पोस्ट की पहुँच भी प्रभावित होगी।बेरोज़गार लेखकों के लिए ‘कुछ’अलग व्यवस्था होनी चाहिए।
@elonmusk
बहुत-बहुत शुक्रिया,अशोक जी। आप इतिहास और तथ्यों की रोशनी का उजाला पूरी दुनिया में फैला रहे हैं। किताब पर तथ्यात्मक, विश्लेषणात्मक बातचीत के लिए आभार। 🙏
@Ashok_Kashmir
पत्रकार के रूप में बाबरी ढांचे को मिट्टी में मिलते देखना, जिन्हें सौभाग्य लगता है। वह पत्रकार कैसे हो सकते हैं? हां, कारसेवक हो सकते हैं? दंगाई हो सकते हैं? पत्रकार हरगिज़ नहीं हो सकते। भारतीय संविधान इसकी इजाज़त नहीं देता।
मै उन सौभाग्यशाली पत्रकारों में शामिल हूं जिन्होंने आज ही के दिन,6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचे को मिट्टी में मिलते देखा।
कारसेवकों ने उस दिन जो शौर्य दिखाया उसके कारण ही अब 22 जनवरी को जन्मभूमि पर #राममंदिर बनने जा रहा है।
शाम को जब कारसेवकों ने मंदिर निर्माण के लिए
फ़ोकट का राशन : मुख्यमंत्री मोहन यादव
BJP जिस राशन योजना का यश लूटने की कोशिश कर रही है, मुख्यमंत्री ने उसे फ़ोकट का राशन बताया है।यह भाषा उसी संविधान के विरुद्ध है, जिसे बदलने के लिए 400 पार का नारा लगाया जा रहा है।मप्र में आदिवासी,दलितों से इसी भाषा में लगातार बात हो रही है।
My vehicle was attacked a few minutes ago at Jumugurihat, Sunitpur by an unruly BJP crowd who also tore off the Bharat Jodo Nyay Yatra stickers from the windshield. They threw water and shouted anti-BJNY slogans. But we kept our composure, waved to the hooligans and sped away.
लद्दाख के वादों का क्या हुआ, सोनम वांगचुक के अनशन की ख़बर ग़ायब क्यों?
खुले आसमान के नीचे (तापमान -16) लद्दाख के अधिकारों के लिए लद्दाख के सुपरिचित सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का यह चौथा दिन है। लद्दाख को पूर्ण राज्य की माँग के लिए और छठीं अनुसूची में शामिल करने के लिए
मध्य प्रदेश में 21 साल से BJP का शासन है। दस साल से देश में RSS और BJP का शासन है। फिर भी प्रदेश में महिलाओं की दशा यह है।
राहुल गांधी की राजनीति सही रास्ते पर है।
जन-जन के मुद्दे तक पहुँचे बिना हम लोकतंत्र तक नहीं पहुँच सकते हैं।
राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी की राजनीति पर मेरा
राहुल गांधी पर किताब में ऐसा क्या है? जिससे सत्ता को डर लगता है। जिसके कारण लेखक को इस्तीफा देना पड़ा! बहुत शुक्रिया
@ppbajpai
सर। इस विश्लेषण को पूरा सुनिए। किताब पढ़िए...
राहुल गांधी पर लिखी गई
@DayashankarMi
जी की किताब पर लोकतंत्र की आज़ाद और मुखर आवाजों में से एक
@ppbajpai
सर... देखिए और सुनिए कि ये किताब क्यों महत्वपूर्ण किताब है और इस किताब से सत्ता को क्यों डर लगता है। दोस्तों किताब अमेजन पर उपलब्ध है। आप सब प्री ऑर्डर कर सकते हैं। किताब कल
प्रधानमंत्री की लोकप्रियता बता रहा है-लद्दाख!
मणिपुर के बाद लद्दाख से भी प्रधानमंत्री की उदासीनता रहस्यमयी है। प्रधानमंत्री मणिपुर नहीं जाते ,वहाँ के बारे में कुछ नहीं बोलते। अब लद्दाख में भी गहरे असंतोष की स्थितियां बनती जा रही हैं ।
दंडवत मीडिया,बताए न बताए। जनता सब बता रही
मेरी शपथ संविधान के प्रति है। 'ईस्ट इंडिया कंपनी' का कोई ऐसा नियम नहीं ,जो पत्रकार को विपक्ष, राहुल गांधी पर किताब लिखने से रोके! कंपनी, राहुल गांधी से कितनी नफ़रत करती है। कंपनी के मन में लोकतंत्र और संविधान के लिए कितना आदर है, यह इस्तीफ़े से साफ हो गया...
