अरब देशों में प्रतिक्रिया न होती तो बीजेपी शायद ही अपने प्रवक्ताओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की सोचती। बीजेपी को समझना चाहिए कि भारतीय मुसलमान भारत के है। वे किसी मुल्क का मुँह नहीं ताकते। बीजेपी ऐसे ग़लत संकेत क्यों दे रही है कि भारतीय मुसलमान अरब की ओर देखें?
#arab
#NupurSharma
पूरा पढ़ें। नूपुर शर्मा टिप्पणी विवाद पर भारतीय मुसलमानों का एक वर्ग दो हफ़्ते बाद जो ग़ुस्सा जता रहा है, वह बिलकुल बेतुका है और राजनीतिक नासमझी का सबूत है। उनका ग़ुस्सा इतने दिनों बाद क्यों भड़का? क्या उनके पास इस सवाल का कोई तार्किक जवाब है? जारी..2
कुवैत के कुल 1658 कोरोना रोगियों में से सबसे अधिक 956 भारतीय हैं। यानी वहाँ कुल कोरोना रोगियों के आधे से अधिक भारतीय हैं। लेकिन वहाँ तो भारतीयों के ख़िलाफ़ कोई घृणा अभियान नहीं चल रहा है!
मुसलमान अफ़वाहों से सावधान रहें, उन्हें समझना चाहिए कि डॉक्टरों की टीम उनके इलाक़े में #कोरोना_वायरस मरीज़ों की जॉंच के लिए ही जा रही है। जिनमें #कोरोना के लक्षण हों, उन्हें ख़ुद #क्वेरंटीन के लिए आगे आना चाहिए ताकि उनका, उनके परिवार व पड़ोसियों का कोरोना से बचाव हो
#Muradabad
यह तीसरा मौक़ा है, जब अरब जगत ने मुसलमानों से जुड़े मामलों पर भारत से नाराज़गी जतायी है। पहली बार कोविड के समय तब्लीग़ी जमात के बहाने चले घृणा अभियान पर, फिर
@BJP4India
के सांसद
@Tejasvi_Surya
के पुराने विवादास्पद ट्वीट पर और अब अपने प्रवक्ताओं के बयान पर। सोचने की बात है!
#arab
आप इतनी परेशान क्यों हैं? मुसलमानों ने सत्तर सालों में जो बोया है, वही काट रहे हैं! रूढ़ शरीअत की जकड़, कठमुल्लों को ख़ुश रखने के लिए सेकुलर पार्टियों का सेकुलरिज़्म से लगातार किया गया खिलवाड़, यही दो बड़े कारण हैं जिन्होंने संघ को हिन्दू ध्रुवीकरण के हथियार दिये। अब भुगतिए।
देखिए, फिर वही भारी जमावड़ा। जब कोरोना का ऐसा क़हर हो, अस्पतालों में बेड और दवाएँ पाने के लिए इतनी जद्दोजहद हो, जब इतनी बड़ी तादाद में मौतें हो रही हों, सब कुछ आँखों के सामने हो, तब भी इस भीड़ को पक्का यकीन है कि कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ेगा! बेहद शर्मनाक !
Despite Covid threat, thousands of people gathered during the funeral of Zila Qazi in UP's Budaun district. Most of the people were not wearing masks.
@Uppolice
have registered an FIR on Monday.
@Benarasiyaa
यह बात मुसलमानों को समझनी ही होगी कि एक सेकुलर समाज में ही उनका भविष्य बेहतर है और रहेगा। इसलिए उन्हें अपना नेतृत्व भी सेकुलर राजनीतिक ढाँचे में ही देखना होगा। और धार्मिक मुद्दों के बजाय अपने आर्थिक मुद्दों और सामाजिक सुधारों पर ही पूरा ध्यान लगाना होगा। (समाप्त)
@ajitanjum
कोई सम्पादक, जो कभी एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया का अध्यक्ष भी रहा हो, वह पत्रकारों के लिखने-बोलने के अधिकारों पर रोक लगाने की माँग करेगा, इससे ज़्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है?
