@Profdilipmandal
कमंडल जी पढ़ो जाके शबरी की कथा वाल्मीकि रामायण के सर्ग नम्बर 74 में आया हुआ है , जब राम जी सीता की खोज करते हुए पाम्पा सरोवर के निकट मतंगवन में जाते हैं ,वंहा उन्हें एक आश्रम में शबरी मिलती है जो उनका आदर सत्कार करती है । क्या सच में भगवान श्री राम ने शबरी के झूठे बेर खाए थे?