@KotwalMeena
पत्रकारिता का काम न्यूज़ रूम में तालियां बजाना और नृत्य करना नहीं है। नाचते पत्रकार,जनता को बेहोश भीड़ में बदल रहे हैं। आंखें खोलिए,वक्त तेज़ी से खत्म हो रहा है।
नमस्कार । आप तक किताब पहुँचने की अड़चनों के बीच हम यह रचनात्मक पहल कर रहे हैं। पाठकों तक सीधे पहुँचने की दिशा में यह पहला, नन्हा और विनम्र क़दम है। अपना साथ और साहस हमें दीजिए। 🙏
‘बॉडी डबल’, का डर!
राहुल गांधी से इतना डरते हैं,हिमंत। उनको दो-दो राहुल गांधी दिखने लगे! हिमंत,असम के मुख्यमंत्री हैं।
आप समझिए,आख़िर भाजपा और उसकी सरकार राहुल गांधी से ही क्यों डरती है!
साम्प्रदायिकता को इतनी स्पष्ट,सीधी चुनौती राहुल गांधी के अलावा किसी से नहीं मिली है। आप
राहुल गांधी की यही राजनीति है। स्मृति ईरानी के लिए उन्होंने जो कहा-देश,विशेषकर BJP के नेताओं को ध्यान से पढ़ाना चाहिए। हालाँकि उनके यहाँ यह परंपरा नहीं है । यह उनके सिलेबस में नहीं है। फिर भी BJP कोशिश कर सकती है।
आशा है, स्मृति ईरानी ने सुना होगा।
लोकतंत्र में इससे शानदार बात
Winning and losing happen in life.
I urge everyone to refrain from using derogatory language and being nasty towards Smt. Smriti Irani or any other leader for that matter.
Humiliating and insulting people is a sign of weakness, not strength.
'राहुल गांधी : सांप्रदायिकता, दुष्प्रचार, तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष' अमेजॉन पर मुश्किलों के बीच आज से फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है। किताब की कीमत 650 रुपए है। समय निकाल कर किताब ऑर्डर कीजिए।पढ़िए,दोस्तों,परिजनों तक पहुंचाइए।आप पढ़ कर बेहतर बता सकते हैं,आखिर क्यों मुझे किताब से
गोदी मीडिया के बीच एक सूरज!
गोदी मीडिया, सत्ता की जय-जयकार में जुटे न्यूज़रूम के बीच टेलिविज़न पर रिपोर्टिंग विलुप्त है।बस,सत्ता का प्रचार है। विपक्ष से सवाल पूछना है। विपक्ष का कॉलर पकड़ना है।
नीतीश कुमार को इसे देखना चाहिए। वैसे भी नौवीं बार मुख्यमंत्री बनने के बाद कुछ काम
भारत के चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया, डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है, ‘23 साल के करियर में उनकी ऊँची आवाज़ कोई दबा नहीं सका।’
चंद्रचूड़ जी आपके दावे के उलट,‘सुप्रीम कोर्ट हर उस फ़ैसले में नागरिकों की आशाओं के विपरीत, अपनी आवाज़ नीची कर लेता है, जिसे हम न्याय कहते हैं।’
नागरिकों का विश्वास
नेहरू को खलनायक बनाना ज़रूरी है, क्योंकि सरकार के पास 10 साल में बताने के लिए कुछ नहीं। नफ़रत के लिए इतिहास की खुदाई ज़रूरी है! न कॉलेज, न अस्पताल, न विश्वविद्यालय!नौकरी और रोज़गार शून्य !
दरभंगा एम्स याद है!
बिना बने ही प्रधानमंत्री जी ने उसका बखान कर दिया! सरकार के झूठ का
‘राहुल की रैली नहीं दिखाएंगे। नहीं दिखाएंगे राहुल गांधी को, शपथ ले रखी है।केवल योगी-मोदी को दिखाएंगे। एडवर्टिजमेंट का डोर खोल रखा है।गुजरात में मोदी की मांद में जाकर जबरदस्त रैली हो रही है। गुजरात के विजुअल्स क्यों नहीं दिखा रहे हैं। पूरा गुजरात सड़क पर उतर आया है।’ - पत्रकार
मेरी किताब अमेजॉन से मत खरीदिए!