बेहद शर्मनाक और जहालत से भरी हुई बात। हैरत है कि यह लोग ख़ुद को ‘आलिम’ (यानी विद्वान और ज्ञानी) कहते हैं। ऐसे ही तथाकथित आलिमों ने मुसलमानों का बेड़ा ग़र्क़ किया है, सिर्फ़ भारत में ही नहीं, पूरी दुनिया में।
ज़ाहिर है कि व्यापक अरब प्रतिक्रिया के बाद भारतीय मुसलमानों के इस वर्ग को लगा कि उन्हें भी कुछ करना चाहिए । मैंने अपने पिछले ट्वीट में कहा था कि अरब प्रतिक्रिया पर हड़बड़ी में क़दम उठा कर बीजेपी भारतीय मुसलमानों को ग़लत संकेत दे रही है। और वही हुआ भी। जारी..3
लेकिन डीडी न्यूज़ जब फ़ोन से चल रही प्रधानमंत्री की रुद्रपुर रैली का सीधा प्रसारण कर रहा था, तब उसकी स्क्रीन पर पुलवामा हमले की ख़बर भी चल रही थी! उसके बाद प्रधानमंत्री कई और जगहों पर गए, रामपुर के पीडब्ल्यूडी गेस्ट हाउस में नाश्ता भी किया. सब अगले दिन के अख़बारों में छपा है।
Rahul Ji, India is tired of your fake news. Stop sharing photos from that morning to shamelessly mislead the nation.
Maybe you knew in advance of the attack but people of India got to know in the evening.
Try a better stunt next time, where sacrifice of soldiers isn’t involved.
भारतीय मुसलमानों का एक वर्ग यदि यह सोचता है कि अरब समर्थन से उसका सीना चौड़ा हो गया है तो यह निरी मूर्खता है। भारतीय मुसलमानों का हित केवल और केवल इस बात में ही है और रहेगा कि व्यापक भारतीय जनमत का समर्थन उसके साथ रहे। यह बात समझनी ही पड़ेगी। जारी.. 6
मैं इस बात का सख़्त विरोधी हूँ कि भारतीय मुसलमानों का नेतृत्व उलेमा या पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे किसी धार्मिक संगठन के हाथ में हो। दो कारण हैं। पहला यह कि धार्मिक नेतृत्व किसी समाज को प्रगति के रास्ते पर ले ही नहीं जा सकता क्योंकि ऐसा नेतृत्व अनिवार्य रूप से रूढ़िवादी होता है। जारी..7
दूसरा कारण यह कि आज़ादी के बाद से अब तक मुसलमानों के इस धार्मिक नेतृत्व ने लगातार साबित किया है कि उनमें रत्ती भर भी राजनीतिक समझ और दूरदर्शिता नहीं है। शाहबानो विवाद, यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड, बाबरी मसजिद समेत तमाम मुद्दों पर यह राजनीतिक नासमझी खुल कर सामने आ चुकी है। जारी..8
वे कौन लोग हैं जिन्होंने नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिन्दल को धमकियाँ दीं और क्यों? जुमे की नमाज़ के बाद देश के कई हिस्सों में क्यों हिंसा की गयी? ऐसा करके इन लोगों ने उस व्यापक भारतीय जनमत की अवहेलना की है, जो इस मामले में पूरी एकजुटता से उनके साथ खड़ा था। जारी…5
#रवीश_कुमार को #मैग्सायसाय_पुरस्कार मिलने पर बहुत-बहुत बधाई ! ‘गोदी मीडिया’ के इस दौर में रवीश ने निर्विवाद रूप से साबित कर दिया है कि पत्रकारिता का अर्थ क्या है। वह मौजूदा दौर की हिन्दी पत्रकारिता के सिरमौर हैं और हम सबको उन पर गर्व होना चाहिए।
तानाशाह एक डरपोक आदमी होता है।
अगर पांच गधे भी साथ-साथ घास खा रहे हों तो तानाशाह को डर पैदा होता है कि गधे भी मेरे खिलाफ़ साजिश कर रहे हैं।
- हरिशंकर परसाई
Copy paste this and quote tweet
हालाँकि अरब प्रतिक्रिया के बाद मोदी सरकार के पास ऐसा क़दम उठाने के सिवा और कोई चारा भी नहीं था। सरकार ने यही क़दम पहले उठा लिया होता तो मामला बढ़ता ही नहीं। सरकार की तरफ़ से यह बड़ी ग़लती हुई। अब इस मामले में विलम्बित प्रदर्शन कर भारतीय मुसलमान जवाबी ग़लती कर रहे हैं। जारी..4
सेकुलर चिन्तकों ने हिन्दू साम्प्रदायिकवाद की तो खुल कर आलोचना की, लेकिन मुसलमानों के ऐसे क़दमों पर बोलने से बचते रहे, जब उन्हें बोलना चाहिए था। क्योंकि इससे उनके उदारवादी लेबल को नुक़सान पहुँचता। इन सब कारणों से मुसलमान ज़मीनी सच्चाइयों से दूर एक अलग लोक में जीते रहे। जारी..15