मैंने इस्तीफ़ा दे दिया। राहुल गांधी पर किताब को जमा पूंजी से छापने का फ़ैसला किया। आप तक किताब पहुंचाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन अमेजॉन पर किताब के लिंक को क्लोन कर लिया गया। नकली विक्रेताओं, आईटी सेल ने मिलकर लेखक को ही किताब से दूर कर दिया।
खुद देख लीजिए, किस तरह से, ई वी एम, और वीवीपेट मशीनों में छेड़छाड़ हो सकती है। सिंबल लोडिंग के समय जो प्रोग्राम डाला जाता है, उस समय, इस तरह से किया जा सकता है।
इसीलिए ज्यादा देश और बांग्लादेश भी वापस पेपर वॉलेट की तरफ चले गये।
पहले भाजपा के लोग भी पेपर बैलट की मांग करते थे। अब
चुनाव आयोग के ‘अपडेट’ आंकड़े गंभीर घपले की ओर इशारा करते हैं।
@DrSYQuraishi
ने तकनीकी जानकारियों को सरल भाषा में समझा गया है। उनके सवालों का उत्तर किसी के पास न होना लोकतंत्र के लिए बेहद ख़तरनाक है ।एक करोड़ से ज़्यादा ‘नए’ वोट चुनाव परिणाम पर गंभीर असर डाल सकते हैं ।
SBI तो परिवार का हिस्सा नहीं है?
SBI अंततः निर्वाचन आयोग हो गया। पाँच मिनट में दी जाने वाली जानकारी, चुनाव के बाद क्यों देना है? SBI तो परिवार का हिस्सा नहीं है?
सुप्रीम कोर्ट को बताना होगा,वह क्या है!
मीडिया के निधन की सार्वजनिक घोषणा! -कली पुरी का अद्भूत भाषण सुनिए…
इंडिया टुडे की मालकिन कली पुरी ने अपने नफ़रती चारणों का सार्वजनिक रूप से अभिनंदन किया है! उन्होंने पत्रकारिता को ‘मज़े का काम’ बताया है। अंग्रेज़ी में से ‘फन जॉब’कहा है। ऐसे काम में दिमाग़ नहीं लगाना होता जब मन
चुप्पियों के बीच मणिपुर में फिर राहुल गांधी!
राहुल गांधी की ‘भारत न्याय यात्रा’ 14 जनवरी से मणिपुर से शुरू हो रही है। आपको प्रधानमंत्री की चुप्पियों के बीच राहुल गांधी का मणिपुर दौरा याद होगा। ‘भारत माता’ पर भावपूर्ण भाषण याद होगा। मीडिया में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का कवरेज
राहुल गांधी जनता से मिलते हैं और मोदी जी..
मोदी जी मज़दूरों के बीच गए हों।जनता उनको घेरकर बैठे, सवाल कर सके, ऐसा दृश्य कभी आँखों को मिला नहीं।
जनता VS पूँजीपति , पसंद अपनी-अपनी।
‘राहुल गांधी:सांप्रदायिकता,दुष्प्रचार,तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष’आप फ्लिपकार्ट से भी आसानी से मंगवा सकते हैं। इसके आठवें खंड में राहुल गांधी पर दुष्प्रचार की विस्तार से पड़ताल है। पढ़िए और समझिए, कैसे मीडिया IT सेल का एक्सटेंशन बन गया है। किताब पर हमले बढ़ गए हैं।लेखक-किताब को
‘आपकी दुकान मैं ही चला देता हूँ…’
यह भारत का वही मीडिया चैनल है, जिसके लिए प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘आपकी दुकान मैं ही चला देता हूँ।’
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 18 मार्च, 2023 को ग्रुप के चेयरमैन अरुण पुरी ने प्रधानमंत्री के स्वागत भाषण में कहा, ‘सर, आप बुरा न मानो तो मैं एक बात
जनता के पैसे से बनाई इमारत का उद्घाटन प्रधानमंत्री का गिफ़्ट कैसे हो गया। अंग्रेज़ी के अख़बारों में हिन्दी के अख़बारों से आगे निकलने की होड़ लगी है। ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ को बताना चाहिए- यह इमारत किसके पैसे से बनायी गई? यह हमारा ही पैसा है जिसके लिए हम आए दिन लाइन में लगे रहते
‘मैंने अडानी के बारे में संसद में भाषण दिया, उन्होंने मेरी सदस्यता रद्द कर दी।सुप्रीमकोर्ट ने मेरी सदस्यता लौटाई।मैंने केवल इतना पूछा था-नरेंद्र मोदी जी,आपका अडानी से क्या रिश्ता है?फिर मेरा घर छीन लिया।अब हिंदुस्तान के करोड़ों ��ोगों के दिल में मेरा घर है।’राहुल गांधी,फलोदी में।
‘आज तक’ झूठ मत फैलाइए - आलू को सोना बनाने का भाषण नरेंद्र मोदी का था, राहुल गांधी का नहीं…
आपने नीचे दी गई, ख़बर के अंत में लिखा है, ‘राहुल गांधी ने ‘आलू के बदले सोने वाला’ भाषण दिया था।’
यह पूरी तरह झूठ है। उतना ही झूठ जैसे कोई कहे, देश के प्रधानमंत्री राहुल गांधी हैं, जबकि
परिवार का अर्थ निर्भया की माँ से पूछिए, ब्रजभूषण शरण सिंह को बचाने वालों से नहीं…
परिवार का अर्थ स्लोगन और ब्रैंडिंग नहीं है।
बेटियों से अत्याचार के दोषी और बलात्कार के आरोपियों के साथ खड़े होकर बेशर्मी से ‘बेटी बचाओ’ की बात करना परिवार नहीं है।
जब आपके पास सीबीआई हो, गूँगा
तानाशाही रोकने के लिए सड़क पर उतरना ही विकल्प है। भारतीय युवा कांग्रेस की तरह समूचे विपक्ष को सड़कों पर उतरना ही होगा।यह विरोध संसद से कुछ ही दूरी पर हो रहा है।
बलात्कारी के समर्थन पर पुलिस को ग़ुस्सा नहीं आता!
आसाराम के सैंकड़ों समर्थक भोपाल में सड़कों पर उतरे। बलात्कार की सजा काट रहे आसाराम के लिए प्रदर्शन करने वालों में महिलाएँ भी पर्याप्त संख्या में हैं। इनके सड़क पर उतरने से ट्रैफ़िक जाम नहीं होता, किसी पुलिसवाले को ग़ुस्सा नहीं
याद रखिएगा…
इलेक्टोरल बॉण्ड से BJP को 700 करोड़ से ज़्यादा का चंदा देने वाली दवा कंपनियां टेस्ट में फ़ेल हो गई थीं! अब सात महीनों में हमारे बच्चों के कफ सिरप में जानलेवा केमिकल मिला है!
यह सब सरकार का काम नहीं है?
सरकार का काम केवल पाकिस्तान को गालियां देना। झूठे दावे करना है।
कल्पना सोरेन के भाषणों की चर्चा उतनी नहीं हो रही जितनी होनी चाहिए। यह अंतर बिलकुल वैसा ही है, जैसा अंतर अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी और हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी के कवरेज में दिखता है।
कल्पना सोरेन,जनता से सीधे जुड़ने और धारदार तरीक़े से अपनी बात रखने में क़ामयाब हो रही हैं।
नितिन गडकरी से भी पूछिए…
रामदेव की भ्रामक और झूठी ‘कोरोनिल’ की लॉन्चिंग में नितिन गडकरी और डॉक्टर हर्षवर्धन किस हैसियत से गए थे?गडकरी ने वहाँ पतंजलि का प्रचार किया,सरकार ने इजाज़त दी थी?डॉक्टरों-वैज्ञानिकों से पूछा था? गडकरी से पूछना चाहिए? कौन पूछेगा
सपा से जीतकर BJP को वोट देना ग़द्दारी नहीं?
जनता से ग़द्दारी करते नेताओं को ऐसे सवालों की आदत नहीं है।
गोदी मीडिया में ऐसे सवाल विलुप्त हो गए हैं । इसीलिए, नेता बिना चिंता के जल्दी पलटी मार जाते हैं। वोटर को अपनी जेब में समझते हैं।
जनता को
@AnilYadavmedia1
जैसे सवालों की
राहुल गांधी की राजनीति…
‘73% हिंदुस्तान के लोग जो देश को चलाते हैं। इस देश को आगे लेकर जाते हैं, वह सो गए हैं, डर गए हैं!’
राहुल गांधी कहते हैं - ‘तुम लोग सो गए हो।जागो और समझो।’
उत्तरप्रदेश में राहुल गांधी का यह कहना लोकतंत्र को पुकारना है। कड़वी सच्चाई से रूबरू कराना है।
EVM पर संदेह और ओपिनियन पोल!
ओपिनियन पोल्स का स्पॉन्सर कौन है? यह समझना बहुत मुश्किल नहीं। भारतीय मीडिया का मालिक एक ही है। यह मतदाताओं को प्रभावित करने की स्पष्ट कोशिश है। मीडिया, इससे विज्ञापन और चुनावी कार्यक्रम के नाम पर नफ़रती एजेंटों के लिए करोड़ों रुपये इकट्ठा करता है। जो
इस वीडियो में भारतीय मीडिया की झलक है। 'राहुल गांधी: सांप्रदायिकता,दुष्प्रचार,तानाशाही से ऐतिहासिक संघर्ष' में आप मीडिया की पूरी कहानी पढ़ सकते हैं। किताब का खंड सात 78 पन्नों में दंडवत मीडिया का दस्तावेज़ समेटे हुए है।
इंडिया टुडे ने सातवें चरण के मतदान से पहले से ही Exit poll तैयारी कर लिया। यह कैसे हुआ?