इस नेतृत्व ने भारतीय मुसलमानों को धार्मिक आवेश के हवाई गुब्बारे में फुला कर ज़मीनी सच्चाई से उनका मुँह मोड़ दिया, वे प्रगति के मोर्चे पर तो पिछड़े ही, उनकी सोच और छवि पर भी बुरा असर पड़ा। दूसरे, इस नेतृत्व की लफ़्फ़ाज़ियों से संघ का समर्थन लगातार बढ़ा, उसे नये तर्क मिले। जारी..9
पढ़े-लिखे मुसलमानों और मुसलिम युवाओं को नये सिरे से सोचना होगा, नया विमर्श चलाना होगा और नयी सोच का एक नया मुसलिम समाज गढ़ना होगा। उन्हें यह समझना होगा कि भावनाओं के ज्वार में बह जाने के बजाय अपनी जायज़ बातें रखने और उन्हें मनवा लेने के और रास्ते क्या हैं? जारी…16
ओवैसी समेत कुछ कोशिशें मुसलमानों की अपनी राजनीतिक ताक़त खड़ी करने की भी हुई, लेकिन सभी नाकाम हुईं और आगे भी होंगी। तीन कारण हैं। पहला, उन्होंने हमेशा मुसलमानों के धार्मिक नेतृत्व के एजेंडे को ही आगे बढ़ाया, उसे बदलने की कोई कोशिश कभी की ही नहीं। जारी… 10
दूसरा, केवल मुसलमानों के नाम पर बनी पार्टी को व्यापक भारतीय जनमत का समर्थन कभी मिल ही नहीं सकता, तो वोट की राजनीति में ऐसी पार्टी कुछ कर ही नहीं सकती। ज़्यादा से ज़्यादा ऐसे नेता जोशीले नारे और भड़काऊ भाषण देकर सभाओं में तालियाँ बजवा सकते हैं, बस। जारी… 11
मुसलमानों का सबसे बड़ा संकट यही है कि उनके पास कोई ऐसा नेतृत्व नहीं है, जो उन्हें धार्मिक कटघरे से निकाल कर उनमें नयी सोच जगा कर लोकतंत्र में अपना जायज़ हिस्सा पाने के लिए उन्हें रास्ता दिखा सके। जारी … 13
थप्पड़ मारने को उचित नहीं कहा जा सकता, लेकिन किसान की इस बेटी के ग़ुस्से को भी सुनना तो पड़ेगा, सुनना ��ाहिए। राजनेताओें को समझना चाहिए कि पीड़ित जनता की भावनाओं के प्रति यदि वे न केवल संवेदनहीन बल्कि क्रूर व अमानवीय रवैया अपनायेंगे तो जनता अपनी हताशा किसी रूप में तो व्यक्त करेगी।
"किसान आंदोलन में कंगना रनौत ने धरने पर बैठने वा��ी महिलाओं को यह बोला था कि 100-100 रु के लिए धरने पर बैठती है, तब मेरी मां भी वहां बैठी थी।" CISF महिला जवान कुलविंदर कौर का गुस्सा बाजिव है। मैं बतौर एक किसान का बेटा होने के नाते उनके स्वाभिमान के साथ खड़ा हूं।
#KanganaRanaut
यह एसपी यानी सुरेन्द्रप्रताप सिंह हैं, जिनके नेतृत्व में डीडी मेट्रो पर ‘आज तक’ की शुरुआत हुई। 20 मिनट के इस समाचार बुलेटिन को अथाह लोकप्रियता मिली। 1997 के जून की 27वीं तारीख़ हमें याद है, जब ब्रेन हैमरेज से एसपी का निधन हो गया। उस दिन ‘आज तक’ के दर्शक फूट-फूट कर रोये। 🧵
संपादक का जो नाम छपा है, वह करमचन्द शुक्ल है। मास्टहेड के दाएँ ओर तीन सहयोगियों के नाम छपे हैं-कुमारी लज्यावती, रामप्रशाद बी. ए. और लाला फ़िरोज़चन्द हैं। यह जिस ज़माने की बात है, तब उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा नहीं थी। इसलिए यह भ्रम है कि उर्दू अख़बार सिर्फ़ मुसलमान छापते थे।
हिन्दुत्ववादी ताक़तें इस स्थिति से ख़ुश हैं क्योंकि इससे उनका जनाधार लगातार बढ़ता गया है। तथाकथित सेकुलर दलों ने भी मुसलमानों का हमेशा नुक़सान ही किया है क्योंकि वे मुसलिम नेतृत्व की नासमझियों की आलोचना कर उन्हें सही रास्ता दिखाने के बजाय चुप रहे।वोट बैंक की मजबूरियाँ! जारी…14
फिर ऐसी कोई भी पार्टी अन्ततः ‘जिन्ना सिंड्रोम’ को जन्म देकर हिन्दुत्ववादी ताक़तों को हिन्दुओं में असुरक्षा की भावना भड़काये रखने के लिए नये तर्क देती है। ज़ाहिर है इससे मुसलमानों का कभी कोई भला नहीं हो सकता। इसका राजनीतिक लाभ हमेशा हिन्दुत्ववादी ताक़तों को ही मिलता है। जारी…12
चुनाव आयोग चिन्तित है कि हाइकोर्ट की मौखिक टिप्पणियों की मीडिया रिपोर्टिंग से उसकी छवि ख़राब हो रही है?
@ECISVEEP
पिछले कुछ वर्षों में आपने जैसा व्यवहार किया है, उसका आत्मावलोकन करें। आप जैसा काम करेंगे, वैसी छवि बनेगी।
ये कांग्रेस की हार पर जो विश्लेषण अब आ रहे हैं, वे तब क्यों नहीं आये जब टिकट बँट रहे थे, जब प्रचार चल रहा था, जब वोट पड़ चुके थे और जब एक्ज़िट पोल भी आ चुके थे। अब नतीजे आ गये तो चारों ओर विश्लेषण ही विश्लेषण दिख रहे हैं।
पढ़े-लिखे मुसलिम युवाओं को अपने आसपास के इलाक़ों में मुसलमानों को जागरूक करना चाहिए कि डॉक्टरों की टीम उनके बीच #कोरोना फैलाने नहीं, बल्कि कोरोना से उनका बचाव करने के लिए ही आ रही है। मुसलमान पूरी तरह मेडिकल टीम व स्थानीसय प्रशासन से सहयोग करें, इसी में उनका ह���त है।
#muradabaad
My response to Mr
@aroonpurie
.
The core issue is that your channels are giving none but only one view, the ‘Modified’ view. Where are the other views appearing on your channels that no one able to find any trace of them?
My response to VVS Alumni
Dear 192 Vasant Valley School Alumni,
Thank you for taking the time to share your concerns with me.
It is good to know that in this day and age when everybody is constrained for time, you are watching and reading our work and deeply invested in our
पैग़म्बर पर अभद्र टिप्पणी से अरब देश आहत हुए, यह बात तो समझ में आती है, लेकिन इस बहाने
#OIC
इस्लामी सहयोग संगठन और पाकिस्तान आदि को भारतीय मुसलमानों को लेकर मगरमच्छी आँसू बहाने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि वृहद् भारतीय हिन्दू समाज नैसर्गिक रूप से सेकुलर है।
Congress doesn’t need an Amit Shah, but it needs following things:
1. A clear ideological framework n stick firmly on that.
2. A think tank to intellectually guide it.
3. Political n Social Programme.
4. Ability to built convincing narratives and counter-propaganda mechanism.
Congress doesn’t need a Narendra Modi to re-emerge as a National alternative, but a Amit Shah to re-energise
Re-organise and
re-prioritise. Organisationally Congress is in constant decay for the last two decades.
@RahulGandhi
@priyankagandhi
अबकी बार..... डिजिटल मीडिया पर वार! मोदी सरकार की गाइडलाइन से डिजिटल मीडिया के लिए क्या ख़तरे पैदा होंगे? 'सत्य हिन्दी' के लिए मेरी टिप्पणी।
#DigitalMediaGuidelines
कृपया आप झूठ न फैलाएँ। मौलाना शफ़ी तो बीजेपी से ही जुड़े रहे हैं। ज़ाहिर है कि इनसे यह बयान इसलिए दिलवाया गया है ताकि आप जैसे लोग मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैला सकें।
मोदी जी कहते हैं
'विज्ञापनों में मेरी भी तस्वीरें चमक सकती थी लेकिन मैं बदलाव के लिए जीता हूं'
पता नहीं कौन लोग हैं जो मोदी जी की इतनी तस्वीरें हर रोज छपवा देते हैं .
आज ही एक दर्जन अखबारों में मोदी ही मोदी
#UPInvestorsSummit
#YogiAdityanath
Link में बाकी
संपादक का जो नाम छपा है, वह करमचन्द शुक्ल है। मास्टहेड के दाएँ ओर तीन सहयोगियों के नाम छपे हैं-कुमारी लज्यावती, रामप्रशाद बी. ए. और लाला फ़िरोज़चन्द हैं। यह जिस ज़माने की बात है, तब उर्दू केवल मुसलमानों की भाषा नहीं थी। इसलिए यह भ्रम है कि उर्दू अख़बार सिर्फ़ मुसलमान छापते थे।
सुना था कि दास-प्रथा बहुत साल पहले ख़त्म हो चुकी है। लेकिन अजूबा है कि हमारे देश में यह नौ साल पहले लौट आयी और मीडिया का एक बहुत बड़ा तबक़ा ग़ुलाम बन गया। विचित्र विडम्बना है।
मुनव्वर राना जी समेत जिन मुसलिम संगठनों ने फ़्रांस में कार्टून के मुद्दे पर हुई हत्याओं को किसी भी रूप में उचित ठहराने की कोशिश की है, उसकी ज़ोरदार तरीक़े से भर्त्सना होनी ही चाहिए। यह बेहद शर्मनाक है।
बिलकुल सही कहा आपने
@vinodkapri
जी। और यहाँ कई स्वनामधन्य पत्रकार इसे ‘बीजेपी की घबराहट’ मान कर ख़ुश हो रहे हैं। यही कारण है कि आमतौर पर पिछले बहुत-से चुनावों में बीजेपी के मुक़ाबले विपक्ष की रणनीति और अनेकानेक विशेषज्ञ पत्रकारों के आकलन धराशायी हो जाते हैं।
विपक्षी दलों !