ग्राफ़िक्स भी बनकर तैयार हो गए। एंकर भी नए कपड़े पहनकर आ गए।
गोदी मीडिया कहने पर कली पुरी नाराज़ हो जाती हैं।
इसलिए, तस्वीर नक़ली है तो इंडिया टुडे को इसका खंडन करना चाहिए। सही है तो बताना
लद्दाख में असहयोग आंदोलन की तैयारी..
सोनम वांगचुक ने कहा है..
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता..
@Wangchuk66
फिर नेहरू पर हमला बताता है,कहने के लिए कुछ नहीं है! सांप्रदायिकता,तानाशाही की राह में सबसे बड़ी बाधा नेहरू हैं। इसलिए,नेहरू को पढ़िए। वह सांप्रदायिक राजनीति के लिए इतने खतरनाक क्यों हैं, कि संसद के हर सत्र में उन पर हमला जरूरी हो जाता है! नेहरू के 'आइडिया ऑफ़ इंडिया' को जाने बिना
मीडिया के मित्र-मेरे और अखिलेश जी के मित्र नहीं है:राहुल गांधी
राहुल गांधी ने तथ्यपरक बात कही।विपक्ष ने लोकतंत्र-संविधान की लड़ाई मीडिया के बिना लड़ी है। ऐतिहासिक तथ्य है।विश्व में भारतीय मीडिया की साख ज़ीरो है।
मीडिया,मोदी जी का सारथी है।
@yadavakhilesh
@RahulGandhi
इस तस्वीर को देखा है कभी?
कश्मीर में क़बायली हमले की आड़ में पाकिस्तान के आक्रमण का मुक़ाबला करने के लिए शेख अब्दुल्ला ने पीपल्स मिलिशिया बनाई थी जिसमें एक women corps भी थी। हथियारबंद औरतों ने भारतीय सेना के साथ कश्मीर को बचाने की लड़ाई लड़ी थी।
तस्वीर में पंडित नेहरू उसका
कितना मुश्किल है,राजनाथ सिंह होना!
इस वीडियो को ध्यान से देखिए। बार-बार देखिए।आंतरिक लोकतंत्र, परस्पर प्रेम और मर्यादा, सब कुछ है।
RSS दीक्षित संस्कारों का सर्वोच्च प्रमाण है।
डिस्क्लेमर: इसका ‘राहुल गांधी’ पर मेरी किताब से कोई संबंध नहीं है। यह भाजपा का आंतरिक मामला है। मेरी
1992 में बाबरी मस्जिद पर हमला भारतीय संविधान पर सबसे बड़ा हमला था। आज़ादी, लोकतंत्र,संविधान की रोशनी पर सबसे घातक आक्रमण था। ख़ुद को बचाइए,उस ज़हर से जो उस दिन से रगों में लहू बनकर दौड़ रहा है। संविधान की ओर देखिए। नफ़रत की भट्टी में ख़ुद,देश के भविष्य को ख़ाक होने से बचाइए।
राहुल गांधी होने का अर्थ…
यह वीडियो राहुल गांधी होने का अर्थ बताता है! सैद्धांतिक राजनीति पर टिके रहना पूंजीवाद के चरम पर असंभव था। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की तरह। लेकिन राहुल गांधी ने एक बार फिर धारणाएँ पलट दीं।
राजनेता का काम जनता के साथ बहना नहीं, उसे सही दिशा में ले जाना है। इस
प्रिय, सुधीर चौधरी!
हेमंत सोरेन की बात करते-करते आप अपनी संपत्ति का ब्योरा देने लगे। अपने मसीहा की कहानी बताने लगे।
ज़मीनी आदिवासी नेता पर इस तरह की टिप्पणी बताती है- नफ़रत के साथ,आप चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं ।
वैसे, आपसे पत्रकारिता की बात करना निश्चित रूप से पत्रकारिता का
महुआ मोइत्रा का लोकसभा से निकाला जाना, प्रखर महिलाओं के प्रति सत्ता का घृणास्पद रवैया दर्शाता है। सर्वसत्तावाद की संदर्भ सहित व्याख्या है। सांप्रदायिकता का प्रतिवाद महुआ का लोकतंत्र में सबसे बड़ा योगदान है। उनके खिलाफ हमले की बड़ी वज़ह यही है। नारी शक्ति, योजना का नाम रखने से