ये मत सोचिए कि प्रधानमंत्री हो कर भी नरेंद्र मोदी बाग़ी उम्मीदवार से बात कर रहे हैं
ये सोचिए कि
प्रधानमंत्री होते हुए भी नरेंद्र मोदी एक एक सीट पर कैसे नज़र रखे हुए हैं
चुनाव आयोग ने अपने सांविधानिक दायित्वों की पूरी तरह और बेशर्मी से बलि चढ़ा दी है। कर्नाटक बीजेपी के विवादास्पद विज्ञापन को X से हटाने का निर्देश तब जारी किया गया, जब कर्नाटक में मतदान पूरा हो ���या।
@rajivkumarec
के नेतृत्व में
@ECISVEEP
खुल कर एक पार्टी के पक्ष में जुट गया है।
कोरोना इतना क्यों फैला? विशेषज्ञों के अंतरराष्ट्रीय पैनल की रिपोर्ट कहती है कि सीधे-सीधे सरकार इसकी ज़िम्मेदार है। ‘विज्ञान-विरोधी नेतागण,’ कोरोना से लड़��े के संकल्प की कमी और सारी चेतावनियों की अनदेखी के ‘घातक कॉकटेल’ के कारण भारत में भयानक तबाही आयी है।
ये गाँव के नौजवान हैं, जो समझते हैं कि तानाशाही और लोकतंत्र का क्या मतलब है और एक वे युवा हैं जो लाखों रुपये की फ़ीस देकर एक नामी निजी विश्वविद्यालय में पढ़ते हैं और मुद्दे तो छोड़िए, तख़्तियों पर हिन्दी-अंग्रेज़ी में लिखे नारे भी पढ़ नहीं पाते!
मुझे समझ में नहीं आता कि बहुत-से दक्षिणपंथियों या बहुत बाद में दक्षिणपंथ में शामिल हो गये लोगों की भाषा, सोच और मानसिकता इतनी घटिया क्यों हो जाती है? जिन लोगों की भाषा, सोच और मानसिकता इतनी घटिया हो, उनके भीतर कभी भी कोई अच्छा विचार कैसे आ सकता है?
असम के घटिया CM हिमंता बिस्वा शर्मा ने जो बेहूदा बयान दिया है वो निहायती घटिया और शर्मनाक है और उनकी खुद की पैदाइश का प्रमाण देता है,
दुख की बात है कि ऐसे लोग आज CM पद पर बैठकर जहर उगल रहे है और देश के PM अपनी चुप्पी से राजनीति के स्तर को निचले स्तर तक लेकर जा रहे है ।
स्वतंत्र भारत में आज तक जितने भी प्रधानमंत्री हुए, उनसे आप सहमत-असहमत हो सकते हैं, उनके विरोधी या समर्थक हो सकते हैं, उनके काम में मीन-मेख निकाल सकते हैं, लेकिन किसी प्रधानमंत्री के बारे में यह नहीं कह सकते कि उसने प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिरा दी, सिवा एक के…..!
जी हाँ मंत्री जी, उड़नखटोला भी होता था हमारे यहाँ, जो किसी इंजन या ईंधन के बिना ही उड़ता था। लेकिन कमाल की बात है कि किसी पुरातात्विक खुदाई में किसी उड़नखटोले, किसी आदिकालीन विमान या उस ज़माने के बिजलीघरों के, बिजली से चलनेवाले उपकरणों के कोई अवशेष आज तक नहीं मिले!
किसी ने सही लिखा है,
यदि हमारे पूर्वजो को हवाई जहाज बनाना नहीं आता, तो हमारे पास "विमान" शब्द भी नहीं होता।
यदि हमारे पूर्वजों को Electricity की जानकारी नहीं थी, तो हमारे पास "विद्युत" शब्द भी नहीं होता।
यदि "Telephone" जैसी तकनीक प्राचीन भारत में नहीं थी तो, "दूरसंचार"
तो इंदौर में कांग्रेस उम्मीदवार ने इसलिए नाम वापस लिया…! उसके ख़िलाफ़ 17 साल पुराने मामले में हत्या के प्रयास की धारा 307 अचानक जोड़ दी गयी और 10 मई को अदालत में सुनवाई की नयी तारीख़ लगायी गयी। यह दावा है म.प्र. कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का।
#सूरत और #खजुराहो की तरह ही #इंदौर में लोकतंत्र की हत्या कर दी गई! कांग्रेस प्रत्याशी को डराया-धमकाया गया! 17 साल पुराने केस में अचानक आवेदन लगा! जानलेवा हमले की धारा बढ़ गई! सोची-समझी साजिश के तहत घेराबंदी की गई! अनेक प्रकार की यातनाएं भी दी गईं! लक्ष्य केवल एक था -
• जैसे
@prakashnaraya18
मुसलिम विमर्श को मसजिदों से बाहर निकाल कर लाना होगा। मुसलमानों को इसके लिए अपने बीच चर्चा करनी होगी कि मुसलिम विमर्श में मुसलिम लेखक, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, डॉक्टर, इंजीनियर, वकील आदि क्यों नहीं शामिल होते? सब कुछ उलेमा के हाथ में क्यों है?
आठ लाख लोगों के नरसंहार का आरोपी आख़िर 26 साल बाद पेरिस में पकड़ा गया। यह नरसंहार सौ दिनों तक चला था, जिसकी पूरी योजना इसने बनायी, अपनी कम्पनियों के ज़रिये हथियार जुटाये और अपने रेडियो स्टेशन के ज़रिये घृणा फैला कर तूत्सी अल्पसंख्यकों का नरसंहार कराया।
पति-पत्नी के एक-दूसरे से अलग होने का एक ही वैधानिक रास्ता है, और वह है क़ानूनी तौर पर तलाक़ का। हम क़ानून मानेंगे या नहीं मानेंगे, यह निजी फ़ैसला या निजी चुनाव नहीं हो सकता।
हर चौथे दिन ये पूछनेवाले कि नरेंद्र मोदी अपनी पत्नी से अलग क्यों हो गए आज फिल्मों से अलग होने के
#ZairaWasim
के फैसले को उसका 'निजी' फैसला बताकर उसका सम्मान करने/चर्चा न करने को कह रहे हैं।इनको सूट करे तो निजी फैसले का सम्मान हो पर पति-पत्नी के निजी फैसले की धज्जियां उड़ाओ?
हमें पूरी उम्मीद है कि आपका चैनल दर्शकों को ये भी बताएगा कि ये माँग करने वाला व्यक्ति BJP से जुड़ा है।
BJP ने इस व्यक्ति को कर्नाटक वक़्फ़ बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था।
और इन जनाब की हिम्मत भी नहीं हुई कि अपनी पार्टी BJP से कह पायें कि वो मुस्लिम समुदाय को एक भी टिकट क्यों नहीं
शोर मचाने वाले प्रतिस्पर्धियों के लिए चिंतन का दिन,
एक्स्ट्रा लैंडिंग पेज खरीदने, डबल फ्रीक्वेंसी डिस्ट्रीब्यूशन पर आप करोड़ों खर्च सकते हैं,
लेकिन दर्शक पहचानते हैं ये तमाशा,
वोटरों जैसे भारत के दर्शकों ने भी चुनी अपनी पसंद
@aajtak
और
@indiatoday
दोनों नंबर 1,औरों से मीलों आगे
@milindkhandekar
@abpnewstv
Very surprising news Milind. I rarely watched News Channels these days for obvious reasons, but on rare occasions whenever I had to see news on TV, ABP News used to be my favorite channel for crisp, no nonsense news delivery. Anyway it’s all part of life. Best Wishes.
महज़ संयोग या ‘टाइमिंग?’
नोटबंदी नवंबर 2016। 3 महीने बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव फ़रवरी-मार्च 2017।
₹2000 नोट वापसी मई 2023। 5 महीने बाद छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना विधानसभा के चुनाव नवम्बर-दिसम्बर 2023 में होने हैं।
अब आया
#MasterStroke
का मतलब समझ में।
कल बीजेपी ने 36 सहयोगी दलों के नेताओं को बुलाया।
सबको भरपेट खाना खिलाया।
फिर सबसे हाथ उठवाया और बुलवाया,मोदी होंगे उनके प्रधानमंत्री।
पहली बात,अगर विपक्षी एकता महामिलावट है तो ये 36 दलों का गठबंधन क्या है?
दूसरी बात,एग्जिट पोल पर इतना भरोसा?
तीसरी बात,इस डिनर का लक्ष्य संघ था ?
#DeepakPunia
जिस पहलवान से हारे है , वो पहलवान
#SanMarino
से है । इस देश का क्षेत्रफल क़रीब 60 किलोमीटर है और आबादी सिर्फ़ 33 हज़ार है।
33000 की आबादी वाला
#SanMarino
#Olympics
में अब तक तीन पदक जीत चुका है।
अभी एक साइबर ठगी का शिकार होते-होते बचा। मुझे एक IVR मेनू से फ़ोन आया कि मेरे क्रेडिट कार्ड से 43 हज़ार रुपये ख़र्च किये गये है। अगर यह मैंने नहीं किया है तो तुरन्त बात करूँ। मेरे पास ऐसा कोई कार्ड था ही नहीं। उनसे बात करने पर पता चला कि अजमेर से मेरे नाम पर कार्ड इश्यू हुआ है…2
इसलाम को और मुसलमानों को असली ख़तरा अगर कहीं से है, तो वह ऐसी ही कट्टर, जाहिल और हैबतनाक शैतानी मानसिकता से है। बहुत ज़रूरी है कि मुसलिम समाज अपने भीतर प्रगतिशील और उदारवादी सोच के प्रसार के लिए व्यापक अभियान शुरू करे।
🔴
#Udaipur
: Tailor Kanhaiya Lal's murder was filmed by his attackers, who talked about it on camera. Police are searching for them.
Track updates here
Tigers don’t kill tigers. Elephants don’t kill elephants. Monkeys don’t kill monkeys. Dogs don’t kill dogs.
Only humans are such animals who kill each other. Still, we believe we are superior.
जी हाँ। ‘रविवार’ और ‘नवभारत टाइम्स’ से लेकर ‘आज तक’ तक पत्रकारिता की अपनी यात्रा में एसपी सिंह ने एक अमिट छाप छोड़ी और हिन्दी पत्रकारों की उस समय की पीढ़ी के लिए वह एक विराट प्रकाश स्तम्भ थे। सादर नमन!
आज तक के संस्थापक संपादक एसपी सिंह आज ही के दिन 1997 में हमें छोड़कर चले गए थे.
हिंदी पत्रकारों की पूरी पीढ़ी एसपी ने तैयार की. हिंदी पत्रकारिता को तेवर दिया.
अंग्रेज़ी के सामने आत्मविश्वास दिया
@qwnaqvi
@dibang
@ashutosh83B
@sanjaypugalia
@supriyapd
गम्भीर आरोप हैं। आपको याद होगा कि अडानी मामले में हिंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी की लीपापोती वाली जाँच के ख़िलाफ़ कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट गये थे, लेकिन अदालत ने यह कह कर उनकी माँग ठुकरा दी थी कि सेबी की जाँच ‘भरोसेमन्द’ और हर पहलू से की गयी है। अब देखना है कि आगे क्या होता है?
#Hindenburg
discovered that
#SEBI
Chairperson Madhabi Buch and her husband, Dhaval Buch, had undisclosed stakes in the same obscure Bermuda and Mauritius funds used by Vinod Adani.
They first opened an account with IPE Plus Fund 1 on June 5, 2015, in Singapore. A declaration
बैलेट पेपर से भी गिनती मुश्किल नहीं थी। उसमें काफ़ी समय तो बैलेट पेपरों की 50-50 की गड्डियाँ बनाने में लग जाता था। फिर इन गड्डियों को एक बड़े टब में डाल कर ऊपर-नीचे कर मिला दिया जाता था, ताकि पता न चल सके कि किस बूथ से किस पार्टी को कितने वोट मिले।असली गिनती देर में शुरू होती थी।
On the auspicious occasion of holy Ramazan, a nice message shared by my son Ahmed Abraz and other youths. Glad to see the younger generations spreading positivity and having clarity of thoughts.
@impar_india
तो इसी तर्ज़ पर अग्निवीर की तरह ‘नेतावीर’ योजना क्यों नहीं लायी जानी चाहिए, जिसमें 75% नेता चार साल बाद राजनीति से रिटायर हो जायें और फिर कभी उन्हें राजनीति में प्रवेश न मिले। देश सुधर जायगा।
अग्निवीर की तरह बैंक वीर, रेलवे वीर और केंद्रीय कर्मचारी वीर जैसी योजना लानी चाहिए.
एक बड़ा तबका इस सुविधा के लाभ से वंचित है. उनके लिए ये किया जाए.
10 से 12 हजार की सैलरी में दबाकर काम लिया जाए और पेंशन न दी जाए.
सरकार से पूरी उम्मीद है कि ऐसी योजना लाई जाएगी.
धन्यवाद 🙏
भर्ती के लिए 'कोविड पॉज़िटिव' रिपोर्ट की अनिवार्यता क्यों? तमाम जगहों से शिकायतें मिल रही हैं कि RT-PCR टेस्ट के लिए लम्बी वेटिंग है और रिपोर्ट में काफ़ी समय लग रहा है, जबकि संक्रमित मरीज़ की हालत अकसर तेज़ी से बिगड़ती है। भर्ती करने केआकलन का काम अस्पताल पर छोड़ना चाहिए।
नग्न इस्राइली महिला के शव पर पैर रखकर “अल्लाह हू अकबर” का नारा लगाने वाले
बर्बर हैं
जल्लाद हैं
राक्षस हैं
आतंकी हैं
दानव हैं
दैत्य हैं
ऐसा भयावह वीडियो संपूर्ण मानव जाति पर कलंक है। भाड़ में जाए ऐसे युद्ध, ऐसी आज़ादी जो आपको राक्षस बना देती है। ऐसे जल्लादों को नर्क भी नसीब ना
इन्हें वक़्फ़ बोर्ड का अध्यक्ष किसने बनाया था? बीजेपी सरकार ने ही बनाया था न। आप तो यह बात बड़ी होशियारी से छिपा गये! ज़ाहिर है कि ऐसा बयान दिलवाना पूरी तरह संघी साज़िश है ताकि देश में मुसलमानों के ख़िलाफ़ माहौल बनाया जाय।
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शफी सादी का बयान:- कर्नाटक में हमें मुस्लिम डिप्टी CM चाहिए और 5 बड़े मंत्रालय भी मुसलमानों को दिए जाए!
आपको क्या लग��ा है धर्म के आधार पर देश कैसे बटा होगा ??? बिल्कुल ऐसे ही पहले अपने पसंद की पार्टी कांग्रेस को जिताओ, फिर उनके ऊपर मंत्रालयों से लेकर डिप्टी
तमाम फ़र्ज़ी आरोप लगा कर
@ajitanjum
को बदनाम कर��े की यह घिनौनी साज़िश है। सब जानते हैं कि इसके पीछे कौन लोग हो सकते हैं। अजित जी ने अपनी इस पोस्ट में सभी आरोपों का बेबाकी से जवाब दिया है। हैरानी नहीं होगी कि ऐसी मुहिम उन दूसरे यूट्यूबरों के ख़िलाफ़ भी चले जो डर कर झुके नहीं।
आप सभी दोस्तों के लिए एक सूचना
मेरे बारे में बेहद घिनौने आरोपों के साथ एक वीडियो बनाया गया है . वीडियो बनाने वाले लोग एक समूह का हिस्सा हैं , जिन्हें मेरे जैसे लोगों का बोलना हज़म नहीं हो रहा है . मेरी आवाज़ बंद नहीं कर पा रहे हैं तो मेरे चेहरे पर झूठे आरोपों की कालिख पोतकर
राहुल गांधी कोरोना को लेकर तरह तरह के बयान देते रहे हैं। अब वे कोरोना संक्रमित हो गए हैं। अगर उनको दिल्ली में जगह न मिले तो मैं हरियाणा में इलाज कराने को तैयार हूं। वे प्रचारित करते रहे हैं कि दिल्ली में बेड की कमी है। हम उनका बेहतर इलाज कराएंगे: हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज
शफ़ीक़ुर्रहमान बर्क़ का बयान बेहद निन्दनीय और शर्मनाक है। इसमें सन्देह नहीं कि तालिबान का उद्देश्य चरमपंथी इसलाम है, वह आतंकवादी संगठन है और तथाकथित इसलामी साम्राज्य स्थापित करने की साज़िशों में शामिल तमाम आतंकवादी संगठनों का मददगार है। तालिबान से सहानुभूति रखना मानवता-विरोधी है।
When India was under British rule, our country fought for freedom. Now Taliban wants to free their country & run it. Taliban is a force that did not allow even strong countries like Russia & America to settle in their country: Shafiqur Rahman Barq, Samajwadi Party MP from Sambhal
भारत का अब तक अधिकतम रिकॉर्ड तापमान 52.3 डिग्री दिल्ली के मुंगेशपुर मौसम स्टेशन पर दर्ज किया गया। ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण के बारे में लोगों की उदासीनता के नतीजे अब दिख रहे हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि हमारे यहाँ जनता और सरकारों में कोई चिन्ता जगेगी।
@himanshu77456
@ashutosh83B
ज़रा-सा गूगल सर्च कर लेते आप तो ऐसी अटकल लगाने से बच जाते। विकिपीडिया के मुताबिक़ वहाँ के भारतीय आप्रवासियों में सबसे बड़ी संख्या हिन्दुओं की ही है।
यह तो होना ही था क्योंकि कुछ लोगों को सच से बड़ा डर लगता है। लेकिन वे बार-बार भूल जाते हैं कि सच को परेशान तो किया जा सकता है, लेकिन वह पराजित कभी नहीं होता। सच की जीत तो अन्ततः होती है, चाहे उसे जीतने के लिए वर्षों तक संघर्ष क्यों न करना पड़े।